हर हाल में रुकना चाहिए रूस-यूक्रेन युद्ध

रूस-यूक्रेन युद्ध 2022 में आरम्भ हो गया था। दोनों तरफ से जमकर युद्ध लड़ा गया। फलस्वरूप शहरों के शहर खण्डहर में बदलते रहे और भारी जान-माल का नुकसान हुआ। हाल ही के कुछ दिनों में यूक्रेनी नागरिकों पर रूस के भारी घातक हमले देखे गये। यूक्रेन में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार मानिटरिंग मिशन के प्रमुख डेनियल बेल के अनुसार लांचर मिसाइलों और ड्रोन हमलों की बढ़ोतरी के चलते युद्ध के मोर्चे से दूर रहने वाले नागरिक भी हताहत हो रहे हैं। जून माह में ही 232 यूक्रेनियों की मृत्यु हुई, जबकि 1343 घायल हो गये। रूस की तबाही का ज़िक्र यूक्रेन के सेनाधिकारियों और राजनीतिज्ञों द्वारा बार-बार किया जाता है। दोनों देश एक-दूसरे को कसूरवार ठहरा कर दोषारोपण भी करते रहे हैं। यूक्रेनी नागरिकों की हालत बेहद जानलेवा साबित होती जा रही है। कभी-कभार हालात यूक्रेन के पक्ष में मुड़ते दिखाई देने लगते हैं, तभी रूस ज्यादा बड़े हमले कर देता है। ट्रम्प के बारे में कोई निश्चित रूप से कुछ नहीं कह सकता। पहले ज़लेंस्की को बुला कर अपमानित कर निकाल देते हैं। फिर रूस की मदद में आती हुई चीनी मदद से घबरा कर यूक्रेन को मदद पहुंचाने लगते हैं। गाजा पट्टी पर युद्ध रुकवाने की जगह बेतुके बयान देने लगते हैं। इस समय यूक्रेन और उसके पश्चिमी सहयोगी उम्मीद कर सकते हैं कि ट्रम्प ने अपने रुख में जो बदलाव का इशारा किया है, वह बना रहेगा, लेकिन कब तक? फिलहाल ट्रम्प का निर्णय है कि अमरीका यूक्रेन को घातक मिसाइलें देगा, ताकि यूक्रेन रूस के खिलाफ युद्ध जारी रख सके। लेकिन इन मिसाइलों का भुगतान यूरोप को ही करना होगा। यहां भी वह अपनी व्यापारिक नीति और लाभ से पीछे नहीं हटना चाहते। इससे एक ओर बात निकल कर सामने आ रही है कि पुतिन के साथ शांति समझौते की जो बात पहले हो रही थी, उससे अब ट्रम्प का विश्वास धीरे-धीरे काफी कमज़ोर पड़ गया है। ट्रम्प के स्वभाव के जानकार लोग यह मानने में हिचक नहीं रहे कि हो सकता है कि पुतिन से चिढ़ कर ट्रम्प रूस पर नए प्रतिबंध की घोषणा कर दें।
पुतिन की चिंता की वजह यह है कि 15 जुलाई को यूक्रेन की संसद ने काउंसिल ऑफ यूरोप के साथ मिलकर ऐसे विशेष ट्रिब्यूनल की स्थापना के पक्ष में वोटिंग की, जिसके अनुसार यूक्रेन पर हमले के अपराध के लिए रूस पर मुकद्दमा चलाया जाएगा। यूक्रेन का यह निर्णय उस करारनामे को मजबूत करता है, जो राष्ट्रपति ज़लेंस्की की काऊंसिल की पहली यात्रा के दौरान 25 जून को हस्ताक्षरित किया गया था।
इसी के समानांतर पश्चिम अगर भारत की स्थिति को सामने रखे तो पाकिस्तान पर भी मुकद्दमा बनता है जो वह कई बार भारत पर हमले कर चुका है, लेकिन पश्चिम इस बात पर कभी नहीं बोलेगा।
इस संकेत को डीकोड करने वाले बता रहे हैं कि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ने वाले पुतिन के बचाव का रास्ता बहुत कम है। ट्रिब्यूनल को रूस में उच्च पदों पर बैठे सभी नेताओं के खिलाफ अनुसंधान की अनुमति देनी होगी। इस अभियोग की काफी गम्भीरता से बात की जा रही है।
काऊंसिल ऑफ यूरोप द्वारा फरवरी 2022 में रूस के प्रतिनिधित्व अधिकारों को निलम्बित करने और फिर एक माह बाद रूस को निष्कासित करने के बाद यह समझौता हुआ था। रूस दो-चार वर्ष नहीं, 26 वर्ष तक इसका सदस्य रहा था। यह ट्रिब्यूनल रूस को यूक्रेन हमले का ज़िम्मेदार ठहराने के लिए तीन वर्ष तक बनाए दबाव का परिणाम है। अन्तर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आई.सी.सी.) भी हज़ारों यूक्रेनी बच्चों के रूस में अवैध निर्वासन में भूमिका के लिए पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर चुका है।

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