तहव्वुर का प्रत्यर्पण भारत की बड़ी कूटनीतिक सफलता होगी
गत 7 मार्च, 2025 को अमरीका के सुप्रीम कोर्ट ने, तहव्वुर राणा की भारत भेजे जाने से संबंधित उस अर्जी को भी ठुकरा दिया, जिसमें राणा ने अमरीकी कोर्ट से कहा था, ‘मैं पाकिस्तानी मुस्लिम हूं, इसलिए अगर मुझे भारत भेजा गया तो मैं मार दिया जाऊंगा।’ आखिर कौन है यह तहव्वुर राणा और भारत भेजे जाने के नाम पर यह थरथर क्यों कांप रहा है? दरअसल साल 2008 में भारत के मुंबई शहर में 26 नवम्बर को जो भयानक आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 166 मासूम लोग मारे गये थे और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। उस हमले के मास्टर माइंड और अमरीकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली का यह तहव्वुर हुसैन राणा बहुत करीबी सहयोगी है। तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है और पेशे से डॉक्टर है। अमरीका में तहव्वुर राणा को साल 2013 में डेविड कोलमैन हेडली के साथ मुम्बई हमले को अंजाम देने और डेनमार्क में हमले की योजना बनाने के आरोपों का दोषी पाया गया था। जिस कारण राणा को अमरीकी अदालत द्वारा 14 साल जेल की सज़ा सुनायी गई थी।
तहव्वुर हुसैन राणा पाकिस्तान में सक्रिय चरमपंथी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा रहा है। साल 2009 में उसे जब गिरफ्तार किया गया था, तब वह अमरीका के शिकागो शहर में एक इमीग्रेशन और ट्रैवल एजेंसी चला रहा था। मुम्बई में 26/11 हमले को अंजाम देने के लिए डेविड कोलमैन हेडली और तहव्वुर राणा ने हमले से पहले और उसके बाद भी कई बार मुम्बई की यात्रा की थी, ताकि किसी को इन पर शक न हो। चूंकि मुम्बई हमले में 6 अमरीकी नागरिक भी मारे गये थे, इसलिए अमरीका की जांच एजेंसी एफबीआई बहुत बारीकी से हमलावरों का सूत्र खोज रही थी, उन्हीं दिनों राणा और हेडली अक्तूबर 2009 में शिकागो एयरपोर्ट पर धरे गये। तब ये दोनों एक चरमपंथी हमला करने के लिए डेनमार्क जा रहे थे।
पहली बार यह खुलासा अमरीका के शिकागो में इन दोनों पर चले मुकद्दमे के दौरान वहां के अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि साल 2006 की शुरुआती गर्मियों में हेडली और लश्कर के दो सदस्यों ने उनकी गतिविधियों के कवर के रूप में मुम्बई में एक इमीग्रेशन ऑफिस खोलने पर चर्चा की थी। अटॉर्नी जनरल के मुताबिक हेडली ने गवाही दी थी कि उसने शिकागो की यात्रा की और अपने इस स्कूल के दोस्त राणा से भारत में संभावित लक्ष्यों की खोज करने के बारे में मशविरा किया था। बाद में बनी योजना को अंजाम देने के लिए मुम्बई में ‘फर्स्ट वर्ल्ड इमीग्रेशन सर्विसेज’ का दफ्तर खोला गया ताकि उन लोगों की गतिविधियों पर किसी को शक न हो। वास्तव में मुम्बई पर हमले का मिशन लश्कर-ए-तैयबा ने डेविड कोलमैन हेडली को सौंपा था। इसमें राणा ने अपनी इमीग्रेशन सर्विसेज की मदद से हेडली को पांच साल का बिजनेस वीज़ा दिलवाने में मदद की थी जबकि राणा जानता था कि हेडली के वीज़ा पाने का मकसद क्या है?
तहव्वुर राणा उसी सज़ा को अमरीका की लॉस एंजेल्स स्थित एक हिरासत केंद्र में रहते हुए भुगत रहा है, लेकिन जब भारत ने अमरीका से राणा को उसे सौंपने का अनुरोध किया तो राणा ने अमरीकी कोर्ट में उसे प्रत्यर्पित न किये जाने की गुजारिश की लेकिन कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। राणा 13 नवम्बर, 2024 को निचली अदालत के प्रत्यर्पण संबंधी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया, मगर वहां भी 21 जनवरी, 2025 को याचिका खारिज कर दी गयी, जिसके बाद यह तय हो गया कि अब राणा को भारत हर हाल में भेजा जायेगा। 13 फरवरी 2025 को अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भी ऐलान कर दिया कि राणा को भारत भेजा जायेगा। क्योंकि 6 फरवरी, 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगाने वाली याचिका को खारिज कर दिया था, लेकिन एक बार फिर से पुनर्विचार याचिका लगाये जाने से लग रहा था कि मामला फिर अटक सकता है, लेकिन आखिरकार 7 मार्च, 2025 को अमरीकी सुप्रीम कोर्ट ने इस पुनर्विचार याचिका को रद्द कर दिया।
इस तरह अब 28 अगस्त, 2018 को एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने राणा के खिलाफ जो गिरफ्तारी वारंट जारी किया था और 4 दिसम्बर, 2019 को भारत ने पहली बार राणा के प्रत्यर्पण के लिए अमरीका को जो डिप्लोमेटिक नोट दिया था, उसका नतीजा अब भारत को मिलेगा, जिससे परेशान तहव्वुर राणा बार-बार किसी न किसी बहाने से अपने को भारत भेजे जाने से बचना चाहता था। नि:संदेह तहव्वुर राणा को प्रत्यर्पित किया जाना, भारत की बहुत बड़ी कूटनीतिक सफलता होगी। भारत और अमरीका के बीच 1997 में प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर हुए थे, बावजूद इसके प्रत्यर्पण मामलों की गति बहुत धीमी रही है। 2002 से 2018 के बीच अमरीका ने भारत के केवल 11 प्रत्यर्पण अनुरोधों को स्वीकार किया था। हालांकि पिछले पांच वर्षों यानी 2019 से दिसम्बर, 2024 के बीच भारत ने विभिन्न देशों को 178 अनुरोध भेजे हैं, लेकिन अभी तक 13 व्यक्तियों को ही विदेशों द्वारा भारत वापिस भेजा गया है। गौरतलब है कि एक अकेला तहव्वुर राणा ही नहीं बल्कि 65 अन्य भगौड़े भारतीय अपराधी मौजूदा समय में अमरीका में शरण लिए हुए हैं। इन्हीं में डेविड कोलमैन हेडली और तहव्वुर राणा भी शामिल हैं।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर