देश में बढ़ रही अरबपतियों की संख्या
भारत में अरबपति व करोड़पति तेज़ी से बढ़ रहे हैं। हाल ही में 5 मार्च, 2025 को वैश्विक रियल एस्टेट परामर्श कम्पनी नाइटफ्रैंक (ग्लोबल प्रॉपर्टी कंसल्टेंट नाइट फ्रैंक) की ताज़ा रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। दरअसल, ग्लोबल प्रॉपर्टी कंसल्टेंट नाइट फ्रैंक ने अपनी ‘द वेल्थ रिपोर्ट-2025’ जारी की है। जानकारी के अनुसार अब देश में अरबपतियों की कुल संख्या 2024 में 191 तक पहुंच गई। यह सालाना 12 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2024 में भारत में 85,698 हाई-नेट-वर्थ-इंडिविजुअल (एचएनडब्ल्यूआई) थे, जिनकी संपत्ति 10 मिलियन डॉलर से अधिक थी जबकि पिछले वर्ष इनकी संख्या 80,686 थी। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि ऐसे एचएनडब्ल्यूआई वर्ष 2028 तक 9.4 प्रतिशत बढ़कर 93.753 हो जाएंगे। अकेले 2024 में भारत की अल्ट्रा-रिच-पापुलेशन में 6 प्रतिशत की सालाना ग्रोथ हुई जो दुनिया के धनी व्यक्तियों का 3.7 प्रतिशत है। गौरतलब है कि अमरीका (9,05,413 एचएनडब्ल्यूआई), चीन (4,71,634 एचएनडब्ल्यूआई) और जापान (1,22,119 एचएनडब्ल्यूआई) के बाद भारत वैश्विक स्तर पर चौथे स्थान पर है। वर्ष 2024 में 26 नए अरबपतियों के जुड़ने के साथ, भारत के कुल अरबपतियों की संख्या 191 हो गई है। ग्लोबल प्रॉपर्टी कंसल्टेंट नाइट फ्रैंक ने भारत में अरबपतियों व करोड़पतियों की संख्या में वृद्धि के जो आंकड़े प्रस्तुत किए हैं, वे यकीनन हमारे देश की आर्थिक प्रगति को दर्शाते हैं। वास्तव में आज हमारा देश लगातार आर्थिक क्षेत्र में प्रगति पथ पर अग्रसर है। इस क्रम में हाल ही में हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह बात कही है कि अब वह दिन दूर नहीं जब भारत 5,000 अरब अमरीकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। प्रधानमंत्री ने रोज़गार सृजन के लिए कौशल विकास और नवोन्मेष में निवेश का आह्वान भी किया है। इतना ही नहीं, इस वर्ष हमारे देश की वित्त मंत्री ने सभी क्षेत्रों के संतुलित विकास को प्रोत्साहित करते हुए ‘सबका विकास’ थीम के साथ केंद्रीय बजट 2025-26 प्रस्तुत किया था जिसमें उन्होंने विकसित भारत के व्यापक सिद्धांतों को रेखांकित किया है जिनमें क्रमश: शून्य गरीबी, शत-प्रतिशत अच्छी गुणवत्ता वाली स्कूली शिक्षा, उच्च गुणवत्ता वाली सस्ती और व्यापक स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच, सार्थक रोज़गार के साथ शत-प्रतिशत कुशल श्रमिक, आर्थिक गतिविधियों में सत्तर प्रतिशत महिलाएं तथा किसान हमारे देश को विश्व की खाद्य टोकरी बना रहे हैं, जैसे व्यापक सिद्धांत शामिल हैं। इस वर्ष प्रस्तुत किए गए बजट में कृषि, एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) तथा निवेश विकास के प्रमुख इंजन हैं।
बहरहाल, ग्लोबल प्रॉपर्टी कंसल्टेंट नाइट फ्रैंक रिपोर्ट यह भी साफ तौर पर दर्शाती है कि भारत में एक सकारात्मक व्यापारिक माहौल तैयार हो रहा है। भारतीय अरबपतियों की संयुक्त सम्पत्ति अब 950 बिलियन डॉलर आंकी गई है जिससे भारत विश्व स्तर पर अमरीका (5.7 ट्रिलियन) और चीन (1.34 ट्रिलियन) के बाद तीसरे स्थान पर आ गया है। रिपोर्ट के अनुसार 2024 में एक करोड़ डॉलर से अधिक सम्पत्ति वाले भारतीयों की संख्या में इसके पिछले वर्ष की तुलना में 6 फीसदी का इजाफा हुआ है और अब करोड़पतियों की संख्या के मामले में भारत सिर्फ अमरीका, चीन और जापान से ही पीछे रह गया है। पिछले कुछ समय से भारत में आर्थिक अवसरों की संख्या बढ़ी है और हमारे देश का बाज़ार काफी विकसित हुआ है। यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि धनवान व्यक्तियों की अगली पीढ़ी धन सृजन और देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। परिणामस्वरूप उनकी आकांक्षाएं वैश्विक लग्ज़री उद्योग के लिए सर्वोपरि होंगी। सच तो यह है कि जैस-जैसे भारत की अल्ट्रा-हाई-नेट-वर्थ आबादी का विस्तार जारी रहेगा, वैश्विक लग्ज़री ब्रांडों के लिए भारतीय बाज़ार में अपनी मजबूत उपस्थिति स्थापित करने के नए अवसर सामने आएंगे। विशेष रूप से सुपरयॉट जैसे क्षेत्र काफी हद तक अप्रयुक्त हैं और भारत में विकास की महत्वपूर्ण संभावना रखते हैं। नाइट फ्रैंक वेल्थ रिपोर्ट-2025 में भारतीय अमीर व्यक्तियों के बीच लग्ज़री कारों के प्रति प्राथमिकता का खुलासा किया गया है, तथा उभरते बाज़ार अवसरों पर प्रकाश डाला गया है। मसलन, उक्त रिपोर्ट में ‘नेक्स्ट जेनरेशन सर्वे’ से पता चलता है कि 46.5 प्ररिशत लोग लग्ज़री कार खरीदने की ख्वाहिश रखते हैं, जिससे यह सबसे पसंदीदा लग्ज़री एसेट बन गई है और रियल एस्टेट दूसरे नंबर पर है, जिसमें 25.7 प्रतिशत लोग लग्ज़री घर खरीदने की इच्छा जताते हैं। गौरतलब है कि प्रीमियम एसेट्स में अन्य पसंदीदा निवेशों में आर्ट कलेक्शन (11.9 प्रतिशत), निजी जेट (9.9 प्रतिशत), और सुपरयॉट (4 प्रतिशत) शामिल हैं।
बहरहाल, अंत में यही कहा जा सकता है कि देश में अरबपतियों व करोड़पतियों बढ़ती संख्या इस बात का संकेत है कि भारत आर्थिक रूप से लगातार सशक्त हो रहा है और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी भी बन रहा है, लेकिन यह उपलब्धि तभी सार्थक सिद्ध होगी जब इस प्रकार की आर्थिक तरक्की का फायदा सबको समान रूप से मिले। (युवराज)