युवा शक्ति को बचाने के लिए ‘मनी गेम्स’ पर प्रतिबंध

भारत में युवा वर्ग आबादी का लगभग 65 प्रतिशत है इसलिए मोदी सरकार ने इस युवा वर्ग को बचाने के लिए ऑनलाइन मनी गेम्स पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। प्रतिबंध लगाने के लिए मोदी सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग प्रमोशन एंड रेगुलेशन विधेयक-2025 लोकसभा और राज्यसभा से पारित करवाने के बाद राष्ट्रपति से हस्ताक्षर करवा लिया है, इसके बाद कानून बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इसके तहत ऑनलाइन मनी गेम्स पर पूरी तरह से प्रतिबंध लग जाएगा। देखने में तो यह फैसला छोटा लगता है लेकिन मोदी सरकार के लिए यह फैसला लेना बहुत मुश्किल रहा होगा। अनुमान है कि इस उद्योग में लगभग दो लाख करोड़ रुपये लगे हुए हैं और सरकार को इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सालाना 20000 करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है। इसके अलावा लाखों लोगों की नौकरियों पर भी  इससे खतरा आ सकता है, लेकिन युवा शक्ति को बचाने के लिए मोदी सरकार को यह कदम उठाना पड़ा।
हमारी युवा पीढ़ी बहुत ज्यादा डिजिटल फ्रैंडली है और शौक-शौक में ऑनलाइन गेम्स के दलदल में धीरे-धीरे धंसती चली जा रही है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि उसे इसका  इहसास भी नहीं है। छोटी उम्र के बच्चों को भी इसकी लत लगती जा रही है। इस उम्र में पैसा कमाने का जुनून कुछ ज्यादा ही होता है और उन्हें ऐसा लगता है कि वे मनी गेम्स खेलकर जल्दी ही मालामाल हो जाएंगे। इसलिए ऑनलाइन गेम्स खेलने वालों की संख्या लगातार बढ़ती रही है। एक अनुमान के अनुसार भारत के 50 करोड़ लोगों को ऑनलाइन गेम्स खेलने की आदत पड़ चुकी है। सरकार ने इन खेलों से जुड़े विज्ञापन, प्रमोशन और बैंक या पेमेंट एप्स के ज़रिए होने वाले लेन-देन पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है । 
सवाल  उठता है कि रियल मनी गेम क्या है, ऑनलाइन  रियल-मनी गेमिंग उन डिजिटल प्लेटफॉर्म को कहा जाता है जहां खिलाड़ी खेलों में भाग लेने के लिए भुगतान करते हैं और नकद राशि जीत सकते हैं। इसमें नकद दांव और मौद्रिक जीत वाले सभी ऑनलाइन गेम शामिल हैं। कानून के अनुसार सभी ऑनलाइन मनी गेम्स फिर वह चाहे स्किल पर आधारित हों या किस्मत पर, बैन कर दी गई हैं। इसके अलावा ऑनलाइन फैंटेसी स्पोर्ट्स और लॉटरी भी प्रतिबंधित कर दिए गए हैं। इस कानून में मनी गेम्स आफर करने पर अधिकतम 3 साल की जेल और एक करोड़ रुपये तक जुर्माना हो सकता है। इसके अलावा मनी गेम्स का विज्ञापन करने पर 2 साल की जेल और 50 लाख रुपये जुर्माना हो सकता है। यह कानून कहता है कि अगर अपराध दोहराया जाता है तो सज़ा और जुर्माना दोगुना हो जाएगा और आगे सज़ा और जुर्माना बढ़ते जाएंगे ।
सबसे बड़ी बात इस अपराध को गंभीर मानते हुए गैर-ज़मानती श्रेणी में रखा गया है। शिकायत मिलने या पता चलने पर अपराधी की तुरंत गिरफ्तारी की जाएगी और किसी वारंट को लाने की ज़रूरत नहीं होगी। इसकी वजह यह भी हो सकती है इस अपराध करने वाला तुरंत अपने अपराध के सबूत मिटा सकता है। देखा जाए तो सरकार ने बहुत सख्त कानून बनाया है क्योंकि सरकार को पता है कि हमारी युवा पीढ़ी इसके कारण बर्बाद हो रही है। इसके लिए केन्द्र सरकार ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी नामक नया राष्ट्रीय निकाय बनाने का जा रही है जो ऑनलाइन गेम्स को श्रेणीबद्ध और पंजीकृत करेगा। इस निकाय को यह अधिकार होगा कि वह तय कर सके कि कौन-सा गेम प्रतिबंधित मनी गेम है। यह निकाय ही जनता से मिलने वाली शिकायतों और कानून के नियमों के पालन को सुनिश्चित करेगा । 
जहां सरकार एक तरफ  मनी गेम्स पर प्रतिबंध लगाने जा  रही है, वहीं दूसरी तरफ  सरकार अन्य ऑनलाइन गेम्स को बढ़ावा देने जा रही है। सरकार ने ऑनलाइन गेम्स को ई-स्पोर्ट्स के तहत खेल का दर्जा देने का फैसला किया है। केन्द्र सरकार और बाद में राज्य सरकारों की ट्रेनिंग अकादमियां शोध और आधिकारिक प्रतियोगिताओं में सहयोग देंगी। सरकार का कहना है कि ऑनलाइन गेम्स की सामाजिक एवं शैक्षिक श्रेणी को पंजीकृत करके बढ़ावा दिया जाएगा। इसके  कारण युवा वर्ग सुरक्षित और उम्र के अनुसार खेलों के ज़रिये मनोरंजन और अपने कौशल का विकास कर सकेगा । ऑनलाइन गेम्स की आदत युवा वर्ग के मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल रही है। वास्तविक खेलों से दूरी के कारण ही युवा वर्ग में डिप्रेशन, चिंता और सामाजिक समसामयिक जैसे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। सिर्फ ऑनलाइन मनी गेम्स ही नहीं बल्कि दूसरी ऑनलाइन गेम्स भी युवा वर्ग को बर्बाद कर रही हैं। जो छोटे-छोटे बच्चे गलियों में खेला करते थे, वे आजकल मोबाइल में गेम खेलते रहते हैं। इसके कारण बच्चों में सामाजिक संबंध बनाने की क्षमता खत्म होती जा रही है । 
रियल मनी गेम्स के कारण गंभीर सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक मामले सामने आ रहे हैं। कुछ मामलों में तो आत्महत्या और चोरी जैसी घटनाएं भी सामने आई हैं। केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि ऑनलाइन गेमिंग के कारण कई लोग अपनी ज़िंदगी भर की जमापूंजी बर्बाद कर चुके हैं। ऐसे लोगों को बचाने के लिए ही सरकार द्वारा यह विधेयक लाया गया। (अदिति)

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