नमोशी भरी वापसी

पिछले समय में ़गैर-कानूनी ढंग से अमरीका में दाखिल हुए ज्यादातर लोगों में से 104 भारतीय अमृतसर हवाई अड्डे पर पहुंच गए। उन्हें एक अमरीकी सैनिक विमान में भेजा गया। पंजाब के अतिरिक्त इनमें हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र तथा उत्तर प्रदेश के लोग भी शामिल है। सूचनाओं के अनुसार ऐसे हज़ारों ही भारतीय अमरीका में हैं, जिन्हें आगामी समय में ज़बरन भारत भेजा जा सकता है। 
अमरीका एक शक्तिशाली और विकासशील देश है। वहां हर तरह के रोज़गार की सम्भावनाएं बनी रहती हैं। इसलिए विश्व भर के पिछड़े और ़गरीब देशों के लोग किसी न किसी बहाने वहां जाने की चाहत रखते हैं। यदि कानूनी तौर पर दाखिला नहीं मिलता तो वह वहां दाखिल होने के लिए अनेक तरह के ़गैर-कानूनी ढंग-तरीके अपनाते रहते हैं। अमरीका का पड़ोसी मैक्सिको जिसकी आर्थिक स्थिति मज़बूत नहीं, वहां के लोग भी किसी न किसी तरह सीमाएं पार करके अमरीका में दाखिल हो जाते हैं। बहुत-से अन्य देशों के लोग भी इन रास्तों द्वारा यहां दाखिल होने की तलाश में रहते हैं। अमरीकी सरकार उनकी पहचान करके उन्हें अक्सर उनके अपने देश में भेजती रहती है। अब नए बने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस ओर अधिक कड़ा कदम उठाने की घोषणा की है। आते ही उन्होंने ़गैर-कानूनी प्रवासियों को उनके देशों में सख्ती से भेजने के लिए कदम उठाए हैं। इनमें होंडुरास, ग्वाटेमाला, सलवाडोर और पेरू आदि देशों के ़गैर-कानूनी प्रवासी शामिल हैं। इसी तरह हज़ारों भारतीय भी ़गैर-कानूनी ढंग से अमरीका में रह रहे हैं। इस संबंध में भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने भी विगत दिवस अपने अमरीकी दौरे के दौरान वहां के संबंधित अधिकारियों के साथ बातचीत की थी। उन्होंने ट्रम्प प्रशासन को यह विश्वास दिलाया था कि जो भी भारतीय नागरिक वहां ़गैर-कानूनी ढंग से रह रहे हैं भारत उन्हें वापस लेने के लिए तैयार है। इस संबंध में विदेश मंत्रालय ने भी कई बयान दिए थे परन्तु डोनाल्ड ट्रम्प का काम करने का अपना ही अनोखा ढंग-तरीका है।
दूसरे देशों के साथ उठे मामलों को वार्ता द्वारा सुलझाने के स्थान वह एक तरफा तौर पर निर्देश देने के आदी हैं। स्वयं ही उन्होंने अपने पड़ोसियों कनाडा और मैक्सिको से निर्यात की जाती वस्तुओं पर भारी कर लगाने के आदेश दे दिए थे। चीन जैसे देश के साथ भी उन्होंने ऐसा ही व्यवहार किया। आगामी दिनों में अन्य कई देशों पर भी वह ऐसे कर लगा सकते हैं। उसकी सूची में भारत भी शामिल है। वह यही ढंग-तरीका ़गैर-कानूनी प्रवासियों के प्रति भी अपना रहे हैं। उन्होंने अमरीका में कोलम्बिया के ़गैर-कानूनी नागरिकों को सख्ती से विमानों में बिठा कर भेजना शुरू कर दिया था, जिस पर कोलम्बिया सरकार द्वारा आपत्ति दर्ज करवाए जाने पर उन्होंने उस पर कई तरह की पाबन्दियां लगाने के बयान देने शुरू कर दिए थे। इसी कारण कोलम्बिया को पीछे हटना पड़ा। 
इस मामले पर भारत के साथ भी उन्होंने ऐसा ही व्यवहार करना शुरू कर दिया है। भारत सरकार के विश्वास के बावजूद उन्होंने पहली खेप में ज़बरन 104 भारतीयों को वापस भेजा है। ऐसा उस समय किया गया है, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमरीका की यात्रा आगामी दिनों में होने की चर्चाएं हैं। इसके बावजूद ट्रम्प की ओर से किया गया ऐसा व्यवहार दोनों देशों के गहन संबंधों को प्रभावित कर सकता है। भारत को इस पक्ष से भी विचार करने की ज़रूरत है कि बड़ी संख्या में भारतीय ऐसा ़गैर-कानूनी प्रवास क्यों और कैसे करते हैं? सरकार को उन ट्रैवल एजेंटों पर भी शिकंजा कसने की ज़रूरत है, जो ऐसा करने के लिए लोगों को उकसाते हैं और अपनी फीसें लेने के लिए लोगों को अंधे कुएं में धकेलने का काम करते हैं। इसलिए आज विदेशों से बड़ी संख्या में युवाओं के बुरी तरह भटकने के दु:खद समाचार आते रहते हैं। भारत जो निकट भविष्य में विश्व की बड़ी शक्ति बनने का दावा कर रहा है, को भी भारी संख्या में बेरोज़गारी का सामना कर रहे युवाओं की सुध लेने की ज़रूरत होगी, ताकि वे हर ढंग-तरीके से यहां से निकल कर विदेशों में भटकने के लिए विवश न हों।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

#नमोशी भरी वापसी