राजनीति में अब नई इबारत लिखेंगी प्रियंका गांधी !
देश में पिछले दिनों जहां महाराष्ट्र व झारखण्ड में विधानसभा चुनाव सम्पन्न हुये वहीं विभिन्न राज्यों की कई सीटों पर विधानसभा व लोकसभा के उप-चुनाव भी करवाए गए। इन्हीं में एक केरल की वायनाड संसदीय सीट भी थी जिस पर 2024 के आम चुनावों में राहुल गांधी रायबरेली के साथ-साथ वहां से भी विजयी हुये थे। बाद में राहुल ने वायनाड सीट छोड़कर रायबरेली की सीट अपने पास रखी। इसी सीट पर हुये उप-चुनाव में कांग्रेस ने प्रियंका गांधी वाड्रा को पहली बार लोकसभा चुनाव में उतारा। प्रियंका को यहां राहुल गांधी से भी अधिक मत हासिल हुये और उन्होंने 4 लाख से अधिक वोट के अंतर से ऐतिहासिक जीत हासिल की।
उल्लेखनीय है कि अपने व्यक्तित्व में अपनी दादी इंदिरा गांधी के दर्शन का एहसास कराने वाली प्रियंका गांधी को पहली बार इतने भारी मतों से उस केरल राज्य के लोगों ने चुना है जो देश का सबसे शिक्षित राज्य है। भरतीय जनता पार्टी तमाम प्रयासों के बावजूद वहां अपनी दाल गला नहीं पाती। केरल के लोग भाजपा को वोट क्यों नहीं देते इस पर कांग्रेस या विपक्ष क्या कहता है, उससे ज़्यादा महत्व इस बात का है कि स्वयं भाजपा इस बारे में क्या सोचती है। इस विषय पर जब मार्च 2021 में केरल भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व केरल भाजपा के अध्यक्ष रहे वरिष्ठ नेता राजागोपाल से पूछा गया कि भाजपा केरल में अपनी राजनीतिक ज़मीन क्यों नहीं तैयार कर पाती, इस प्रश्न के उत्तर में राजगोपल ने कहा, ‘केरल अलग तरह का प्रदेश है। दो-तीन प्रमुख कारण हैं। एक तो यह कि केरल की साक्षरता दर 90 प्रतिशत है। यहां के लोग सोचते हैं, तार्किक हैं। ये शिक्षित लोगों की आदतें हैं। दूसरी बात यह कि केरल में 55 प्रतिशत हिन्दू हैं और 45 प्रतिशत अल्पसंख्यक हैं। हर गणना में यह चीज़ आती है। ऐसे में केरल की तुलना किसी अन्य राज्य से नहीं की जा सकती है। केरल भाजपा नेता राजागोपाल द्वारा पेश की गयी इसी थ्योरी को यदि उलट दिया जाये तो समझा जा सकता है कि भाजपा जिन राज्यों में अपना जनाधार बढ़ा रही है, उसकी दरअसल वजह क्या है।
बहरहाल केरल की शिक्षित जनता ने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने वाली गांधी-नेहरू परिवार की बेटी को वायनाड से रिकार्ड जीत दिलवाकर अपना मंतव्य स्पष्ट कर दिया कि देश की शिक्षित व तर्कपूर्ण जनता को गांधी-नेहरू परिवार की इस बेटी से बहुत उम्मीदें हैं। निश्चित रूप से प्रियंका गांधी ने न केवल दादी इंदिरा गांधी व पिता राजीव गांधी के साथ लम्बे समय तक प्रधानमंत्री निवास में रह कर राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के गुण सीखे हैं बल्कि पिता राजीव, मां सोनिया व भाई राहुल गांधी के चुनावों में अहम भूमिका निभाकर चुनावी राजनीति में भी पूरी महारत हासिल की है। राहुल गांधी ने यूंही नहीं कहा था कि यदि प्रियंका 2024 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी से नरेंद्र मोदी के विरुद्ध चुनाव लड़तीं तो निश्चित रूप से वह मोदी को पराजित कर सकती थीं, क्योंकि 2019 में जिस वाराणसी में नरेंद्र मोदी ने 4 लाख 79 हज़ार वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की थी, वह अंतर इस बार घटकर 1 लाख 52 हज़ार रह गया है। यहां मोदी के विरुद्ध कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने वाले अजय राय को 4 लाख 60 हज़ार वोट मिले थे। इस लिहाज़ से वाराणसी से मोदी के विरुद्ध प्रियंका की उम्मीदवारी देश की राजनीति की एक नई पटकथा लिख सकती थी।
अपनी जीत के बाद पहली बार प्रियंका गांधी ने जिन शब्दों में मतदाताओं का आभार व्यक्त किया वह भी काबिल- ए-तारीफ थे। उन्होंने कहा ‘आपने मुझ पर जो भरोसा जताया है उसके लिए मैं आपकी बहुत आभारी हूं। मैं यह सुनिश्चित करूंगी कि समय के साथ, आपको वास्तव में यह महसूस हो कि यह जीत आपकी जीत है और जिस शख्स को आपने अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना है, वह आपकी उम्मीदों और सपनों को समझता है और आपके लिए लड़ता है। मैं संसद में आपकी आवाज़ बनने के लिए उत्सुक हूं।’ निश्चित रूप से देश की जनता भी भारतीय संसद में प्रियंका गांधी की आवाज़, उनका अंदाज़ तथा उनके द्वारा देशहित में उठाये जाने वाले मुद्दों को सुनने के लिये बेहद उत्सुक है। गत लगभग दो दशक से प्रियंका गांधी ने कांग्रेस पार्टी के चुनाव प्रचार में अपनी जिस क्षमता व दक्षता का परिचय दिया है, उससे कांग्रेस को भी लाभ हुआ है और कांग्रेस जनों में भी उत्साह का संचार हुआ है।
प्रियंका गांधी का संसद में प्रवेश ऐसे समय में हुआ है जबकि सत्तरूढ़ भाजपा साम-दाम-दंड-भेद सभी तरीके अपना कर सत्ता में बने रहना चाहती है। कांग्रेस संविधान व लोकतंत्र की रक्षा की बात करती है जबकि भाजपा के कई नेता संविधान बदलने की बातें करते रहे हैं। उधर ‘इडिया’ गठबंधन भी 2024 में अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद मज़बूत विपक्ष की भूमिका अदा नहीं कर पा रहा। राहुल गांधी निश्चित रूप से अपनी क्षमता से अधिक मेहनत कर सत्ता से मुकाबला करने से लेकर पार्टी को मज़बूत बनाने तक के लिये काफी काम कर रहे हैं। जिस तरह पूर्व में प्रियंका गांधी ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए आवाज़ बुलंद की है, कानून व्यवस्था के मुद्दे उठाये हैं, दलितों, किसानों व गरीबों के लिये आवाज़ उठाई है, उससे माना जा सकता है कि प्रियंका समाज के शोषित व पीड़ित वर्ग की आवाज़ तो बनेंगी ही, साथ ही राजनीति में अब नई इबारत भी लिखेंगी।