कामचटका के भयावह भूकंप ने दुनिया को झकझोरा

रूस के तटवर्ती इलाके कामचटका प्रायद्वीप में 8.8 तीव्रता का भयंकर भूकंप आया है, जो अब तक के इतिहास के भयावह भूकंपों में से 6वें नंबर का है और पांचवें नंबर का सबसे भयानक भूकंप भी कुछ दशकों पहले (1952) यहीं पर आया था। यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक भारतीय समयानुसार बुधवार को तड़के 4 बजकर 54 मिनट पर यह भूकंप आया, जिसका केंद्र जमीन से 19.3 किलोमीटर की गहराई पर था। भूकंप के आते ही 4 मीटर ऊंची सूनामी आयी, जिससे यहां के तटवर्ती इलाके की कई इमारतों को जबर्दस्त नुकसान पहुंचा है। कामचटका प्रायद्वीप के गर्वनर व्लादिमीर सोलोदोव ने एक वीडियो पोस्ट करके कहा कि आज का भूकंप हाल के दशकों में सबसे शक्तिशाली था। इस भूकंप के आते ही कुछ ही मिनटों में एक किंडरगार्टेन स्कूल की इमारत ढह गई है। भूकंप के तुरंत बाद जापान में 16 जगहों पर सूनामी देखी गई और अमरीका के कैलिफोर्निया तथा हवाई द्वीपों में हड़कंप की स्थिति मच गई। अमरीका के हवाई द्वीप में 6 फीट ऊंची लहरें बुधवार को भारतीय समय के मुताबिक सुबह 7 बजे के आसपास देखी गईं और जापान के 19 लाख लोगों पर भी इस भयावह भूकंप से विस्थापन का खतरा बढ़ गया है। 
रूस के साथ-साथ जापान व अमरीका के कैलिफोर्निया तट पर इस भूकंप की तीव्रता का पता चलते ही सूनामी अलर्ट जारी किया गया। रूस के कुरिल आईलैंड में 2700 लोगों को तुरंत सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। जापान में 16 से ज्यादा जगहों पर 40 सेंटीमीटर ऊंची लहरें, जो प्रशांत के साथ दक्षिण दिशा की ओर बढ़ रही है, तुरंत देखी गईं। जापान के कई समुद्र तटों पर व्हेल मछलियां बहकर आ लगीं। यह भूकंप इतना भयावह था कि इसकी तीव्रता का पता चलते ही अमरीका के होनोलूलू में भी तुरंत इसका असर दिखने लगा और स्थानीय प्रशासन ने समुद्र तट से लोगों को तुरंत बाहर जाने की चेतावनियां जारी कर दी। जिस कारण भारी ट्रैफिक जाम की स्थिति बन गई। जापान में इस भयावह भूकंप के बाद हुकुसिमा न्यूक्लीयर प्लांट को तुरंत खाली कराया गया। गौरतलब है कि यह वही न्यूक्लीयर प्लांट है, जहां 2011 में आये भयावह भूकंप से रेडियोएक्टिव लीकेज हो गया था और हजारों की संख्या में लोगों की मौत हुई थी। 
कामचटका भूकंप के बाद अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कैलिफोर्निया और हवाई के तटीय क्षेत्रों को सतर्क रहने की सलाह दी है। सूनामी की चपेट में अमरीका के जो दर्जनों द्वीप या देश आ सकते हैं, उनमें प्रमुख हैं, अमरीकी समोआ, अंटार्टिका, कोलंबिया, कुक आईलैंड्स, कोस्टारिका, अल सल्वाडोर, फिजी, गुवाम, इंडोनेशिया, मैक्सिको, न्यूज़ीलैंड, निकारागुवा, पनामा, पेरू, फिलिपींस, ताइवान, टोंगा और वनातू सहित दर्जनों क्षेत्र और देश इस भूकंप की चपेट में आ सकते हैं। इस समय जबकि ये पंक्तियां लिखी जा रही हैं, जापान में कैबिनेट मंत्रियों की लगातार आपात बैठकें जारी हैं और माना जा रहा है कि अगले तीन से चार घंटे यानी बुधवार को दोपहर 2 से 3 बजे तक का समय बेहद संवेदनशील है। जापान के कुछ तटीय इलाकों में 3 मीटर से भी ऊपर की खतरनाक लहरें उठ सकती