जनसांख्यिकी मिशन को राजनीतिक चश्मे से न देखा जाए

स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियाें को संबोधित करते हुए उच्च-शक्ति जनसांख्यिकी मिशन (हाईपॉवर डेमोग्राफी मिशन) की घोषणा कर देश के सीमावर्ती जिलों में अवैध घुसपैठियों और अन्य कारणों से देश में आ रहे जनसांख्यिकीय बदलाव की समस्या के समाधान की उम्मीद बंधी है। देश के कुछ हिस्सों खासतौर से सीमावर्ती ज़िलों में आबादी असंतुलन से बड़ी समस्या होती जा रही है। जनसांख्यिकी मिशन को राजनीतिक लाभ-हानि की दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए। जो तस्वीर सामने आ रही है, उससे सबसे बड़ी और गम्भीर समस्या सीमावर्ती क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर है। हालांकि राजनीतिक दल वोट बैंक के चलते बांग्लादेषियों, रोहिंग्याओं सहित अवैध प्रवास कर रहे लोगों के पक्ष में आ जाते हैं, परन्तु यह सीधा-सीधा राष्ट्रीय सुरक्षा का गंभीर मुद्दा होता जा रहा है। देश में पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, झारखण्ड आदि कई पक्षों से प्रभावित हो रहे हैं। बांग्लादेशी, रोहिंग्या अवैध घुसपैठ करके देश के हर कोने में आसानी से पहुंच जाते हैं। इन लोगों को यहां राजनीतिक संरक्षण मिल जाता है। सामाजिक कार्यकर्ता सक्रिय हो जाते हैं। घुसपैठियों को अवैध कब्ज़ा, राशन कार्ड, नि:शुल्क सुविधाओं से लाभान्वित करवाने वाले गिरोह भी सक्रिय हो जाते हैं। सच में देखा जाए तो ऐसे लोगों को राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई लेना-देना नहीं होता। जैसे ही कहीं पर कोई कार्रवाई करने को प्रशासन आगे आता है तो इनके बचाव में मानवता का नारा उछालने लगते हैं। 
जनसांख्यिकी अध्ययन को दो तरह से समझना पड़ेगा। एक तो सामान्य तौर पर जिस तरह से आयु-धर्म के आधार पर जनसांख्यिकी अध्ययन कर विकास की रूप रेखा तैयार की जाती है। यह एक तरह से इस समस्या का समाधान जनसांख्यिकी अध्ययन के परिणामों के आधार पर नीति व योजनाएं बनाकर किया जा सकता है। इसके ठीक विपरीत जिस तरह से देश में अराजकता व अशांति फैलाने और घुसपैठ व वर्गविषेष के कारण जनसंख्या में बदलाव लाकर क्षेत्रीय असंतुलन पैदा करने का प्रयास किया जाता है, वह स्थिति अधिक गंभीर व चिंतनीय हो जाती है। 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जनसांख्यिकी मिशन की घोषणा के निश्चित रूप से राजनीतिक अर्थ निकालने के प्रयास किये जायेंगे। इसे लम्बे समय से भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक द्वारा घुसपैट और सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध मदरसों आदि द्वारा संचालित गतिविधियों के खिलाफ आवाज़ उठाई जा रही है, उससे जोड़कर देखने का प्रयास किया जाएगा। यहां इसको भी ध्यान में रखना होगा कि अवैध घुसपैठियों द्वारा सीमावर्ती ज़िलों में जिस तरह से आदिवासियों की ज़मीन और सम्पत्ती पर कब्ज़ा किया जा रहा है, यह भी किसी से छिपा नहीं हैं। बीएसएफ और एसएसएफ  द्वारा जिस तरह से सरकार को लगातार रिपोर्टें दी जाती रही हैं, पहली बार उन्हें गंभीरता से लिया जा रहा है। बीएसएफ  के पूर्व एडीजी पी.के. मिश्रा का कहना है कि जनसांख्यिकी मिशन को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। यह तो सीधा-सीधा रार्ष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। आज समूचा देश जनसांख्यिकीय समस्या से दो चार हो रहा है। इसे नेपाल, बांग्लादेश, सीमावर्ती इलाकों में मुसलमान और हिंदुओं की आबादी में आ रहे बदलाव आदि से देखना होगा। प्रधानमंत्री की चिंता किसी एक क्षेत्र या सीमा तक नहीं है। आने वाले दिनों में बिहार, बंगाल आदि में चुनाव होने हैं और राजनीतिक दल इस घोषणा को निश्चित रूप से मुद्दा बनायेंगे, इससे इंकार नहीं किया जा सकता, परन्तु इस समस्या से आंखें नहीं मूंदी जा सकतीं। बंगाल की मुर्शिदाबाद, बिहार का किशनगंज, उत्तर प्रदेश का नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र, असम के आदिवासी क्षेत्र, पश्चिमी बंगाल और झारखण्ड के हालात सामने हैं। सीमावर्ती सहित इन क्षेत्रों में मदरसों द्वारा जिस तरह का वातावरण तैयार किया जा रहा है, उससे जनसांख्यिकी बदलती जा रही है। 
जनसांख्यिकी मिशन को विरोध हो सकता है, परन्तु किसी भी हालत में राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए। जिस तरह से देश के कई भागों में तेज़ी से जनसांख्यिकीय असंतुलन बन रहा है, उसे देखते हुए देरी से ही सही पर जनसांख्यिकी मिशन की घोषणा स्वागतयोग्य है। सभी दलों को राजनीति से उपर उठ कर इसका स्वागत करना चाहिए। यह स्पष्ट हो कि देश की आंतरिक और सीमावर्ती सुरक्षा को कोई खतरा नहीं होना चाहिए। घुसपैठिये जिस तरह आदिवासियों की भूमि पर कब्ज़ा करने से लेकर देश की आम जनता के लिए बनी जनहितकारी योजनाओं में सेंध लगा रहे हैं, उसे रोका जाना अति आवश्यक हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस भावना के साथ मिशन की घोषणा की है, उसी भावना और मंशा के साथ इस मिशन को आकार दिया जाना चाहिए और पूरी कार्ययोजना बनाकर इस पर जल्द से जल्द क्रियान्वयन किया जाना चाहिए। जनसांख्यिकीय संतुलन व सीमाओं की सुरक्षा के साथ ही योजनावद्ध तरीके से असंतुलन के जो प्रयास किये जा रहे हैं , उस पर प्रभावी अंकुश लगाया जाना ज़रूरी है। इसे राजनीतिक विवाद से दूर ही रखा जाना चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी राष्ट्रहित को  प्राथमिकता देनी चाहिए। 
-मो. 94142-40049

#जनसांख्यिकी मिशन को राजनीतिक चश्मे से न देखा जाए