बाढ़ का कहर

विगत दिनों से लगातार हो रही बारिश ने एक बार फिर पंजाब के जन-जीवन को पूरी तरह से दहला कर रख दिया है। हिमाचल प्रदेश में पिछले लम्बे समय से बारिश के कारण बेहद बेचैनी पैदा हो गई है। यातायात के लिए बहुत सी सड़कों पर चट्टानें गिरने के कारण बड़ी रुकावटें खड़ी हो गई हैं। सतलुज दरिया तो किनारों से ऊपर बहना शुरू हो गया है। इसने अब तक जहां हज़ारों एकड़ फसलों को बर्बाद कर दिया है, वहीं गांवों के गांव पानी की चपेट में आ गए हैं। शाहपुर कंड़ी और चमेरा डैम से आ रहे पानी ने रणजीत सागर डैम की झील को इस कदर भर दिया है कि रणजीत सागर डैम के 24 गेट खोल दिए गये हैं, इससे रावी दरिया में पानी का स्तर ओर बढ़ सकता है। भारी बारिश के बाद राज्य के लगभग सभी नदियों-नालों में पानी का स्तर बढ़ने से हर तरफ चिंता पैदा हो गई है।
चाहे राज्य सरकार के मंत्रियों ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने पर सरकार द्वारा हो रहे नुकसान का मुआवज़ा देने का आश्वासन दिया है परन्तु फिलहाल सब तरफ अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। प्रभावित परिवारों को अपने घरों को छोड़ने के लिए मज़बूर होना पड़ रहा है। पशुओं के चारे की कमी खलने लगी है। जिससे दूरगामी परिणाम निकलने के हालात बन गये हैं। ब्यास दरिया में भी पौंग डैम, तलवाड़ा तथा चक्की पुल पठानकोट से आ रहे बेहिसाब पानी से गांवों के गांव प्रभावित हो रहे हैं। अनेक शहरों तथा कस्बों का जन-जीवन व्यापक स्तर पर अस्त-व्यस्त होकर रह गया है। यदि हालात इसी तरह बने रहे तो फसलों के नुकसान के साथ-साथ सब्ज़ियों की व्यापक स्तर पर कमी आने की आशंका भी बन सकती है। ब्यास दरिया में बढ़ते पानी के कारण अस्थायी बांधों को नुकसान पहुंचना शुरू हो गया है। यदि हालात इसी तरह बने रहे तो बहुत-से क्षेत्रों में धान की फसल पर भी इसका बेहद बुरा प्रभाव पड़ेगा। पौंग डैम तथा भाखड़ा डैम से पानी छोड़े जाने के कारण पंजाब के कई ज़िलों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। हरिके हथाड़ क्षेत्र के ज़िलों तरनतारन तथा फिरोज़पुर के गांवों की हज़ारों एकड़ फसल भी तबाह हो गई है। 
पैदा हुई इस स्थिति ने वर्ष 1988 में पंजाब में बाढ़ के कारण हुए भारी नुकसान की याद ताज़ा करवा दी है। ऐसी गम्भीर स्थिति में केन्द्र सरकार को प्रभावित राज्यों की व्यापक स्तर पर मदद करने के लिए तुरंत आगे आने की ज़रूरत होगी। पंजाब सरकार को भी अपने पूरे संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए हर हाल में प्रभावित लोगों की मदद करनी चाहिए। पंजाब की अर्थव्यवस्था पहले ही डावांडोल हो चुकी है। आई इस प्राकृतिक आपदा ने राज्य के समक्ष एक बार फिर बड़ी चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। ऐसे हालात में समाज के सभी वर्गों, सभी पक्षों तथा संबंधित सरकारों को प्रत्येक प्रयास करके लोगों को इस आपदा से निकालने के लिए पूरी तरह यत्नशील होना चाहिए। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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