क्रिकेट का दीवाना और शतरंज का सितारा है प्रणव वेंकटेश
प्रणव वेंकटेश ने शतरंज के मोहरे पहली बार साढ़े पांच साल की आयु में देखे थे। वह चेन्नै में एक रिश्तेदार के घर पर थे और वहां बिसात पर मोहरे जानवरों की शक्ल में लगे हुए थे- हाथी, घोड़ा व ऊंट। प्रणव यह देख रहे थे कि उनके पिता वेंकटेश उनके 8-वर्षीय कज़न से बाज़ी हार गये- ये शह और ये मात। घर लौटने पर प्रणव ने अपने पिता से ज़िद की कि उन्हें भी वैसा ही शतरंज चाहिए। उन्होंने वैसे ही शतरंज की तलाश की, लेकिन असफल रहे और आखिर थक हारकर नियमित शतरंज सेट खरीद लिया। वेंकटेश ने अपने बेटे को सिखाया कि मोहरों से चालें कैसे चली जाती हैं। प्रणव नाईट यानी घोड़े की चाल से अत्यधिक प्रभावित हुए। प्रणव बताते हैं, ‘इस खेल में जो हिसाब किताब लगाया जाता है, उसमें मुझे बहुत आनंद आया और शतरंज के प्रति मेरा प्यार निरंतर बढ़ता रहा।’
अब मात्र 18 साल की आयु में प्रणव शतरंज के जूनियर विश्व चैंपियन हैं। मोंटेनेग्रो के तटवर्तीय शहर पेट्रोवक में 8 मार्च 2025 को उन्होंने यह खिताब जीता। पेट्रोवक से चेन्नै तक की लम्बी वापसी फ्लाइट में प्रणव की नींद पूरी नहीं हो पायी थी। इसलिए उनसे जब मुलाकात हुई तो उनकी आंखों में नींद के झोंके बार-बार आ रहे थे, लेकिन चेहरे पर विश्व खिताब हासिल करने की ख़ुशी भी थी। प्रणव ने लगभग पूर्ण आत्मविश्वास से बताया, ‘इस सफलता से शायद मुझे अधिक प्रतियोगिताओं के निमंत्रण मिलेंगें। मैं उम्मीद करता हूं कि मुझे इस साल भारत में होने वाले विश्व कप में खेलने का अवसर मिलेगा। एलो 2700 पार करना और विश्व चैंपियनशिप चक्र के लिए क्वालीफाई करना भी निश्चितरूप से मेरे लक्ष्य हैं।’ लेकिन प्रणव के समक्ष एक छोटी सी समस्या है- स्पांसरशिप की। अपने बेटे के शतरंज सपनों को साकार करने के लिए आईटी प्रोफेशनल वेंकटेश को आर्थिक संघर्षों से गुज़रना पड़ता है। वेंकटेश ने बताया, ‘मैं चेन्नै व उसके आसपास होने वाली प्रतियोगिताओं में प्रणव को अपनी बाइक से ले जाया करता था। लेकिन यह खतरा बनने लगा; क्योंकि थकन की वजह से हमें सफर के दौरान नींद आ जाती थी, इसलिए मैंने कार खरीद ली। मगर वह सफेद हाथी बन गई और हमें उसे बेचना पड़ा।’
वह मानते हैं कि उनके साथ चमत्कार हुए हैं कि जब उम्मीद नहीं थी, तब उन्हें समय पर मदद हासिल हुई थी। वह कहते हैं, ‘एक बार जब ज़रूरत थी तो माइक्रोसेंस ने मदद की। जब प्रणव अपने ग्रैंडमास्टर खिताब के लिए सर्बिया जा रहा था, तो चेसबेस इंडिया ने साधना एप्प के जरिये मदद दिलायी। हाल ही में उसने जो प्रतियोगिताओं में पैसा जीता है, वह उसकी ट्रेनिंग में इस्तेमाल कर दिया जाता है। एक शतरंज खिलाड़ी के रूप में बने रहना व सुधार करना बहुत महंगा पड़ता है। इसलिए अगर कोई स्पोंसर मिल जाये तो बहुत बड़ी मदद हो जायेगी।’ प्रणव पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद की वेस्टब्रिज आनंद चेस अकादमी के सदस्य हैं। वह पिछले साल के शुरू से ग्रैंडमास्टर श्याम सुंदर के साथ ट्रेनिंग कर रहे हैं। श्याम के अनुसार प्रणव ‘गतिशील, चालाक, उपाय कुशल और चालों का हिसाब लगाने में बहुत अच्छे हैं’। श्याम बताते हैं, ‘जिस स्पीड से वह रणनीति को भांप लेते हैं, वह शायद उनकी सबसे बड़ी ताकत है। पिछले कुछ माह के दौरान उनकी पोजीशनल शतरंज में ज़बरदस्त सुधार आया है। ओपनिंग भी उनकी बहुत अच्छी हो गई है और रणनीति के हिसाब से वह मुकम्मल खिलाड़ी बनते जा रहे हैं।