हैं। हालांकि भारत में इस भूकंप से किसी प्रकार का खतरा न के बराबर है, क्योंकि कामचटका प्रायद्वीप भारतीय समुद्रतट से लगभग 6500-7000 किलोमीटर दूर है और यहां पहुंचने तक समुद्री लहरों को 15 से 16 घंटे लगेंगे, तब तक उनकी तीव्रता घटकर 6 से 7 सेंटीमीटर तक की रह जायेगी यानी अगर बंगाल की खाड़ी तक इस सूनामी की लहरें आती हैं, तो वे 6-7 सेंटीमीटर ही ऊंची होंगी। फिर भी देश के तटीय इलाके में एलर्ट जारी कर दिया गया है। 
मालूम हो कि रूस के सुदूर पूर्व में स्थित कामचटका प्रायद्वीप में 1952 में 9.0 तीव्रता का भूकंप आया था और तब भी जुलाई का महीना था। आश्चर्यजनक यह है कि अभी तक दुनिया के जो पांच बड़े भूकंप इस क्षेत्र में आये हैं, वे सब जुलाई माह में आये हैं। इस बार का यह भूकंप यहां आया अब तक का दूसरा सबसे भयावह भूकंप है। हालांकि इन पंक्तियों के लिखे जाने तक जापान और अमरीका दोनों ही देशों में कोई भयावह स्थिति देखने को नहीं मिली, फिर भी आशंका है कि अगले पांच से छह घंटे बहुत संवेदनशील हैं। हवाई द्वीप के गर्वनर जॉश ग्रीन ने लोगों से कहा है कि वे समुद्रतट को छोड़कर कम से कम 1 किलोमीटर दूर चले जाएं, क्योंकि 6 से 8 फीट तक की ऊंची लहरें आ सकती हैं। गुवाम में तो बुधवार की सुबह आते आते 3 फीट तक लहरें आनी शुरु हो गई थीं। इसलिए यूएस सूनामी वॉर्निंग सेंटर का कहना है कि इक्वाडोर में 3 से 5 मीटर ऊंची लहरें भी आ सकती हैं। जापान के होक्काइडो में सूनामी की चेतावनी जारी होने के बाद लोग अपने घरों की छतों पर इकट्ठे हो गये। जापान की चिबा में कुजकुरी समुद्र तट पर सूनामी की लहरों के साथ तट पर कई व्हेल मछलियां भी बहकर आ लगी थीं। 
सवाल है क्या यह भूकंप किसी तात्कालिक मानवीय गलती से आया है, जैसे कोई परमाणु परीक्षण या ग्लोबलवार्मिंग? हालांकि ग्लोबलवार्मिंग सीधे तौर पर भूकंप का कारण नहीं बनती, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से यह इसकी वजह बनती है। क्योंकि ग्लोबलवार्मिंग के कारण जब बड़े पैमाने पर ग्लेशियर पिघलते हैं, जैसे हाल के सालों में आर्कटिक और दूसरे बर्फीले क्षेत्रों में पिघले हैं, तो वहां की जमीन पर दबाव कम हो जाता है, जिससे ‘आइसोटेटिक रिबाउंड’ होता है और यह भूगवर्भीय प्लेटों में तनाव को बदल सकता है, जिससे यह भूकंप को ट्रिगर कर सकता है। 
आमतौर पर 8.8 तीव्रता वाले भूकंप के लिए तुरंत कारण नहीं माने जाते। जहां तक इसकी मानवीय गतिविधि मतलब परमाणु परीक्षण, समुद्र में खनन या ड्रिलिंग के कारण की है, तो फिलहाल ये कारण भी नहीं हैं। बस सबसे ज्वलंत कारण यही है कि रूस का कामचटका प्रायद्वीप, प्राकृतिक रूप से अत्यंत सक्रिय सबडक्शन  जोन है। जहां पैसिफिक प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे खिसक रही है। इस प्रक्रिया से भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधि स्वाभाविक रूप से होती है। बहरहाल 8.8 तीव्रता (मैग्नीट्यूड) का यह भूकंप अत्यंत शक्तिशाली है और ऐसा भूकंप दुनिया में 20 से 50 साल में एक बार ही आता है।


-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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