अमरीका के लिए नुकसानदायक है ट्रम्प और मस्क का टकराव
अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को राष्ट्रपति बने मात्र कुछ महीने ही हुए हैं परन्तु उनकी ओर से अपनाई गई नीतियों ने एक बार तो विश्व भर में हड़कम्प मचा दिया है। विश्व के सबसे शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति से बेहद परिपक्वता की उम्मीद की जाती है परन्तु ट्रम्प के प्रतिदिन नए से नए बयानों की न सिर्फ ज्यादातर लोगों द्वारा आलोचना की जा रही है, अपितु इनके साथ बड़ा विवाद भी छिड़ा हुआ दिखाई देता है। आज ट्रम्प विश्व के सबसे बड़े शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति हैं। उनके दोस्त एलन मस्क विश्व के सबसे अमीर व्यक्ति हैं। इस बार हुए राष्ट्रपति चुनावों में मस्क ने ट्रम्प और उनकी रिपब्लिकन पार्टी की खुलकर सहायता की, जिसकी चर्चा व्यापक स्तर पर हुई थी। यही नहीं, उन्होंने चुनाव लड़ रहे ट्रम्प और अन्य रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवारों की सहायता के लिए 300 मिलियन डॉलर (लगभग 26 अरब रुपए) की राशि खर्च की थी।
ट्रम्प चुनाव जीत कर अमरीका जैसे देश के 47वें राष्ट्रपति बन गए परन्तु इससे पहले भी वह पिछली पारी को छोड़ कर 2016 में देश के 45वें राष्ट्रपति चुने गए थे परन्तु उस समय भी 4 वर्ष की अवधि में ही वह बेहद विवादास्पद राष्ट्रपति बन गए थे। उन पर कई मामले भी शुरू हो गए थे परन्तु जब वह अब 47वें राष्ट्रपति बने तो विश्व भर के ज्यादातर लोग इस बात से हैरान ज़रूर हुए थे क्योंकि ट्रम्प किसी दबाव की विचारधारा या नीति के तहत काम नहीं करते, अपितु जो भी उनके मन में आए वह करने लगते हैं और कुछ भी बोलने से गुरेज़ नहीं करते, जिससे प्रशासनिक ढांचे में हलचल होने लगती है। राष्ट्रपति बनते ही उन्होंने मस्क को सरकारी तौर पर ऐसा विभाग सौंपा, जिसका काम सरकारी स्तर पर होते प्रत्येक प्रकार के फिज़ूल खर्च रोकना था। इस में विश्व भर में अमरीका की जो मानवतावादी योजनाएं चल रही हैं, जिसमें संयुक्त राष्ट्र की ओर से अपनाई गई योजनाएं भी शामिल हैं, के खर्च में कटौती करना भी शामिल था। मस्क ने अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण की समस्याओं से संबंधित बड़ी योजनाओं और संयुक्त राष्ट्र द्वारा ज़रूरतमंद और ़गरीब देशों के बच्चों और महिलाओं की भलाई के लिए चलाई योजनाओं पर किए जाते खर्च के लिए अमरीका की ओर से दी जाती वित्तीय सहायता एक तरह से बंद ही कर दी। व्यापक स्तर पर सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों की, की गई छंटनी से एक तरह से अफरा-तफरी मच गई। विगत दिवस ट्रम्प प्रशासन द्वारा टैक्स संबंधी तैयार किए गए नए प्रारूप को लेकर इन दोनों में मतभेद हो गए, जिन्होंने भारी टकराव का रूप धारण कर लिया।
आम तौर पर कहा जाता है कि ज्यादा शक्ति और ज्यादा पैसा व्यक्ति के सिर को चढ़ जाता है, इन दोनों के चरित्र से यह बात विशेष रूप में झलकती है। दोनों के मध्य विवाद इतना बढ़ गया है कि मस्क ने अमरीका में एक नई पार्टी बनाने की बात छेड़ दी। इस देश में पहले रिपब्लिकन और डैमोक्रेटिक दो ही पार्टियों का प्रभाव रहा है। तीसरी पार्टी की बात छेड़ने के साथ-साथ मस्क ने ट्रम्प की नीतियों का भी दुष्प्रचार शुरू कर दिया और यहां तक भी कहा कि राष्ट्रपति पर इनके लिए मुकद्दमा चलाया जाना चाहिए। ट्रम्प ने भी अब मस्क से संबंध-विच्छेद करने की घोषणा कर दी है। उन्हें प्रत्येक तरह की धमकियां देनी शुरू कर दी हैं और यहां तक भी कहा है कि यदि वह आगामी चुनावों में डैमोक्रेटिक पार्टी की सहायता करेंगे तो उसका परिणाम बहुत बुरा होगा। मस्क की कम्पनियां पहले ही राष्ट्रपति की ओर से अपनाई गई नई नीतियों और उनसे उठते विवादों के कारण घाटे में जानी शुरू हो गई हैं, जिनके शेयर और भी गिरने की सम्भावना है। पहले गहन दोस्ती का दम भरते और कुछ महीनों में एक-दूसरे के दुश्मन बने इन दोनों व्यक्तियों के विवाद से इनके निम्न व्यक्तित्व की झलक ज़रूर मिलती है।
ट्रम्प ने अपने देश से ़गैर-कानूनी प्रवासियों को निकालने के लिए जो ढंग-तरीके अपनाए हैं, उनके कारण भी देश भर में बड़ी बेचैनी पैदा हुई है। प्रशासन सम्भालते ही जिस ढंग से उन्होंने ़गैर-कानूनी प्रवासियों, जिनमें भारतीय और अन्य देशों के लोग भी शामिल हैं, को सैन्य विमान में डाल कर और बेड़ियां व हथकड़ियां लगा कर अपने देश से निकाला था, उस कारण भी आज ज्यादातर देशों में उनके प्रति भारी नाराज़गी पैदा हो चुकी है। अब अमरीका के बड़े शहर लॉस एंजिल्स में कई दिनों से इस नीति के विरोध में जो भारी प्रदर्शन हो रहे हैं, उन्होंने भी ट्रम्प प्रशासन को एक बड़ी चुनौती दी है।
कनाडा और ग्रीनलैंड जैसे देश पहले ही उनसे नाराज़ हैं। ट्रम्प की ओर से स्वत: टैरिफ लागू करने के कारण भी आज दर्जनों ही देश अमरीका के विरुद्ध हो चुके हैं। इस स्थिति के लिए यदि उनका मस्क जैसा दोस्त ही उन्हें छोड़ कर उनका पक्का विरोधी बना दिखाई देता है, तो इसका संदेश भी अमरीका के साथ-साथ विश्व भर में ट्रम्प की छवि को बड़ी सीमा तक धूमिल करने वाला सिद्ध हो सकता है। नए राष्ट्रपति की स्वेच्छानुसार कार्रवाइयों के कारण आज अमरीका भी समूचे रूप में बचाव वाली स्थिति में खड़ा दिखाई दे रहा है और ये हालात एक शक्तिशाली देश के लिए भारी नुक्सानदायक सिद्ध हो सकते हैं।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द