तुलसी गबार्ड की यात्रा के बाद क्या अमरीका कट्टरपंथियों पर नकेल कसेगा ?
अपराधियों, आतंकियों व विदेशी तत्वों को सख्त संदेश भेजते हुए पंजाब पुलिस ने वैष्णव मंदिर पर बम फेंकने वाले एक संदिग्ध को मार गिराया है। गौरतलब है कि 15 मार्च 2025 को सुबह लगभग 12:35 पर दो मोटर साइकिल सवारों ने अमृतसर में लड्डू गोपाल (श्रीकृष्ण का एक रूप) को समर्पित ठाकुरद्वारा मंदिर पर बम फेंका था। हालांकि पुजारी मंदिर के अंदर ही सो रहा था व बाल-बाल बचाए मंदिर का थोड़ा सा हिस्सा भी क्षतिग्रस्त हुआ, लेकिन इस विस्फोट में कोई व्यक्ति घायल नहीं हुआ। संदिग्ध हमलावरों की शिनाख्त गुरसिदक सिंह व विशाल के रूप में की गई। पुलिस का अनुमान है कि यह विस्फोट पाक की आईएसआई के इशारे पर किया गया ताकि पंजाब में अशांति फैलाकर खालिस्तानी मुहिम को पुन: जागृत किया जा सके। अमृतसर के पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर के अनुसार पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों में जो इस प्रकार के अनेक विस्फोट हुए हैं, उनमें आईएसआई का हाथ संदिग्ध है। बहरहाल, भुल्लर ने अपनी टीम के साथ दोनों संदिग्धों का पीछा किया, उन्हें अमृतसर के निकट गांव बाल सिकंदर में गिरफ्तार करने के उद्देश्य से घेर भी लिया, लेकिन उन्होंने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें एक हेड कांस्टेबल जख्मी हो गया। जवाब में पुलिस ने भी गोलियां चलायीं। गुरसिदक तो वहीं ढेर हो गया, लेकिन विशाल भागने में सफल रहा। उसकी तलाश जारी है। बाद में प्रैस कांफ्रैंस को संबोधित करते हुए पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने कहा, ‘हमारी शून्य-बर्दाश्त नीति है। हम गैंगस्टर्स पाकिस्तान की आईएसआई और उसके आकाओं को ऐसा सबक सिखायेंगे कि वह पंजाब की तरफ आंख उठाकर देखने की भी हिम्मत नहीं करेंगा।’
अप्रैल 1979 में पटियाला के पंजाबी विश्वविद्यालय में एक सम्मेलन चल रहा था, लम्बे-लम्बे भाषणों से श्रोता बोर हो रहे थे लेकिन लंच की प्रतीक्षा में बैठे हुए थे। तभी अचानक दो लोग हॉल के पीछे से दौड़ते हुए आये और मंच पर चढ़ गये। उन्होंने भारत के संविधान के विरोध में नारे लगाये और फिर कुछ पम्फलेट हवा में उछालकर जितनी तेज़ी से दौड़ते हुए आये थे उतनी ही तेज़ी से दौड़ते हुए बाहर चले गये। तब दुनिया ने पहली बार ‘खालिस्तान’ शब्द सुना था, जिसकी वजह से पंजाब में चार दशकों से अधिक तक अशांति रही। अब काफी समय से पंजाब में स्थिति नियंत्रण में है, बावजूद इसके कि कभी अमृतपाल सिंह के ज़रिये तो कभी मंदिरों पर बम फेंक कर हालात को विस्फोटक व तनावपूर्ण बनाने का प्रयास किया जाता रहा है, विशेषकर इसलिए कि कनाडा, अमरीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया व न्यूज़ीलैंड में खालिस्तानी संगठन अब भी सक्रिय हैं और पाकिस्तान भी अपनी नापाक हरकतों से बाढ़ नहीं आ रहा है। बीती 6 मार्च को जब भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ब्रिटेन में थे तो उनके काफिले पर खालिस्तानी चरमपंथियों ने हमला करने का प्रयास किया था। कनाडा व ऑस्ट्रेलिया से तो नियमित खबरें आती रहती हैं कि खालिस्तानियों की भारत विरोधी गतिविधियां जारी हैं और वह मंदिरों पर भी हमले करते रहते हैं। यह सब न केवल चिंता का विषय हैं बल्कि ऐसी चिंगारी भी हैं जो कभी भी विकराल आग का रूप धारण कर सकती है। इसलिए सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी खालिस्तानी गतिविधियों को नियंत्रित करना आवश्यक है।
