क्या है असली, क्या है नकली—कैसे हो पहचान ?

नकली और मिलावटी वस्तुओं यहां तक कि मिलावटी खाद्य सामग्री, नकली जीवन रक्षक दवाइयां, ज़हरीले फल व सब्ज़ियां, मिलावटी घी, पनीर, दूध, खोया, मिलावटी मिठाइया, मिलावटी मसालों जैसी अनेक चीज़ों का कारोबार हमारे देश में दशकों से बेरोकटोक होता आ रहा है। और न जाने कितने लोग ऐसी खाद्य वस्तुओं के सेवन से मौत की गोद में भी समा चुके हैं। जब कभी ऐसा कोई नेटवर्क कानून की गिरफ्त में आता है तो उसकी खबरें भी प्रकाशित होती हैं, परन्तु ऐसी नकली, मिलावटी व ज़हरीली वस्तुओं के उत्पादक, निर्माता, वितरक व विक्रेताओं के विरुद्ध सरकार व प्रशासन क्या और कितनी कार्रवाई करता है,  इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह जानलेवा धंधा कम होने की बजाय और भी अधिक फलता-फूलता जा रहा है। हद तो यह है कि देश में तमाम ब्रांडेड सामग्रियां भी नकली बिक रही हैं। मगर कोई पूछने वाला नहीं है। ज़ाहिर है यह सब नकलचियों, मिलावटखोरों तथा प्रशासन की कथित मिलीभगत का ही परिणाम हो सकता है। शायद सरकार व प्रशासन की अनदेखी का ही नतीजा है कि अब केवल खाद्य सामग्री या दैनिक उपभोग की वस्तुयें मात्र ही नकली या मिलावटी नहीं बल्कि ऐसे लोग बड़े-बड़े सवेदनशील पदों को भी कलंकित करते देखे जा सकते हैं।  
देश में अनेक फज़र्ी अधिकारियों व कर्मचारिचों के पकड़े जाने के मामले भी सामने आ चुके हैं । हद तो यह है कि अब तो देश में न केवल  स्वयं को प्रधानमंत्री कार्यालय का एडिशनल डायरेक्टर बताने वाला गुजरात का एक व्यक्ति पकड़ा जा चुका बल्कि पिछले दिनों तो एक नकली हार्ट सर्जन तक गिरफ्तार किया गया। देश के सुधी व जागरूक लोगों को याद होगा कि मार्च 2023 में श्रीनगर में किरण पटेल नाम के एक व्यक्ति को रंगे हाथों पकड़ा गया था। यह ठग खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय का एडिशनल डायरेक्टर बता रहा था तथा ज़ेड प्लस सुरक्षा के साथ बुलेटप्रूफ  गाड़ी में चला करता था जबकि ज़ेड प्लस सुरक्षा पर प्रति व्यक्ति 40 से 45 लाख रुपये महीना तक का खर्च होता है। उक्त व्यक्ति हमेशा फाइव स्टार होटल में ही ठहरा करता था। प्रधानमंत्री कार्यालय का अधिकारी बनकर ही वह जगह-जगह की यात्राएं करता था और इसी आधार पर वह सरकारी सुख सुविधायें भी लिया करता था। खुफिया एजेंसी के अलर्ट के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 2 मार्च, 2023 को उसे गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तारी के समय उसके पास से कई फज़र्ी विज़िटिंग कार्ड भी बरामद किए गए थे। उसके बारे में विस्तृत जांच से पता चला कि उसके विरुद्ध गुजरात में पहले से ही ठगी के तीन मामले दर्ज थे। 
उसके बावजूद उसके हौसले इतने बुलंद थे कि बाद में भी कई महीने तक यह ठग स्वयं को प्रधानमंत्री कार्यालय का उच्चाधिकारी बताकर घूमता रहा। उसके झांसे में आकर तमाम अधिकारी उसकी खुशामद में लगे रहे थे। 
 पिछले दिनों ऐसा ही एक और दिल दहलाने वाला मामला सामने आया। फज़र्ी डॉक्टर तो देश में बहुत सुने गए थे परन्तु फज़र्ी हार्ट सर्जन बारे कभी नहीं सुना था। मध्य प्रदेश के दामोह में अपना नाम एन. जॉन केम बताने वाला एक व्यक्ति एक निजी मिशनरी अस्पताल में सेवारत था। वह स्वयं को प्रसिद्ध  ब्रिटिश डॉक्टर व कार्डियोलॉजिस्ट बताया करता था। जांच के बाद पता चला कि उस कथित डॉक्टर का वास्तविक नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है। यह अस्पताल आयुष्मान भारत योजना के तहत सरकार से पैसे भी लेता है। आश्चर्यजनक बात यह है कि इस फज़र्ी डाक्टर ने अनेक मरीज़ों की हार्ट सर्जरी तक कर डाली। परिणामस्वरूप एक महीने में ही इसके द्वारा हार्ट सर्जरी किये गये 7 मरीज़ों की मौत हो गयी थी। सूत्रों के अनुसार मरने वाले मरीज़ों की संख्या इससे ज़्यादा भी हो सकती है। और तो और हमारे देश में नकली धर्मगुरु व उपदेशक का रूप धारण किये अनेक लोग घूम रहे होंगे।
आज दुर्भाग्यवश हमारा देश अनेक नकली व फज़र्ी लोगों तथा वस्तुओं से भरा पड़ा है। अशिक्षित लोग डिग्री धारी बनकर दुनिया को मार्गदर्शन देते घूम रहे हैं। आज देश के सामने इस बात का बड़ा संकट है कि जब समझदार, सुधी व शिक्षित लोग असली व नकली, फज़र्ी व वास्तविक में भेद नहीं कर पा रहे तो देश का सीधा सादा आम व्यक्ति ऐसे नकली व फज़र्ी लोगों की पहचान कैसे कर सकेगा?

 -मो. 98962-19228

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