सर्वविध कल्याणकारी है रुद्राक्ष-कवच

शिवपुराण के अनुसार जब ताड़कासुर के अत्याचारों से सभी देवगण त्रस्त हो गये तो वे भगवान रुद्र के पास अपनी दुर्दशा सुनाने तथा ताड़कासुर से त्राण पाने के लिए गये। भगवान शिव ने उनके दु:ख को दूर करने के लिए दिव्यास्त्र तैयार किया। इस दिव्यास्त्र को तैयार करने में उन्हें एक हज़ार वर्ष तक अपने नेत्रों को खुला रखना पड़ा। नेत्रों के खुले रहने के कारण जो अश्रु (आंसू) बूंद नीचे गिरे, वे ही पृथ्वी पर आकर रुद्राक्ष के रूप में उत्पन्न हो गए।यूं तो रुद्राक्ष नक्षत्रों के अनुसार सत्ताइस मुखों वाला, कहीं-कहीं इक्कीस मुखों वाला तो कहीं पर सोलह मुखों तक का वर्णन मिलता है, परंतु चौदहमुखी तक का ही रुद्राक्ष अत्यन्त मुश्किल से प्राप्त होता है। इन सभी रुद्राक्षों की मुख के आधार पर अलग-अलग विशेषताएं होती हैं। जिस प्रकार समस्त देवताओं में विष्णु नवग्रहों में सूर्य श्रेष्ठ होते हैं, उसी प्रकार वह मनुष्य जो कंठ या शरीर पर रुद्राक्ष धारण किए होता है अथवा घर में रुद्राक्ष को पूजा-स्थल पर रखकर पूजन करता है, मानवों में श्रेष्ठ मानव होता है। दो मुख वाला रुद्राक्ष, छह मुख वाले रुद्राक्ष तथा सात मुख वाले रुद्राक्ष को एक साथ मोतियों के साथ जड़कर माला के रूप में पहनने से ‘रुद्राक्ष कवच’ का रूप बन जाता है। यह कवच सभी अमंगल का नाश करता है तथा इच्छानुसार फल प्रदान करने वाला होता है।दो मुख (द्विमुखी) रुद्राक्ष शिव पार्वती का स्वरूप है। यह अर्द्धनारीश्वर का प्रतीक है। इसको धारण करने से धन-धान्य, सुत, आह््लाद आदि सभी वैभव प्राप्त हो जाते हैं। कुंवारी कन्या प्रभुत्व वाली पति प्राप्त करती है तथा बच्चों में अच्छा संस्कार आ जाता है।छह मुख (षड्मुखी) रुद्राक्ष को भगवान कार्तिकेय का स्वरूप माना जाता है। इसका संचालक शुक्र ग्रह है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से वैवाहिक समस्याएं, रोजगारपरक समस्याएं, भूत-प्रेतादिक समस्याएं त्वरित नष्ट हो जाती हैं। किसी भी प्रकार के अमंगल की संभावना नहीं रहती।सात मुख वाला (सप्तमुखी) रुद्राक्ष अनंगस्वरूप एवं अनंग के नाम से प्रसिद्ध है। इस रुद्राक्ष का प्रतिनिधित्व ‘शनिदेव’ करते हैं। इस रुद्राक्ष को धारण करने से शनिदेव की वक्रदृष्टि समाप्त हो जाती है तथा पारिवारिक कलह, दाम्पत्य जीवन में वैमनस्यता आदि दूर हो जाती है।विद्येश्वर संहिता के अनुसार ‘रुद्राक्ष कवच’ धारण करने वाले व्यक्ति की कोई भी ऐसी कामना नहीं होती जो पूरी न हो सके। आज के समय में छात्र-छात्रा, गृहिणी, व्यवसायी, नौकरीपेशा आदि सभी के लिए यह कवच अत्यन्त ही प्रभावशाली सिद्ध हो सकता है। कन्या का विवाह, पुत्र की पढ़ाई, आर्थिक सम्पन्नता, निर्भयता आदि के लिए ‘रुद्राक्ष-कवच’ को धारण किया जाना चाहिए। (उर्वशी)

आनंद कुमार अनंत