विकसित भारत के लिए मोदी का सुधारों का ब्रह्मास्त्र

मुझे अपने स्कूल के दिनों से ही 15 अगस्त के भाषणों में भाग लेने का सौभाग्य प्राप्त होता रहा है लेकिन शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी का अपने शासन काल के 12वें स्वतंत्रता दिवस का भाषण अभूतपूर्व और असाधारण था। इसमें विकसित भारत के पथ पर भारत की गति बढ़ाने के दिशा में सीधे तौर पर लक्षित-ब्रह्मास्त्र-अर्जुन का अकाट्य पौराणिक अस्त्र-छोड़ा गया। वैश्विक अर्थव्यवस्था में व्याप्त असामान्या उथल-पुथल के दौर के बीच विकसित भारत का सपना संजोए भारत सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में निरंतर आगे बढ़ना जारी रखे हुए है। यह भाषण केवल अपनी व्यापकता के लिए ही नहीं, बल्कि साहसिक, भविष्योन्मुखी और 1.4 बिलियन लोगों के भाग्य को नया आकार देने में सक्षम अगली पीढ़ी के सुधारों और उस विजन के प्रति स्पष्टता के लिए भी उल्लेखनीय है, जिसका यह राष्ट्र इससे पहले कभी साक्षी नहीं रहा। उदाहरण के लिए डिजिटल इंडिया स्टैक को ही लें। यूपीआई दुनिया के आधे रीयल-टाइम लेनदेन के लिए उत्तरदायी है और साल के अंत तक होने वाला, पहली मेड-इन-इंडिया चिप के लॉन्च, वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में भारत की अग्रणी स्थिति को दर्शाता है। ऐसे समय में जब राष्ट्रों की नियति सेमीकंडक्टर निर्धारित करते हैं, महत्वपूर्ण तकनीकों पर संप्रभुता का भारत का यह दावा किसी डिजिटल स्वराज से कम नहीं है।
लाल किले की प्राचीर से घोषित ऐतिहासिक राष्ट्रीय संबोधन गहरे जल अन्वेषण मिशन, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में एक महत्वाकांक्षी दूरदर्शी एजेंडा निर्धारित करता है। इस मिशन का लक्ष्य लगभग 40 वाइल्डकैट कुओं की ड्रिलिंग के माध्यम से 600-1200 मिलियन मीट्रिक टन तेल व गैस भंडारों का पता लगाना है। पहली बार बंगाल की खाड़ी से लेकर अरब सागर तक भारत अपनी जटिल अपतटीय सीमाओं को व्यवस्थित रूप से खोलेगा, एक ऐसे ढांटे के साथ जो सूखे कुओं की स्थिति में 80 प्रतिशत तक और व्यावसायिक खोज पर 40 प्रतिशत तक लागत की वसूली की अनुमति देकर निवेश के जोखिम को कम करता है।
यह पहल एक व्यापक योजना का हिस्सा है, जिसके तहत 2032 तक घरेलू तेल और गैस उत्पादन को तिगुना बढ़ाकर 85 मिलियन टन और राष्ट्रीय भंडार को दोगुना करके एक से दो बिलियन टन के बीच किया जा सकता है। लगभग 8 मिलियन टन उत्पादन के बराबर, अतिरिक्त 100-250 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस उपलब्ध कराने के लिए प्लग-एंड-प्ले आधार पर अपतटीय साझा बुनियादी ढांचा बनाया जाएगा। ये सभी उपाय न केवल पहले से अटकी हुई खोजों का मुद्रीकरण करेंगे, बल्कि एक आत्मनिर्भर ईएंडपी इकोसिस्ट्म का निर्माण भी करेंगे जहां स्थानीय आपूर्ति श्रृंखलाओं की हिस्सेदारी आज के 25.30 प्रतिशत से बढ़कर 70 प्रतिशत से अधिक हो जाएगी। यह आज़ादी के बाद से भारत का सबसे व्यापक अपस्ट्रीम सुधार है।
साथ ही, ऊर्जा परिवर्तन के क्षेत्र में भारत वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनकर उभरा है। भारत 2030 के लक्ष्य से पांच साल पहले ही 2025 तक 50 प्रतिशत स्वच्छ ऊर्जा के लक्ष्य तक पहुँच गया है। जैव ईंधन और हरित हाइड्रोजन प्रायोगिक स्तर से उत्पादन की ओर बढ़ रहे हैं। इथेनॉल मिश्रण और सीबीजी स्केल अप एक नए ग्रामीण औद्योगिक आधार का निर्माण कर रहे हैं। एलएनजी के बुनियादी ढांचे का विस्तार जारी है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि असैन्य परमाणु ऊर्जा को निजी भागीदारी के लिए खोल दिया गया है। वर्तमान में 10 नए परमाणु रिएक्टर चालू हैं और भारत का लक्ष्य अपनी स्वतंत्रता के 100वें वर्ष तक अपनी परमाणु ऊर्जा क्षमता को दस गुना बढ़ाना है। यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य 2047 तक ऊर्जा स्वतंत्रता प्राप्त करने की भव्य योजना का हिस्सा है।
