राज्यपाल की चिंता

पंजाब के राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया को प्रदेश में आए हुए अभी कुछ माह ही हुए हैं लेकिन इस समय में उन्होंने अपनी गतिविधियों के साथ यह अहसास ज़रूर करवा दिया है कि उनके भीतर राज्य के लिए चिन्ता है। वह पड़ोसी राज्य राजस्थान से संबंध रखते हैं। उन्होंने एक सफल राजनीतिज्ञ के तौर पर अपना नाम बनाया है। इसके अलावा वह सांसद भी रहे और भाजपा के केन्द्रीय मंत्रियों के साथ भी उनके नज़दीकी संबंध रहे हैं। राज्यपाल के पद पर नियुक्त होते ही उन्होंने अपनी प्राथमिकता सीमावर्ती ज़िलों का दौरा करने की बनाई थी। अब तक वह पंजाब के 5 सीमावर्ती ज़िलों का दौरा कर चुके हैं। उन्होंने लोगों के साथ अपने सम्पर्क दौरान उनके हालात को जानने का यत्न किया है। उनसे पहले राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने भी अपने कार्यकाल के दौरान सीमावर्ती ज़िलों के दौरे करने को प्राथमिकता दी थी।
पंजाब की पाकिस्तान के साथ सटी सीमा 500 किलोमीटर से भी ज्यादा है। पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध अकसर अच्छे नहीं रहे। दोनों देशों की आपस में सख्त कशमकश भी चलती रही है। इसलिए ये सीमाएं बहुत संवेदनशील रही हैं। इनके द्वारा पाकिस्तान से भारत विरोधी तत्व घुसपैठ करते रहे हैं। एक समय ऐसा आना-जाना इस कदर बढ़ गया था कि इन सीमाओं पर सरकार को कांटेदार तार लगानी पड़ी थी, परन्तु इसके बावजूद भी अनेक चोर रास्तों द्वारा हर तरह की तस्करी का धंधा चलता रहा है। पाकिस्तानी सेना के इरादे भारत के प्रति कभी भी अच्छे नहीं रहे। इसलिए वह भारत विरोधी तत्वों को अपनी कार्रवाइयां करने के लिए उत्साहित ही करती रही है। पिछले लम्बे समय से ड्रोनों द्वारा भारत में नशे और हथियार भेजने की कारवाइयां जारी रही हैं। इस कारण सीमावर्ती क्षेत्रों में अच्छे उद्योग भी नहीं लगाए जा सके और न ही दोनों देशों के संबंध असुखद होने के कारण कोई बड़ा व्यापारिक आदान-प्रदान ही हो सका है। अफगानिस्तान तथा अन्य केन्द्रीय एशिया के देशों के साथ ज़मीनी रास्ते से व्यापार करने में भी पाकिस्तान हमेशा बाधाएं भी उत्पन्न करता रहा है। श्री कटारिया इन क्षेत्रों में विकास करवाने के इच्छुक रहे हैं। 
राज्य में फैल चुके नशे के जाल को तोड़ने के लिए वह अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ सीमांत क्षेत्रों को विशेष प्राथमिकता देना चाहते हैं। ‘अजीत समाचार’ से बातचीत करते हुए जहां उनका पंजाब तथा पंजाबियत के प्रति प्यार झलकता दिखाई दिया, वहीं वह इसके विकास में भी अपना बनता योगदान डालने के इच्छुक हैं। उन्हें दुख है कि पंजाब जो किसी समय प्रत्येक पक्ष से देश का अग्रणी राज्य था, आज वह अनेक क्षेत्रों में बुरी तरह पिछड़ चुका है। इसे पुन: उठाने के लिए बड़े यत्नों की ज़रूरत है। नशे की दलदल में फंसे राज्य के प्रति उन्होंने गम्भीर चिन्ता व्यक्त की, जो पंजाब की नौजवानी को निगल रहे हैं। इसीलिए उन्होंने ‘अजीत समाचार’ के साथ बातचीत में नशों के खिलाफ बड़ा आन्दोलन शुरू करने की इच्छा प्रकट की और यह भी कहा कि वह अपने कार्यकाल के दौरान नशों के खिलाफ आरम्भ की गई अपनी जंग को जारी रखेंगे। इस संबंधी उन्होंने पंजाबियों के प्रत्येक वर्ग को एकजुट होकर प्रयास करने का भी आह्वान किया और स्वयं भी वह क्रियात्मक रूप में इस मैदान में उतरने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
नशे के खिलाफ उनकी दो दिवसीय पैदल यात्रा लोगों के मन में चेतना पैदा करने का यत्न है। वह राज्य सरकार से भी यह आशा रखते हैं कि उनके द्वारा आरम्भ किये गये यत्नों में पूरा सहयोग देगी। उन्होंने इस बात पर भी चिन्ता व्यक्त की कि आज जिस प्रकार का माहौल राज्य में सृजित किया जा चुका है, वह उद्योगों तथा व्यापार को निरुत्साहित करने वाला है। नशों के साथ-साथ युवाओं में बढ़ती बेरोज़गारी भी उनके लिए चिन्ता का कारण है। पंजाब के किसानों के मामले भी वह बातचीत से सुलझाने के समर्थक हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अपने तौर पर उन्होंने राज्य के फंडों तथा आधारभूत ढांचे के विकास हेतु सहायता प्राप्त करने के लिए केन्द्र सरकार के बड़े मंत्रालयों के साथ सम्पर्क किया है। राज्य सरकार को भी राज्य की बेहतरी के लिए श्री कटारिया से लगातार पूरा सम्पर्क बना कर केन्द्र सरकार द्वारा यहां लागू की जाने वाली योजनाओं का पूरा लाभ लेने हेतु सक्रियता से कार्य करने की ज़रूरत होगी। जन चेतना पैदा करने के साथ-साथ प्रशासनिक स्तर पर भी सब के सहयोग से की जाने वाली पुख्ता कार्रवाइयां ही राज्य के बेहतर भविष्य की ज़ामिन हो सकती हैं। 

    —बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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