प्रधानमंत्री मोदी की अमरीका यात्रा का मकसद क्या है ?   

अमरीका के नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के एक सप्ताह बाद 27 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प के बीच फोन पर बातचीत हुई थी। इस दौरान दोनों नेता व्यापार, उर्जा और रक्षा के क्षेत्र में भारत-अमरीका सहयोग को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक भरोसेमंद साझेदारी की दिशा में काम करने पर सहमत हुए थे। प्रधानमंत्री  मोदी का अमरीका दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब ट्रंप ताबड़तोड़ फैसले ले रहे हैं और इन सबके केंद्र में ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति है। तो चलिए ऐसे में जानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा भारत के लिए क्यों और कैसे अहम साबित हो सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से पहले ‘व्हाइट हाउस’ ने जिस तरह के संकेत दिए हैं उसे समझना भी बेहद दिलचस्प है। ‘व्हाइट हाउस’ ट्रंप की मोदी की बातचीत को सार्थक बताते हुए कहा है कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापारिक संबंधों समेत भारत-अमरीका सहयोग को और अधिक गहरा करने की दिशा में काम करने पर जोर दिया है। यहां देखने वाली बात यह भी है कि एक तरफ अमरीका भारत के साथ संबंधों को प्राथमिकता दे रहा है तो वहीं ट्रंप प्रशासन ने उच्च शुल्क वाले देशों की श्रेणी में चीन और ब्राजील के अलावा भारत का नाम भी शामिल किया है। यहां यह जानना भी ज़रूरी है कि अमरीका भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। अमरीका भारत के बड़े कारोबारी साझेदारों में एकमात्र देश है जिससे भारत का व्यापार घाटा नहीं है। यानी भारत अमरीका में अपना सामान बेचता ज्यादा है और खरीदता कम है। अब मोदी के इस दौरे से ट्रंप सरकार के रुख में क्या बदलाव आएगा यह देखने वाली बात होगी। 
अमरीका और अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं के लिए निरंतर आर्थिक सुधारों और कारोबारी सुगमता में बेहतरी के कारण भारत उनके लिए आकर्षक गंतव्य बन गया है। ऐसे में भारत और अमरीका के संबंध कई मायनों में महत्वपूर्ण है। सुरक्षा संबंध भी इसमें अहम हैं। ट्रंप और मोदी के बीच हिंद-प्रशांत, पश्चिम एशिया और यूरोप में सुरक्षा समेत कई मुद्दों पर भी चर्चा हुई है। ‘व्हाइट हाउस’ ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने अमरीका में निर्मित सुरक्षा उपकरणों की भारत द्वारा खरीद बढ़ाने और उचित द्विपक्षीय व्यापार संबंधों की दिशा में आगे बढ़ने के महत्व पर जोर दिया है। भारत ने हाल के वर्षों में अमरीका से रक्षा उपकरणों की खरीद की है, इनमें हेलिकॉप्टर तक शामिल हैं लेकिन भारत के फाइटर जेट तेजस के लिए इंजन आपूर्ति में देरी अमरीकी मंशा पर सवाल खड़े करती है। ऐसे में भारत को विकल्प तलाशने होंगे। अब प्रधानमंत्री मोदी के इस अमरीका दौरे से सुरक्षा मुद्दों पर व्यापक सहमति किस स्तर तक बन पाती है यह देखना दिलचस्प होगा।
हिंद प्रशांत क्षेत्र विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला और आर्थिक रूप से सक्रिय क्षेत्र है, जिसमें चार महाद्वीप शामिल हैं एशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अमरीका। इस क्षेत्र में चीन के बढते दखल से सारे देश सतर्क हैं। दरअसल, चीन से मिलने वाली चुनौतियों से पार पाने के मकसद से ही क्वाड का गठन किया गया है। इस क्षेत्र में भारत की भूमिका अहम है। अमरीका, ऑस्ट्रेलिया व जापान, चीन का मुकाबला करने के लिए दक्षिण चीन सागर तथा पूर्वी चीन सागर में भारत की उपस्थिति चाहते हैं। इन देशों के एक मंच पर आने से चीन को जवाब दिया जा सकता है। चीन की विस्तार नीति को क्वाड के जरिए रोकना आसान होगा। मोदी और ट्रंप ने भी अपनी बातचीत के दौरान अमरीका-भारत रणनीतिक साझेदारी और हिंद-प्रशांत क्वाड साझेदारी को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया है।
फिलहाल किसी देश की ताकत उसकी तकनीकी सम्पन्नता पर काफी हद तक निर्भर करती है। इसमें चीन कई मामलों में अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया से बहुत आगे है। खासकर सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में चीन का दबदबा है। अमरीका ने पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में काफी तरक्की की है, पर अब भी वह चीन से पीछे है। भारत ने सेमीकंडक्टर निर्माण की दिशा में तेजी से कदम आगे बढ़ाया है, मगर अब भी लंबा रास्ता तय करना है। अब नई तकनीकों के क्षेत्र में भारत और अमरीका साथ आते हैं तो निश्चित ही यह दोनों देशों के लिए बेहतर होगा और चीन के दबदबे को काफी हद तक कम किया जा सकेगा। मोदी अमरीका यात्रा से भारत को किस तरह के तात्कालिक और दूरगामी लाभ मिलेंगे इस पर नज़र जरूर रहेगी।  
बताया जाता है कि इस समय ट्रम्प अमरीकी वाहनों पर अपने देश के करों के बारे में नाराज़ हैं, एक गुस्सा जो उन्होंने सार्वजनिक रूप से कई बार व्यक्त किया है। ट्रंप को अपना अमरीकी दौरा शुरू करने के लिए इस मुद्दे पर ‘चुप’ रहने की ज़रूरत है। ताजा बजट में आयात शुल्क को करीब 50 फीसदी कम करने का फैसला किया गया है और आयात शुल्क को अब 125 प्रतिशत से घटाकर 70 प्रतिशत किया जाएगा। अपने नवीनतम झगड़े में ट्रम्प ने पड़ोसी मैक्सिको, कनाडा और दूर-दराज के चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाए, पड़ोसी मेक्सिको और कनाडा के लिए 25 प्रतिशत से, चीन के लिए 10 प्रतिशत, जिसका अर्थ है कि इन तीन देशों के उत्पाद अमरीका में बहुत अधिक महंगे होंगे। भारत में दोपहिया वाहनों की कीमतों में उतने ही प्रतिशत की कमी आएगी। दोनों एक ही दिन हुए थे। इससे इस फैसले की अहमियत के साथ-साथ ऐसे फैसले लेने वालों की मानसिकता का भी पता चलता है। ट्रम्प ने जो किया है उसे विश्व स्तर पर ‘व्यापार युद्ध की शुरुआत’, ‘नया व्यापार युद्ध’ और इसी तरह वर्णित किया गया है लेकिन एक और महत्वपूर्ण सवाल यह है कि हमारे साथ क्या होगा?

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