प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन की घोषणा हमारी औद्योगिक रणनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। ऐसे समय में जब दुनिया लिथियम, दुर्लभ मृदा तत्व, निकल और कोबाल्ट के सामरिक महत्व को पहचान रही है, भारत ने 1,200 से अधिक स्थलों पर अन्वेषण शुरू किया है और साझेदारी, प्रसंस्करण और पुनर्चक्रण का ढांचा तैयार कर रहा है ताकि नवीकरणीय ऊर्जा, सेमीकंडक्टर, ईवी और उन्नत रक्षा क्षेत्र कभी भी बाहरी अवरोधों के अधीन न रहें। राष्ट्रीय सुरक्षा लाल किला चार्टर का एक अन्य स्तंभ था। ऑपरेशन सिंदूर ने परमाणु ब्लैकमेल के युग का अंत करते हुए वास्तविक समय में भारत की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया और यह संदेश दिया कि आक्त्रमण का जवाब तेज़ी और कुशलता से दिया जाएगा। सिंधु जल संधि को स्थरगित करना संप्रभुता का साहसिक दावा है। सबसे बढ़करए मिशन सुदर्शन चक्र का अनावरण, युद्धभूमि में भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन की रक्षा से प्रेरित है, जो मोदी की शैली-सभ्यतागत प्रतीकवाद के अत्याधुनिक तकनीक से मेल का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री ने कठोर सत्यों से भी परहेज नहीं किया। उन्होंने उद्योग जगत और किसानों से आत्मनिर्भरता अपनाने और उर्वरकों का संतुलित उपयोग करने का आग्रह किया। हालांकि भारत दुनिया की फार्मेसी है, जो वैश्विक टीकों का 60 प्रतिशत का उत्पादन करता है, अब इसे नई दवाओं, टीकों और उपकरणों के क्षेत्र में भी अग्रणी बनने की दिशा में अग्रसर होना चाहिए। घोषित किए गए कर और कानूनी सुधार भी उतने ही साहसिक हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि 1961 का आयकर अधिनियम, जो स्वयं उस युग का अवशेष है, अब बदला जा रहा है। नया आयकर विधेयक जटिलता को कम कर रहा है, 280 अनावश्यक धाराओं को समाप्त कर रहा है और 12 लाख रुपये तक की राहत प्रदान कर रहा है। फेसलेस मूल्यांकन की शुरुआत ने प्रणाली को पारदर्शी, कुशल और भ्रष्टाचार-मुक्त बना दिया है।
दिवाली तक लॉन्च किया जाने वाला अगली पीढ़ी का जीएसटी 2.0, दरों को और अधिक तर्कसंगत बनाएगा और अनुपालन को बढ़ावा देगा। 40,000 से ज्यादा अनावश्यक अनुपालनों को समाप्त करने, 1500 से ज्यादा पुराने कानूनों को निरस्त करने और दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता के साथ, यह नेहरू के आर्थिक पिंजरे को तोड़ने जैसा है। रोज़गार पर फोकस को भी केंद्र में लाया गया है। पीएम विकसित भारत रोज़गार योजना 1 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ लॉन्च की गई है। नए रोज़गार पाने वाले युवाओं को 15,000 रुपये प्रति माह मिलेंगे, नए रोज़गार के अवसरों का सृजन करने वाली कंपनियों को प्रोत्साहन दिया जाएगा और इस कार्यक्रम का लक्ष्य लगभग 3.5 करोड़ युवा भारतीयों तक पहुंचना है। प्रधानमंत्री ने याद दिलाया दुनिया एक प्राचीन सभ्यता को-अपनी जड़ों को त्यागकर नहीं, बल्कि उनसे शक्ति प्राप्त करके आधुनिक शक्ति में तब्दील होते हुए देख रही है।

-केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री

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