इस पृष्ठभूमि में अमरीका की खुफिया विभाग प्रमुख तुलसी गबार्ड की 17 मार्च 2025 से आरंभ हुई ढाई दिन की भारत यात्रा महत्वपूर्ण हो जाती है, जिस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से विशेष रूप से मुलाकात की। इन मुलाकातों में भारत ने खालिस्तान के मुद्दे को मुख्य तौर पर उठाया। भारत का कहना है कि खालिस्तानी चरमपंथी अमरीकी धरती पर भारतीय हितों के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं। भारत ने अपनी चिंताएं व्यक्त करते हुए अमरीकी प्रशासन से आग्रह किया है कि वह सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) जैसी संगठनों पर सख्त कार्यवाही करे, जिसे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ काम करने के लिए देश में प्रतिबंधित किया गया है। इन मुलाकातों में रक्षा और सूचना साझा करने आदि विषयों पर भी गहन चर्चा हुई, जिसका उद्देश्य भारत-अमरीका की साझेदारी को अधिक गहरा करना है। गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा 2007 में स्थापित एसएफजे एक अमरीकी संगठन है जो भारत में खालिस्तान नाम के एक अलग सिख राज्य की मांग करता आ रहा है। यह मुख्य रूप से कानूनी गतिविधियों, लॉबिंग और जनमत संग्रह आयोजित करने के माध्यम से अपने अलगाववादी एजेंडा को आगे बढ़ाता है। साथ ही यह पंजाब में खालिस्तानी आंदोलन को फिर से जीवित करने का प्रयास कर रहा है। एसएफजे को विदेशी ताकतों, विशेषकर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से समर्थन प्राप्त है ताकि भारत को अस्थिर किया जा सके।
भारत सरकार ने 2019 में गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत एसएफजे पर प्रतिबंध लगाया था। साथ ही इसे आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाला अलगाववादी गुट घोषित किया था। इसके अतिरिक्त भारत में एसएफजे की वेबसाइट ब्लॉक है और इसके प्रमुख सदस्यों की संपत्ति ज़ब्त कर ली गई है। पन्नू पर भारत में 104 अपराधिक मामले दर्ज हैं। भारत चाहता है कि अमरीका पन्नू के खिलाफ भी कार्यवाही करे। ध्यान रहे कि भारत अपने दोस्त देशों को उनकी धरती पर हो रहीं भारत विरोधी गतिविधियों और आतंकियों द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व अन्य लोकतांत्रिक आज़ादियों का दुरूपयोग करके आतंकवाद को महिमामंडित करने के बारे में सतर्क करता रहता है। तुलसी गबार्ड के समक्ष खालिस्तानी मुद्दे को उस समय उठाया गया है जब प्रधानमंत्री मोदी ने नई दिल्ली में न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन से द्विपक्षीय मुलाकात करते हुए कहा कि वह अपने देश में खालिस्तानी अलगाववादी गतिविधियों को नियंत्रित करें। भारत की मुख्य चिंता यह है कि फाइव आईज, अंग्रेजी बोलने वाले पांच देशो (अमरीका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया व न्यूज़ीलैंड) जो आपस में इंटेलिजेंस शेयर करते हैं, में खालिस्तानी तत्व मौजूद हैं, जो भारतीय हितों के विरुद्ध कार्य करते हैं। अमरीका व कनाडा ने तो यह बेबुनियाद आरोप भी लगाये हैं कि भारत विदेशों में खालिस्तानियों को अपना निशाना बनाता है।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर