किसानों की आय कैसे बढ़े ?

किसानों की मायूसी दूर करने के लिए उनकी आय बढ़ाने की ज़रूरत है। धान-गेहूं का फसली चक्र लाभदायक हो, इसलिए न्यूयतम समर्थन मूल्य का होना ज़रूरी है ताकि किसान अपनी फसल के मंडीकरण के लिए मंडियों में परेशान न हों। किसानों को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पी.ए.यू.) के वैज्ञानिकों द्वारा यह जानकारी देना ज़रूरी है कि उन्हें कृषि को अब जीवन-यापन का साधन ही नहीं समझना चाहिए, अपितु इसे व्यापारिक स्तर पर करने की आवश्यकता है, जिसके लिए फसली विभिन्नता लाना बहुत ज़रूरी है। अधिक आय प्राप्त करने के लिए फसली विभिन्ता के अतिरिक्त योजनाबंदी  की भी ज़रूरत है। योजनाबंदी करके किसान उच्च गुणवत्ता वाले फल पैदा करके 5 लाख रुपये प्रति एकड़ तक भी कमा रहे हैं। फलों की काश्त के अधीन रकबा तो बढ़ रहा है, परन्तु बहुत धीरे-धीरे। वर्ष 2009-10 में फलों की काश्त 67,554 हैक्टेयर रकबे पर की जाती थी, जो अब एक लाख से अधिक हैक्टेयर रकबे पर हो रही है। जो फल पंजाब में पैदा किए जा रहे हैं, उनमें किन्नू, लैमन, आम, लीची, अमरूद, नाशपाती, आड़ू, अंगूर, बेर, आंवला, केला आदि शामिल हैं। फलों से अधिक आय होने के बावजूद इनकी काश्त अधीन रकबे का तेज़ी से न बढ़ना ज़ाहिर करता है कि बाग लगाने हेतु लागत का अधिक होना, उत्पादन एवं आय के लिए वर्षों तक इंतज़ार करना तथा बाग की देखभाल के लिए लगातार जद्दोजहद करना आदि कारण ज़िम्मेदार हैं। बागवानी के साथ-साथ सब्ज़ियों की काश्त के अधीन रकबा कुछ कम रफ्तार से अवश्य बढ़ रहा है। यह वर्ष 2011-12 के 2,76,584 हैक्टेयर से बढ़ कर गत वर्ष (2023-24) में 4,82,000 हैक्टेयर हो गया है। बागवानी के अधीन राज्य के 6 लाख मिलियन हैक्टेयर से अधिक कुल रकबे का सिर्फ 6 प्रतिशत है, जिसे बढ़ाने की ज़रूरत है।
सब्ज़ियों की काश्त (जिसके बढ़ने की काफी सम्भावना है) बहुत तेज़ी से इस कारण नहीं बढ़ रही क्योंकि इसमें कीमतों का बहुत उतार-चढ़ाव है। गत वर्ष जब नवम्बर में फूल गोभी एवं बंद गोभी मंडी में बिकने के लिए आई थी, तो उपभोक्ताओं को 60 से 80 रुपये प्रति किलो तक खरीद करनी पड़ रही थी। अब फूल गोभी 8 से 10 रुपये प्रति किलो तक उपभोक्ताओं को मिल रही है और बंद गोभी 15 से 20 रुपये प्रति किलो बिक रही है जबकि मंडियों में तुड़वाई तथा उठान आदि का खर्च निकाल कर 2 से 4 रुपये प्रति किलो ही किसानों के हिस्से आते हैं।  इससे किसानों का खर्च भी पूरा नहीं होता। सब्ज़ियों की कीमत स्थिर रखने के लिए सरकार को ठंडी चेन तथा अन्य आवश्यक सुविधाएं बढ़ानी चाहिएं। धान-गेहूं के फसली चक्र से रकबा निकल कर बागवानी फसलों के अधीन लाने के लिए किसानों को इन फसलों का ज्ञान तथा आय एवं खर्च संबंधी पूरी जानकारी बागवानी विशेषज्ञों के जरिये मिलनी बहुत ज़रूरी है, जो अब नहीं मिल रही। ज्ञान तथा जानकारी प्राप्त करके औषधिक पौधे एवं फूल के बीज तथा मुश्रूम आदि पैदा करके 1.5 बीघे रकबे से किसान एक लाख रुपये तक की पैदावार कर सकते हैं। बागवानी विभाग के पूर्व डिप्टी डायरैक्टर डा. सवर्ण सिंह मान (सेवा मुक्त) कहते हैं कि जैसे सरकार ठंडी चेन तथा अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कर रही है और इन सब्सिडी दे रही है, तो सब्ज़ियां अरब देशों को भी निर्यात की जा सकती हैं। साधनों का उचित इस्तेमाल, कृषि सामग्री की सही खरीद एवं काश्त संबंधी योजना बनाना तथा अधिक आय की प्राप्ति के लिए मंडीकरण संबंधी ज्ञान एवं फसल की बिक्री संबंधी सही विचार-विमर्श भी आय बढ़ाने के लिए ज़रूरी हैं।  कृषि में हिसाब-किताब रखना भी आवश्यक है। इससे किसान कम आय वाले कार्यों को छोड़ कर तथा अधिक आय वाली फसलों को अपनाकर कृषि को लाभदायक बना सकते हैं। 

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