पशु-पक्षी भी होते हैं बुद्धिमान
बुद्धिमान होना सिर्फ इंसानी गुण नहीं है। प्रकृति में सैकड़ों पशु पक्षी समय समय पर अपने व्यवहार से यह जताते रहते हैं कि वे भी इंसानों की तरह बुद्धिमत्ता रखते हैं। अब इस जापानी तोते यूसूकी को ही लें। वह अपने पिंजरे से निकल भागने में सफल हो गया। मगर वह हमेशा के लिए कहीं नहीं गया बल्कि कुछ दिनों के बाद फिर से उड़कर अपने घर वापस आ गया। क्योंकि उसे अपने घर का पूरा पता और गली नं. तक अच्छी तरह से याद था। जिस दौरान वह अस्पताल में रहा उसने अस्पताल के स्टाफ को कई गाने सुनाये।
यही हाल इस चतुर गिलहरी का भी रहा। हम देखते हैं कि मखमली पूंछ वाली गिलहरी मिट्टी को खोदकर दोबारा उस गड्ढे को ढक देती है। 5 में से एक बार वह सिर्फ ऐसा करने का अभिनय करती है। गिलहरी जमीन के भीतर दबे दानों को अपनी बुद्धिमानी से निकालकर खा लेती है। इसके अलावा गिलहरी चीजों को चुराकर खाने में भी बुद्धिमान होती है। गिलहरी की तरह ही बंदर भी कुछ कम बुद्धिमान नहीं होते। ऐसा माना जाता है कि बंदरों का शब्दकोष काफी समृद्ध होता है। हाल ही में डिस्कवरी समाचार के एक लेख में यह बताया गया है कि कपि (नर वानर) का शब्दज्ञान काफी अच्छा होता है। उनकी भाषा मनुष्य की भाषा से काफी कुछ मेल खाती है। लेकिन वे मनुष्य की तरह अपने विचारों की बेहतर ढंग से अभिव्यक्ति नहीं कर पाते।
व्हेल मछलियां भी बुद्धिमानी में किसी से पीछे नहीं रहतीं। वे बहुत अच्छा गाती हैं। वह अपने गानों की लय स्वयं तैयार करती हैं। हर साल नर व्हेल मछलियां एक जटिल तीस मिनट की अवधि का गाना तैयार करती हैं। इस गाने की अपनी एक थीम होती है और यह गाना उनके पिछले वर्ष की तुलना में बिल्कुल अलग तरह का होता है। यह उनकी एक वार्षिक प्रक्रिया होती है। इससे व्हेल मछलियाें की रचनात्मकता का पता चलता है। है न हैरानी की बात हममें से भला कितने लोगों को यह कला आती है? इसी तरह न्यूजीलैंड में एक बार एक डॉल्फिन मछली ने व्हेल मछलियों के जोड़े को जब संकट से उबारा तो पता चला कि वह एक-दूसरे की मदद किस तरह करती हैं। एक डॉल्फिन मछली दो व्हेल मछलियों की मदद के लिए उस समय आयीं, जब दो मछलियां किनारे पर आकर वापस पानी में जाने में असमर्थ हो गईं। कुछ लोगों ने एक घंटे तक व्हेल मछलियों को पानी में वापिस भेजने के लिए काफी मेहनत की लेकिन वे नाकाम रहे इसके बाद अचानक डॉल्फिन मछली आयी उसने तट पर व्हेल मछलियों के साथ अपना संवाद स्थापित किया और उन्हें सुरक्षित पानी में जाने में सहायता की।
एक 14 वर्षीय पीले रंग का लैब डॉग अंधा और बहरा है। उसकी सात साल की प्रिय मित्र बिल्ली है। विवी नाम की यह बिल्ली कैस्यू नाम के उस कुत्ते के लिए न केवल भोजन लाती है बल्कि उसकी हर संभव सहायता करती है। वह साए की तरह उसके साथ रहती हैं कैस्यू जब घूमने जाता है तब वह बिल्ली को अपने साथ नहीं ले जाता बाकी समय दोनों एक साथ रहते हैं। इसी तरह हाल ही में हुए विभिन्न सर्वेक्षणों से यह बात उभरकर सामने आयी है कि नीलकंठ भी एक बुद्धिमान पक्षी होता है नीलकंठ के दिमाग का आकार मटर के दाने जितना होता है। लेकिन उसकी गिनती बुद्धिमान पक्षियों में होती है। नीलकंठ की गर्दन पर छोटे-छोटे धब्बे होते हैं जिन्हें शीशे में सिर्फ वही देख सकते है। नीलकंठ शीशे में अपने आपको देखकर अपनी पहचान कर सकते हैं। अभी तक माना जाता था कि सिर्फ मनुष्य, नर वानर, हाथी और डॉल्फिन ही ऐसा कर सकते हैं यानी अपने आपको शीशे के सामने पहचान सकना बुद्धिमता की निशानी है। यही वजह है कि नीलकंठ शीशे में देखकर स्वयं को पहचानता है।
इसके अलावा चिम्पैंजी भी ऐसा कर सकते हैं। यह खूबी इस बात का संकेत है कि उनका दिमाग भी काफी विकसित होता है। हममें से जिन्होंने नीलकंठ के व्यवहार को बाग-बगीचे में देखा है। वे जानते हैं कि किस तरह नीलकंठ दूसरे छोटे पक्षियों के घोसलों को अपना बना लेते हैं। साथ ही किस तरह वह दूसरे पक्षियों के घोसलों में घुसकर उनकी चमकीली सजावटीं चीजों की चोरी करके अपने घोंसलों को सजाते हैं। इसी तरह कौव्वा विभिन्न वैज्ञानिकों के मुताबिक बेहद बुद्धिमान होता है। वह अपनी गतिविधियों से अपने तेज दिमाग होने का परिचय कराता है। कौव्वा भी भोजन हासिल करने के लिए तरह-तरह की चालाकियां दिखाता है। कौव्वा अपना भोजन इकट्ठा करने के लिए एक-दूसरे के साथ अपने दोस्ताना रिश्ते बनाता है साथ ही स्थिति के अनुसार वह भोजन के लिए एक-दूसरे के साथ छीना-झपटी भी करता है। आमतौर पर किसी भी मंदबुद्धि के लिए बर्ड ब्रेन शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। पक्षियों की जब जानवरों के साथ तुलना की जाती है तो पाया जाता है कि पक्षी जानवरों की तुलना में ज्यादा बुद्धिमान होते हैं। इसका बढ़िया उदाहरण कौव्वा होता है।
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