प्रणव वेंकटेश ऐसे शतरंज खिलाड़ी हैं, जो मुकाबले के लिए हरदम तैयार रहते हैं और जीत के लिए खेलने का प्रयास करते हैं। शोर्ट टाइम कंट्रोल में वह शानदार हैं और यह थोड़ा सा ट्रिकी हो सकता है अगर आप लांगर टाइम कंट्रोल पर काम कर रहे हैं। शुरू में यह चुनौतीपूर्ण था, लेकिन मैं चाहता था कि वह रैपिड व ब्लिट्ज में अपनी ताकत को बनाये रखें, क्योंकि खिलाड़ी के लिए हर फॉर्मेट में बेहतर होना विशेष होता है।’ जब से प्रणव व श्याम ने साथ ट्रेनिंग करनी शुरू की है, तब से प्रणव ने अनेक प्रतियोगिताएं जीती हैं जैसे दुबई पुलिस ओपन और चेन्नै ग्रैंडमास्टर्स चैलेंजर्स। श्याम के अनुसार, वर्ल्ड जूनियर के लिए उन्होंने आश्चर्य में डालनी वाली ओपनिंग को प्राथमिकता दी जो काम कर गई। प्रणव बताते हैं, ‘एक बार जब मुझे पोजीशन मिल जाती है, तो मुझे बैठकर हिसाब लगाने में मज़ा आता है। वर्ल्ड जूनियर में मैंने यह बहुत अच्छे से किया और बहुत ही कम गलतियां कीं।’
प्रणव, विराट कोहली और ट्रेविस हेड के फैन हैं। प्रणव को क्रिकेट खेलना पसंद है और श्याम के चेस ट्रेनिंग कैंप में इवनिंग टर्फ क्रिकेट सेशन आवश्यक रूप से आयोजित कराये जाते हैं। श्याम बताते हैं, ‘हम जब साथ ट्रेनिंग करते भी नहीं थे तब भी प्रणव अपने घर (पुरुर) से एक घंटे का सफर तय करके मेरी अकादमी (कोलाथुर में) में क्रिकेट खेलने के लिए आता था। अरविंद चिथाम्बरण भी आता था। मेरी अकादमी में अनेक इंटरनेशनल मास्टर्स और कई ग्रैंडमास्टर हैं और इनके बीच में अक्सर इतनी गहन प्रतिद्वंदिता शतरंज खिलाड़ियों के तौर पर रहती है कि वे एक-दूसरे से कम ही संपर्क करते हैं। क्रिकेट उनके आपसी ठंडेपन को तोड़ने का माध्यम है। लम्बे समय से प्रणव और कुछ अन्य खिलाड़ी टर्फ की बजाये बड़े मैदान में खेलने के इच्छुक हैं ताकि लम्बे-लम्बे शॉट्स मार सकें। अब जब प्रणव लौट आया है, तो हम बड़े मैदान में खेलेंगे ताकि विश्व जूनियर में उसकी जीत का जश्न मना सकें।’
प्रणव का शतरंज सफर अभी तक बहुत शानदार रहा है। वह 2015 में नेशनल अंडर-9 बॉयज चैंपियन बने, 2016 में उन्होंने अंडर-16 वर्ल्ड कैडेट्स ओपन में कांस्य पदक जीता, 2022 में 15 वर्ष की आयु में वह ग्रैंडमास्टर बने और जून 2023 में उन्होंने 2600 एलो की बाधा को पार किया। इस समय उनकी लाइव रेटिंग 2628 है। उनसे पहले केवल तीन भारतीयों ने वर्ल्ड जूनियर खिताब जीता है। वर्ल्ड जूनियर में बिना कोई मैच हारे उन्होंने 9/11 पॉइंट्स हासिल किये और वह भी 2721 के प्रदर्शन से, जिससे उन्होंने 13.3 एलो रेटिंग पोंट्स अर्जित किये। उनकी पीक रेटिंग जून 2024 में 2632 थी।
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