राजनीतिक गतिविधियों में आई तेज़ी

पंजाब के राजनीतिक दलों ने 2027 के विधानसभा चुनावों के दृष्टिगत राजनीतिक गतिविधियां तेज़ कर दी हैं। अपने-अपने संगठनों को भी मज़बूत किया जा रहा है। इस सन्दर्भ में ही अकाली दल (ब) की ओर से अपनी पार्टी के कारवाए गए चुनावों को भी देखा जा सकता है। अमृतसर तेजा सिंह समुद्री हाल में हुए शिरोमणि अकाली दल (ब) के डैलीगेट अधिवेशन में सुखबीर सिंह बादल को एक बार फिर सर्व-सम्मति से पार्टी का अध्यक्ष चुन लिया गया है। उनसे पहले कुछ समय के लिए बलविन्दर सिंह भूंदड़ अकाली दल के कार्यकारी अध्यक्ष रहे हैं। डैलीगेटों ने नये चुने अध्यक्ष को वर्किंग कमेटी बनाने के अधिकार भी दे दिए हैं। स. बादल ने इस समय जहां सिख विरोधी ताकतों की साज़िशों का ज़िक्र किया, वहीं यह भी कहा है कि वह पंथ, पंजाब और पार्टी के सम्मान की रक्षा करेंगे। उन्होंने इस समय बड़ी पंथक एकता का भी आह्वान किया और कहा कि पार्टी पंथ और पंजाबीयत को समर्पित रहेगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विगत अवधि में अकाली दल और इसके नेतृत्व को खत्म करने की साज़िशें रची जाती रही हैं। साथ ही उन्होंने वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी को पूरी तैयारी करने का भी आह्वान किया। चाहे इस समय उन्होंने बड़ी पंथक एकता का आह्वान तो ज़रूर किया, परन्तु दूसरी तरफ नाराज़ विरोधी गुट द्वारा भी तत्कालीन जत्थेदारों से प्राप्त निर्देशों के अनुसार अकाली दल की भर्ती हेतु गतिविधि आरम्भ हुई है। इसलिए इस समय बड़ी पंथक एकता क्रियात्मक रूप में अभी सम्भव होने की सम्भावना नहीं है।
दूसरी ओर चाहे आम आदमी पार्टी की सरकार ने अपने शासन के तीन वर्ष पूरे कर लिए हैं, परन्तु उसने भी शेष रहते 2 वर्षों के लिए पार्टी को सक्रिय और प्रासंगिक रखने के लिए और 2027 के चुनावों के लिए पूरी योजनाबंदी कर ली प्रतीत होती है और उसके अनुसार ही सरकार और पार्टी कार्यकर्ताओं को अधिक सक्रिय करने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रदेश के भीतर नशे की बुराई खत्म करने के लिए और व्यापक स्तर पर फैले भ्रष्टाचार को नकेल डालने के लिए सरकार द्वारा जो कड़ी कार्रवाइयां आरम्भ की गई हैं, उनका भी प्रत्येक पक्ष से प्रभाव आगामी समय में महसूस किया जाएगा। पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविन्द केजरीवाल के साथ-साथ हाईकमान के वरिष्ठ नेताओं का प्रदेश में सक्रिय होना भी एक भावपूर्ण सन्देश देता है।
इसी क्रम में ही प्रदेश कांग्रेस भी पूरी तरह सक्रिय होने के लिए पर तौलती दिखाई दे रही है। विगत अवधि में यह प्रभाव बनता जा रहा था कि प्रदेश नेतृत्व एक स्वर नहीं है और इसमें अनुशासन की कमी लगातार खटक रही है। इसलिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के गुजरात में हुए अधिवेशन के बाद पंजाब कांग्रेस पार्टी के प्रभारी भूपेश बघेल ने प्रत्येक स्तर के पदाधिकारियों के साथ दो दिवसीय बैठक की, जिसमें उन्होंने पार्टी नेतृत्व को अनुशासन में रहने और वर्ष 2027 के चुनावों हेतु तैयारियां करने के लिए कहा है। कांग्रेसी नेतृत्व द्वारा यह प्रभाव बनाया जा रहा है कि आगामी चुनावों में उन्हें बड़ी जीत प्राप्त होगी, परन्तु ऐसा तभी सम्भव हो सकेगा यदि आपसी एकता के साथ-साथ किए जा रहे गहन गम्भीर विचारों को पार्टी द्वारा क्रियात्मक रूप दिया जा सकेगा।
पंजाब में भाजपा की कई कारणों के कारण अपनी सीमाएं ज़रूर दिखाई देती हैं, परन्तु जिस ढंग और योजनाबंदी से इस पार्टी ने यहां काम करना शुरू किया है, उससे आगामी समय में इसके प्रभाव से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। हम सभी राजनीतिक दलों द्वारा की जा रही ऐसी कवायद को लोकतंत्र की मज़बूती का अमल समझते हैं परन्तु इसके साथ ही राजनीतिक पार्टियां और नेताओं से यह उम्मीद ज़रूर करते हैं कि आगामी समय में वह पंजाब के मामलों पर ध्यान केन्द्रित करेंगी और राजनीतिक मंच पर विचरण करते हुए एक स्तर पर आपसी सम्मान भी ज़रूर बनाकर रखेंगी, क्योंकि पहले ही डगमगा रहे प्रदेश के लिए समर्पित भावनाओं से की गईं कार्रवाइयां ही अच्छे परिणामों की धारणी हो सकती हैं।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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