मायावती अपने भतीजे आकाश की व्यक्तिगत लोकप्रियता से आशंकित

लखनऊ : पार्टी में बढ़ती लोकप्रियता और दलित युवाओं तथा भाजपा विरोधी रुख ने बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती को अपने भतीजे और उत्तराधिकारी आकाश आनंद को पार्टी के सभी पदों से हटाने पर मज़बूर कर दिया है। मायावती आकाश आनंद और उनके ससुर पूर्व सांसद अशोक सिद्धार्थ के उभरते हुए शक्तिशाली समूह से इतनी हिल गयी हैं कि उन्होंने दोनों को हटा दिया और घोषणा की कि वह किसी को भी अपना उत्तराधिकारी नियुक्त नहीं करेंगी।
लंदन में शिक्षित भतीजे आकाश आनंद की लोकप्रियता सोशल मीडिया पर उनके लाखों फॉलोअर्स और उनकी बैठकों में भारी भीड़ से स्पष्ट है। आकाश आनंद पार्टी और संगठन में बदलाव लाने के लिए जन संपर्क और विजन के साथ दलित आकांक्षाओं के भावी नेता के रूप में उभर रहे थे। उन्हें लगातार अपने ससुर अशोक सिद्धार्थ का मार्ग दर्शन मिलता रहा, जो पार्टी में महत्वपूर्ण पदों पर और राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं।
मायावती के भाई आनंद के बेटे आकाश आनंद की शादी अशोक सिद्धार्थ की बेटी डा. प्रज्ञा से हुई थी। नतीजतन आकाश आनंद और अशोक सिद्धार्थ की टीम मायावती के समानांतर बहुत शक्तिशाली बनकर उभर रही थी। बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष को एहसास हो गया कि अगर अभी कोई कार्रवाई नहीं की गयी तो आकाश आनंद और अशोक सिद्धार्थ की टीम राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी को विभाजित कर सकती है और अंतत: पार्टी में उनकी अपनी स्थिति को नुकसान पहुंचा सकती है।
सबसे पहले मायावती ने पार्टी में गुटबाजी को बढ़ावा देने और पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाल दिया। फिर उन्होंने आकाश आनंद के खिलाफ कार्रवाई की और उन्हें पार्टी के सभी पदों और अपने उत्तराधिकारी के पद से हटा दिया। मायावती ने घोषणा की कि जब तक वह जीवित हैं, तब तक वह किसी को अपना उत्तराधिकारी घोषित नहीं करेंगी।
मायावती ने इससे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान अपने भतीजे आकाश आनंद को भी अपने उत्तराधिकारी के पद से हटा दिया था, जब उन्होंने भाजपा के खिलाफ तीखा हमला किया था। लेकिन एक महीने बाद ही मायावती ने आकाश आनंद को वापस लाकर अपना उत्तराधिकारी बना दिया और उन्हें राष्ट्रीय समन्वयक का पद दे दिया। यहां यह बताना ज़रूरी है कि मायावती 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद अपने भतीजे आकाश आनंद को चर्चा में लायी थी और 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद सपा-बसपा गठबंधन टूटने के बाद उन्हें राष्ट्रीय समन्वयक बना दिया था।
अशोक सिद्धार्थ और उनके दामाद आकाश आनंद को हटाने के बाद मायावती ने बसपा के उपाध्यक्ष अपने भाई आनंद को राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त किया। उन्होंने एक अन्य दलित नेता और राज्यसभा सांसद राम जी गौतम को भी राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त किया। इस तरह मायावती के बाद पार्टी में सबसे ताकतवर व्यक्ति उनके भाई आनंद हैं। यहां यह बताना ज़रूरी है कि मायावती ने संस्थापक कांशीराम के साथ रहे और पार्टी में ताकतवर माने जाने वाले सभी वरिष्ठ नेताओं को पार्टी से हटा दिया था। स्वामी प्रसाद मौर्य, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, राम अचल राजभर, बृजेश पाठक, इंद्रजीत सरोज जैसे लोगों को पार्टी में अहम पद मिले थे, लेकिन मायावती ने उन्हें हटा दिया। बसपा की स्थापना दलित चिंतक काशीराम ने की थी और भाजपा की मदद से मायावती को मुख्यमंत्री बनाने में उनकी अहम भूमिका थी। 2007 में बसपा अपने दम पर उत्तर प्रदेश में सत्ता में आयी और मायावती मुख्यमंत्री बनीं।
2012 के विधानसभा चुनावों के बाद बसपा के वोट शेयर में भारी गिरावट दर्ज की गयी और वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं का पलायन हुआ। 2019 में मायावती का घोर विरोधी समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन का प्रयोग भी बुरी तरह विफल रहा। राजनीतिक टिप्पणीकारों का मानना है कि मायावती पर बहुत दबाव है, इसलिए वह हमेशा समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पर हमला करती रहती हैं। पिछले लोकसभा चुनावों में जब उनके भतीजे आकाश आनंद ने भाजपा पर हमला बोला तो उन्हें सभी पदों से हटा दिया गया। (संवाद)

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