तहव्वुर राणा की गिरफ्तारी

पाकिस्तान की धरती से भारत विरुद्ध लगातार सक्रिय रहे आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा द्वारा 26 नवम्बर, 2008 को हथियारों सहित भेजे गए 10 आतंकवादियों की ओर से तीन दिन तक मुम्बई में हिंसक रक्तिम घटनाओं को अंजाम दिया गया था, जिसमें 166 व्यक्ति मारे गए थे और सैकड़ों ही गम्भीर रूप से घायल हो गए थे। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आई.एस.आई. द्वारा लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तानी सेना के साथ पूरी योजनाबंदी करके यह हमला करवाया गया था, जिसमें उनके विदेशों में बैठे साथियों ने भी पूरी सहायता की थी। जिस ढंग से इस काम को अंजाम दिया गया, उससे यह स्पष्ट ज़ाहिर था कि इसके लिए प्रत्येक पहलू पर महीनों तक तैयारी की गई थी। इस तैयारी में कनाडा और अमरीका में रहते तहव्वुर राणा और दाऊद गिलानी उर्फ डेविड कोलमैन हैडली आदि भी शामिल थे। तहव्वुर राणा पहले पाकिस्तान में रहता था। सेना में मेजर बना और बाद में वह कनाडा चला गया।
पाकिस्तान में ही लश्कर-ए-तैयबा से संबंधित डेविड हैडली (दाऊद गिलानी) के साथ उसकी पूरी निकटता थी। तहव्वुर राणा ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर लोगों को विदेश भेजने वाली अन्तर्राष्ट्रीय कम्पनी बनाई थी, जिसका सहारा लेकर न सिर्फ उसने कई बार भारत के अलग-अलग शहरों के दौरे किए थे, अपितु उसने डेविड हैडली को भी भारत में अपनी कम्पनी द्वारा भेजने में सहायता की थी। इन दोनों ने मुम्बई सहित अन्य शहरों में दौरे करके इस साजिश को सफल बनाने संबंधी पूरे प्रारूप तैयार कर लिए थे। इन सूचनाओं को आधार बना कर ही समुद्र द्वारा 10 पूरी तरह हथियारबंद आतंकवादियों को मुम्बई भेजा गया था, जिनके पास ए.के. 47, आर.डी.एक्स और अन्य कई तरह की विस्फोटक सामग्री थी। इन हमलों में 9 आतंकवादी तो मारे गए थे परन्तु अजमल कसाब को गिरफ्तार कर लिया गया था, जिसे पूरी पूछताछ के बाद अदालत की प्रक्रिया द्वारा फांसी के दे गई थी।
डेविड हैडली जो अमरीकी नागरिक बन गया था और आतंकवादी संगठन के साथ पूरी तरह जुड़ा हुआ था, को अमरीका की खुफिया एजेंसी ने वर्ष 2009 में गिरफ्तार कर लिया था और मुम्बई हमलों संबंधी पुख्ता सबूतों के आधार पर लम्बी अदालती कार्रवाई के बाद उसे 35 वर्ष की सज़ा सुनाई गई थी, जो वह वहां काट रहा था। तहव्वुर राणा की अमरीका में पहले गिरफ्तारी का कारण एक डैनमार्क के समाचार पत्र में प्रकाशित मुहम्मद साहिब के संबंध में आपत्तिजनक रिपोर्ट के बाद समाचार पत्र के कार्यालय पर किए गए हमले संबंधी उसकी भूमिका थी, परन्तु इसके साथ ही उस पर मुम्बई हमलों में उसके भागीदार होने का भी मुकद्दमा चलाया गया था। इसमें तो वह बरी हो गया था परन्तु अन्य आरोपों में उसे 14 वर्ष की सज़ा सुनाई गई थी। इस समय के दौरान भारत सरकार द्वारा उसे मुम्बई हमले में आरोपी होने के कारण भारत भेजने के लिए अमरीका के पास लगातार मामला पेश किया जाता रहा। पहले मामले में सज़ा भुगतने के बाद भारतीय एजेंसियों के अथाह प्रयासों के बाद अमरीका सरकार ने उसे भारत भेजने का फैसला लिया। अब तहव्वुर राणा को भारत लाया गया है, जहां उससे मुम्बई हमले के संबंध में और इसमें उसकी भूमिका के बारे में पूरी तरह पूछताछ की जाएगी, जिससे घटित इस घटनाक्रम संबंधी और जानकारी मिलेगी और इसमें पाकिस्तान के शामिल होने संबंधी भी और खुलासे होने की ऐसी सम्भावना बन गई है, जिसका विस्तार पाकिस्तान के लिए बड़ी नामोशी का कारण बन सकता है। दुनिया के समक्ष पाकिस्तान की भारत विरोधी रची जा रही साज़िशों की सच्चाई भी सामने आ जाएगी। पाकिस्तान में आज भी ऐसे बड़े आतंकवादी नेता बैठे हैं, जो लगातार भारत के विरुद्ध षड्यंत्र रचते रहते हैं। पाकिस्तान की सेना इनका प्रत्येक पक्ष से पूरा समर्थन करती है। इनमें लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद और जकी-उर-रहमान लकवी भी शामिल हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय रूप से आज चाहे आतंकवाद के मामले में पाकिस्तान विश्व भर में बेनकाब हो चुका है परन्तु वहां पैदा हुए ऐसे माहौल के कारण उसका अपना भविष्य भी बेहद अनिश्चित हुआ प्रतीत होता है। तहव्वुर राणा की गिरफ्तारी उसके लिए बेहद नमोशी का कारण और उसके पहले ही खराब हो चुके अक्स को और भी धूमिल करने वाली सिद्ध होगी।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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