जी.एस.टी. का सरलीकरण प्रशंसनीय

जी.एस.टी. अर्थात वस्तु एवं सेवा कर को तर्क-संगत बनाये जाने हेतु गठित मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा इस संबंध में केन्द्र सरकार के प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिये जाने से नि:संदेह देश और समाज के एक बड़े वर्ग को बहुत बड़ी राहत मिलने की सम्भावना बनती है। इस प्रस्ताव में केन्द्र सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर की पूर्व की 12 और 28 प्रतिशत की दो बड़ी स्लैब को कम करके 5 और 18 प्रतिशत कर दिया है। ऐसा होना पूर्व में ही अपेक्षित भी था, और इसकी सम्भावना भी बन गई थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के 79वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किला की प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने सम्बोधन में इस हेतु घोषणा की थी। वस्तु एवं सेवा कर की पूर्व की पांच स्लैब के लागू होने के बाद नि:संदेह रूप से करों के ज़रिये एकत्रित राजस्व में बड़ी वृद्धि हुई थी। इसकी पुष्टि समय-समय पर केन्द्र सरकार के वित्त मंत्रालय की ओर से की जाने वाली कर-उगाहन संबंधी घोषणाओं में भी की जाती रही है। तथापि, देश और समाज के कई हिस्सों की ओर से चिरकाल से इस कर को और अधिक तर्क-संगत बनाये जाने और स्लैब की संख्या और दरों को कम किये जाने की मांग की जा रही थी। बेशक व्यापार जगत में यह मौजूदा समय की एक प्रबल मांग बनती जा रही थी।
इस मांग के पीछे एक बड़ा कारण यह भी था कि इन दो स्लैब के कारण देश में कुछ बेहद समाजोपयोगी वस्तुओं के दाम महंगे हो गए थे। दूसरा बड़ा कारण यह भी था कि 12 और 28 प्रतिशत की स्लैब के कारण कर-चोरी के मामले भी बढ़े थे, और इस कर की वसूली के धरातल पर कई तरह की पेचीदगियां भी उत्पन्न होने लगी थीं। अब नई स्लैब से 12 प्रतिशत के अन्तर्गत आने वाली 99 प्रतिशत वस्तुएं, इन पर 5 प्रतिशत की कर-स्लैब लगने से सस्ती हो जाएंगी। इसी प्रकार 28 प्रतिशत कर स्लैब वाली 90 प्रतिशत वस्तुओं के दाम भी 10 प्रतिशत कम हो जाएंगे। जी.एस.टी. दरों में इस बदलाव से समाज के कमज़ोर तबकों जैसे किसान, मज़दूर, दिहाड़ीदार, मध्यम और ़गरीब वर्ग को बड़ी राहत मिल सकती है। इस कारण समाज के मध्यम वर्ग के इस्तेमाल में आने वाली अधिकतर वस्तुओं जैसे नमकीन पदार्थ, चॉकलेट, टुथ-पेस्ट, साबुन, बालों का तेल, कुछ दवाएं आदि सस्ती हो जाएंगी। सीमेंट, कृषि मशीनरी, तैयार सिले-सिलाये कपड़े, वाशिंग मशीन के दामों में भी कमी आने की सम्भावना है। भारतीय स्टेट बैंक के अनुसार वस्तु एवं सेवा कर की दरों को युक्ति-संगत बनाये जाने की प्रक्रिया से आम लोगों की क्रय-शक्ति बढ़ेगी जिससे लगभग दो लाख करोड़ रुपए की खपत को भी बढ़ावा भी मिलेगा। इससे व्यवसायिक धरातल पर कारोबार में वृद्धि होने की भी बड़ी सम्भावना है।
हम समझते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा के बाद केन्द्र सरकार की इस कवायद से एक ओर जहां अनेक वस्तुओं के दामों में कमी आने की बड़ी उम्मीद है, वहीं विगत कुछ समय से देश में बढ़ती महंगाई पर भी अंकुश लग सकता है। इससे एक ओर जहां कर-चोरी पर अंकुश लगेगा, वहीं कर देने वालों की संख्या में बड़ी वृद्धि होने से सरकार के राजस्व में भी इज़ाफा हो सकता है। यह एक बड़ी स्वाभाविक-सी बात है कि कर-ढांचा सरल और संक्षिप्त होने से हमेशा कर-राजस्व में वृद्धि होती रही है। जी.एस.टी. पर भी यह सिद्धांत लागू होता है। हम समझते हैं कि केन्द्र सरकार की इस पहल से बेशक देश में सर्वत्र एक सुखद माहौल बनने की उम्मीद बनते दिखाई देती है, किन्तु इस बदलाव को सही मायनों में धरा पर उतारने की कोशिश भी की जानी चाहिए। इस घोषणा के कागज़ों पर बने रहने से, इसका लाभ कदाचित जन-साधारण और देश के मध्यम वर्ग तक नहीं पहुंच पाएगा। इसके साथ ही एक ओर जहां कर ढांचे में और परिवर्तन लाये जाने की ज़रूरत है, वहीं प्रशासनिक ढांचे में भी सुधार लाया जाना आवश्यक हो जाता है। हम यह भी समझते हैं कि कर-ढांचे को सरल बना कर, और देश भर में कर-राजस्व को बढ़ा कर, भारत अमरीकी टैरिफ वृद्धि का सामना भी बखूबी कर सकेगा। कर-राजस्व की उगाही में देश जितना सक्षम होगा, उतना ही भारत की शेष विश्व के समक्ष खड़े होने की दृढ़ता और इच्छा-शक्ति बढ़ेगी। इस धरातल पर देश की राजनीति, राष्ट्र की जन-शक्ति और प्रशासनिक तंत्र को अपनी-अपनी भूमिका निभानी होगी। तथापि, वस्तु एवं सेवा कर में किया गया मौजूदा तर्क-संगत बदलाव एक ऐसा फैसला है, जिसका सर्वत्र स्वागत किया जाना चाहिए।

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