ट्रम्प के युद्ध-विराम के लिए यत्न
रूस और यूक्रेन में चल रहे लम्बे और विनाशकारी युद्ध ने पूरी दुनिया पर गहरा प्रभाव डाला है। सभी देश किसी न किसी तरह इससे प्रभावित हुए हैं। यूरोप के पिछले 80 वर्ष के इतिहास में इसे बेहद भयावह युद्ध माना गया है। इसमें हज़ारों यूक्रेन निवासी मारे गए हैं और लाखों ही शरणार्थी बन गए हैं। यूक्रेन के एक बड़े भाग का विनाश हो चुका है। रूस ने इसके लगभग 20 प्रतिशत क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया है। बहुत समय पहले पुतिन ने यूक्रेन से साइबेरिया जो बहुत विशाल प्रांत है, हथिया लिया था। इसके बाद दोनों देशों में आपसी कशमकश बेहद बढ़ गई थी। यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर ज़ेलेंस्की अपने देश के बचाव हेतु यूरोपियन देशों के लगभग अढ़ाई दर्जन देशों के संगठन नाटो का सदस्य बनने का इच्छुक था परन्तु अपने पड़ोस में इस सीमांत देश का इस संगठन का सदस्य बनना रूस के राष्ट्रपति पुतिन को क दाचित भी गवारा नहीं था। रूस आज भी दुनिया की बड़ी सैन्य शक्ति है। उसके लिए यूक्रेन को झुकाना कोई बहुत बड़ी बात नहीं थी, परन्तु इस युद्ध में बेहद विनाश और अपने महत्त्वपूर्ण क्षेत्र गंवा लेने के बाद भी ज़ेलेंस्की ने रूस के समक्ष घुटने नहीं टेके। इस युद्ध में यूरोप के ज्यादातर देशों के साथ-साथ अमरीका भी उसे हर तरह के हथियार देकर सहायता करता रहा है।
अमरीका में आये राजनीतिक बदलाव और डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद हालात बड़ी सीमा तक बदल गए हैं। ट्रम्प ने अन्तर्राष्ट्रीय नीतियों में बहुत बदलाव किए हैं, जिनका प्रभाव यूक्रेन पर भी पड़ा है। ट्रम्प ने यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति के लिए आनाकानी करनी शुरू कर दी है और दोनों युद्धरत देशों में समझौता करवाने के लिए भी सक्रिय हैं। ट्रम्प ने रूस के साथ युद्ध बंद करने के मुद्दे को लेकर ज़ेलेंस्की को कड़ी फटकार भी लगाई थी। अपने चुनाव से पहले भी ट्रम्प यह दावा करते रहे थे कि राष्ट्रपति बनने के बाद वह इस युद्ध को खत्म करवा देंगे। इसी क्रम में उन्होंने विगत दिवस अलास्का जोकि अमरीका का एक राज्य है, में पुतिन के साथ भेंटवार्ता की। चाहे कुछ दिनों बाद भी अब तक इसके कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आये परन्तु ट्रम्प और पुतिन ने इस भेंट को सफल करार दिया है, जिस कारण यूक्रेन सहित उसके यूरोप के भागीदार देश बेहद अजीब स्थिति में फंसे दिखाई देते हैं।
पुतिन के साथ भेंट के कुछ दिन बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को अपने सरकारी निवास व्हाइट हाऊस में मुलाकात के लिए बुलाया परन्तु इस बार उनके साथ यूरोप के नाटो से संबंधित ज्यादातर देशों के प्रमुख भी व्हाइट हाऊस में गए, जिनमें यूरोपीयन आयोग की प्रमुख उरुसुला के अतिरिक्त फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, जर्मनी के चांसलर फ्रैडरिक और इटली की प्रधानमंत्री मिलोनी आदि शामिल थे। इससे साफ सन्देश यह मिलता है कि यूक्रेन ट्रम्प और पुतिन के बीच तय हुई बातों पर ही समझौता नहीं करेगा। ज़ेलेंस्की किसी भी तरह रूस की ओर से अपने कब्ज़े में लिए गए क्षेत्रों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं और पुतिन इन क्षेत्रों पर साइबेरिया की तरह अपना कब्ज़ा छोड़ना नहीं चाहते। अमरीकी राष्ट्रपति के युद्ध-विराम करवाने के यत्नों की प्रशंसा ज़रूर की जा सकती है, परन्तु क्रियात्मक रूप में इनसे मौजूदा समय में युद्ध-विराम होने की सम्भावनाएं दिखाई नहीं देतीं, परन्तु यूरोप सहित दुनिया भर के देश हो रहे इस विनाश को विराम ज़रूर देना चाहते हैं, ताकि हो रहे मानवीय क्षरण को रोका जा सके।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द