हरियाणा के कैल गांव के 72 बच्चे विदेश में, परिजन बोले, एजेंटो पर हो कारवाई
यमुनानगर, 7 फरवरी - यमुनानगर जिले के कैल गांव के करीब 72 बच्चे विदेश पढ़ाई या फिर नौकरी कर रहे हैं। अमेरिका से भारत में डिपोर्ट किए गए युवाओं को लेकर पूरे देश में इस वक्त बेचैनी है। इसको लेकर कोई भारत सरकार को कोस रहा है तो कोई अमेरिका सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहा है। जब हमने कैल गांव में विदेश में पढ़ने वाले उनके परिजनों और उन युवाओं से बातचीत की तो उनका दर्द निकलकर सामने आया। कर्मवीर जिन्होंने अपने बेटे को अमेरिका भेजा हुआ है उनका कहना है कि केंद्र सरकार को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और जो युवा अपनी ज़मीन बेचकर विदेश गए थे उनकी तरफ सरकार को अब ध्यान देना चाहिए। अमेरिका से अपने घर छुट्टियों पर लौटे कुलदीप सिंह ने कहा कि अब यह बच्चे पूरी तरह से बेरोजगार हो गए हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की है कि अगर पहले बच्चों की स्किल की ओर ध्यान दिया जाता तो शायद यह युवा विदेश न जाते। उन्होंने इसके लिए सिस्टम को कसूरवार बताया है। कुलदीप सिंह का कहना है कि अब यह युवा 4 से 5 साल तक यूरोप के किसी भी देश में नहीं जा सकते। साहब सिंह जिनका बेटा कुछ दिन पहले न्यूजीलैंड गया था उन्होंने कहा कि डोंकी के रास्ते किसी भी युवा को विदेश नहीं जाना चाहिए। क्योंकि इसमें जोखिम और आर्थिक जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ जाती है।उन्होंने कहा कि कुछ युवा जमीन बेचकर गए हैं जो उनके साथ सरासर गलत हुआ है इसके लिए सरकार को कुछ करना चाहिए. ग्रामीण रणधीर का कहना है कि देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि खराब हुई है जो खुद को विश्व गुरु कहता था आज उन युवाओं को बंदी बनाकर भारत लाया गया है। यहां तक की कोलंबिया ने भी अमेरिकी जहाज को यहां उतरने नहीं दिया। अब इन युवाओं की जिम्मेदारी सरकार को उठानी चाहिए या फिर संतों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। आपको बताने की कैल गांव को बुजुर्गों का गांव कहा जाता है क्योंकि यहां के ज्यादातर युवा विदेश गए हुए हैं। एक कुनबे से तो 21 युवा ही अलग-अलग देश में गए हैं। ऐसे में यहां पर ज्यादातर लोग विदेश में भेजने के लिए अपने बच्चों को मोटिवेट करते हैं। लेकिन अमेरिका ने अब जो कदम उठाया है उससे कहीं ना कहीं यह भी सहम गए हैं।