मुख्यमंत्री हरियाणा का प्रशंसनीय यत्न
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मानसून के विधानसभा अधिवेशन में वर्ष 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के प्रभावित परिवारों के सदस्यों को सरकारी नौकरियां देने की घोषणा करके एक बार फिर इन दंगों से मिले ज़ख्मों पर मरहम लगाने का यत्न किया है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हमले में हुई मृत्यु के बाद दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में एक विशेष साज़िश के तहत सिखों को निशाना बना कर व्यापक स्तर पर हिंसा भड़काई गई थी, जिसका प्रभाव हरियाणा पर भी पड़ा था।
श्री सैनी ने हरियाणा विधानसभा में इसके बारे में विस्तारपूर्वक बताते हुए कहा कि प्रदेश में लगभग 20 गुरुद्वारा साहिब, 221 मकानों, 154 दुकानों, 57 फैक्टरियों, 3 रेल डिब्बों और 85 वाहनों को जला दिया गया था। दर्जनों घायलों के अतिरिक्त 121 व्यक्तियों की मौत भी हो गई थी। संबंधित परिवारों के सदस्य आज भी उस दर्द को महसूस कर रहे हैं। प्रदेश में समय-समय पर इस संबंध में आवाज़ भी उठती रही थीं। समकालीन सरकारों ने प्रभावित परिवारों को कुछ आर्थिक सहायता भी दी थी, परन्तु पीड़ित परिवारों को हरियाणा में रोज़गार देने की पहल पहले नहीं हुई थी। हरियाणा में सिखों के साथ हुए ज्यादती का मामला वर्ष 2011 में फिर कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उठाया था, जिसमें ज़िला रेवाड़ी के गांव होंद चिल्लड़ और गुरुग्राम की वहशी घटनाओं को सभी के सामने लाने संबंधी आवाज़ उठाई गई थी। इसके बाद जस्टिस टी.पी. गर्ग आयोग बनाया गया था, जिसने लगभग 240 याचिकाएं सुनी थीं। 80 प्रभावित लोगों के साथ भेंट भी की थी। वर्ष 2015 में आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट उस समय के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को सौंप दी थी। वर्ष 2016 में प्रभावित परिवारों को पहले दी गई आर्थिक मदद के अतिरिक्त 12 करोड़ रुपए की राशि और प्रदान की गई थी। जहां तक मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का संबंध है, वह हमेशा 40 वर्ष पहले घटित इस दुखद घटनाक्रम के विरुद्ध आवाज़ उठाते रहे हैं। अब उन्होंने बेहद भावपूर्ण ढंग से उन दंगों में मारे गये 121 व्यक्तियों के परिवारों के 1-1 सदस्य को प्राथमिकता के आधार पर सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है। प्रकट की गई ऐसी हमदर्दी के दूरदर्शी परिणाम निकलेंगे।
श्री सैनी ने इसी ही समय यह भी घोषणा की है कि श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी पर्व के अवसर पर उनकी बेमिसाल कुर्बानी को श्रद्धांजलि भेंट करने के लिए प्रदेश भर में समारोह करवाए जाएंगे। इस संबंध में अधिवेशन के दौरान गुरु जी को श्रद्धांजलि भेंट करने का प्रस्ताव भी सर्व-सम्मति से पास किया गया। श्री सैनी ने सदन को सम्बोधित करते हुए कहा कि गुरु तेग बहादुर जी द्वारा विश्वास और ज़मीर की स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा के लिए नवम्बर 1675 में दिल्ली के चांदनी चौक में बलिदान दिया गया था, जिसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। इसे हमेशा याद रखा जाएगा। हम श्री सैनी द्वारा उठाए गए इस अहम पग और प्रकट की गई भावनाओं का सम्मान करते हैं और उनका इसके लिए दिल से धन्यवाद भी करते हैं। नि:संदेह उनके द्वारा दिए गए इस संदेश की भावना को बड़ी ऊंची और सच्ची कहा जा सकता है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द