आत्म-निर्भर और सशक्त बन रही हैं देश की महिलाएं
प्राचीन काल से ही महिलाओं का स्थान भारत में बहुत ही महत्वपूर्ण व अहम रहा है। महिला को ही सृष्टि रचना का मूल आधार कहा गया है। महिलाएं हमारे समाज का एक महत्वपूर्ण और आवश्यक अंग है क्योंकि विश्व की आधी जनसंख्या तकरीबन महिलाओं की ही है। डा. अंबेडकर ने एक बार यह बात कही थी कि यदि किसी समाज की प्रगति के बारे में सही-सही जानना है तो उस समाज की स्त्रियों की स्थिति के बारे में जानो। कोई समाज कितना मज़बूत हो सकता है, इसका अंदाजा इस बात से इसलिए लगाया जा सकता है क्योंकि स्त्रियां किसी भी समाज की आधी आबादी हैं। बिना इन्हें साथ लिए कोई भी समाज अपनी संपूर्णता में बेहतर नहीं कर सकता है।
बहरहाल, कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय समाज में आज महिलाओं को लगातार सशक्त बनाने की दिशा में अनेक कदम उठाए जा रहे हैं क्योंकि यह बात हम सभी जानते हैं कि जब भारत की नारी सशक्त होगी तभी परिवार सशक्त होगा, परिवार के बाद समाज और समाज के बाद देश सशक्त होगा। इस संबंध में हाल ही में (11 दिसम्बर को) हरियाणा के पानीपत के कम्युनिटी सेंट्रल हाल में महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीमा सखी योजना का आगाज किया है। उल्लेखनीय है कि एलआईसी बीमा सखी योजना 18 से 70 साल की महिलाओं (दसवीं पास) के लिए है। इसमें महिलाओं को पहले तीन साल की ट्रेनिंग दी जाएगी और इस ट्रेनिंग पीरियड के दौरान महिलाओं को कुछ पैसे (दो लाख रुपए से अधिक) भी मिलेंगे। उल्लेखनीय है कि इसमें पहले साल 7 हजार, दूसरे साल 6 हजार और तीसरे साल 5 हजार रुपये महीना मिलेंगे। इसमें बोनस कमीशन शामिल नहीं है। इसके लिए शर्त रहेगी कि महिलाएं जो भी पॉलिसी बेचेंगी, उनमें से 65 प्रतिशत अगले साल के आखिर तक सक्रिय (इन-फोर्स) रहनी चाहिए। इस योजना के तहत दसवीं पास महिलाएं पहले साल हर महीने कम से कम दो और साल में 24 पालिसी बेचेंगी। उन्हें बोनस के अलावा कमिशन के तौर पर 48 हजार रुपये वार्षिक मिलेंगे यानी एक पालिसी के लिए 4 हजार रुपये।
सबसे अच्छी बात यह है कि ट्रेनिंग के बाद महिलाएं एलआईसी बीमा एजेंट के रूप में काम कर सकेंगी। इतना ही नहीं इस योजना के तहत, बी.ए. पास बीमा सखियों को विकास अधिकारी यानी डेवलेपमेंट ऑफिसर बनने का मौका भी मिल सकता है। वास्तव में, इस योजना के तहत महिलाएं अपने इलाके की महिलाओं को बीमा कराने के लिए प्रोत्साहित करेंगी। इस योजना का मुख्य और अहम् मकसद देश की महिलाओं को आत्मनिर्भर व आर्थिक रूप से सक्षम बनाना है। यहां पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि महाराष्ट्र में ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिण योजना’ 1 जुलाई 2024 से चल रही है। इसके तहत पात्र महिलाओं को 1500 रुपये प्रति माह दिए जा रहे है। इधर मध्य प्रदेश की लाडली बहना योजना के बारे में कौन नहीं जानता। कहना गलत नहीं होगा कि इस योजना के वृहद स्वरूप ने प्रदेश की महिलाओं के समग्र सशक्तिकरण में महती भूमिका निभाई है। इस योजना से न केवल महिलाओं ने अपनी छोटी-छोटी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा किया है बल्कि योजना का लाभ प्राप्त करने के लिये महिलाएं बैंकिंग प्रणाली से सीधे परिचित हुई हैं। इससे परिवार के निर्णयों में भी उनकी भूमिका बड़ी है और सामाजिक रूप से महिलाओं के सम्मान में वृद्धि हुई है।
बहरहाल, पाठकों को बताता चलूं कि देश में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की शुरुआत भी वर्ष 22 जनवरी 2015 में हरियाणा के पानीपत से ही हुई थी। हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी विकसित भारत के चार स्तम्भ (गरीब, युवा, किसान और महिला) मानते हैं, और महिला सशक्तिकरण उनमें से एक है। आज देश में नारी समानता पर लगातार काम हो रहा है और देश की महिलाएं लगातार सशक्त हो रहीं हैं। आज राजनीति में संसद और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के मकसद से ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ लाया गया है। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए हरियाणा में पांच लाख लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य दिया है। एक अन्य अभियान नमो ड्रोन दीदी का है, जिसमें स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन पायलटों का मुफ्त प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
महिलाओं के लिए प्रधानमंत्री उज्जवला योजना है। इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर गृहणियों को रसोई गैस सिलेंडर उपलब्ध कराया जा रहा है। इतना ही नहीं, महिला सशक्तिकरण की दिशा में ही देश में 10 अक्तूबर 2019 से सुरक्षित मातृत्व आश्वासन सुमन योजना भी चलाई जा रही है जिसके तहत 100 प्रतिशत तक अस्पतालों या प्रशिक्षित नर्सों की निगरानी में महिलाओं के प्रसव को किया जाता है। ताकि प्रसव के दौरान मां और उसके बच्चे के स्वास्थ्य की उचित देखभाल की जा सके। सुकन्या समृद्धि योजनाए फ्री सिलाई मशीन योजना और महिला शक्ति केंद्र योजना अन्य योजनाएं हैं जो लगातार महिलाओं को आर्थिक रूप आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में काम कर रही हैं।