जान-लेवा साबित हो सकती है खून की कमी


अनीमिया भारतीय महिलाओं की आम बीमारी है। यहां कुपोषण आम बात है। अमीमिया के तीन प्रमुख कारण सामने आते हैं। यह खून का बहना या दुर्घटना, आपात स्थिति में आपरेशन या शारीरिक क्रियाओं को निष्पादित करने के कारण होता है। द्वितीय कारण लाल रक्त कणिका का तेज़ी से क्षय होना एवं तृतीय कारण इसके निर्माण की गति का धीमा होना है।
लाल रक्त कणिका को सामान्यतया खून कहा जाता है, क्योंकि यह खून का मुख्य घटक है। किसी भी आयु वर्ग एवं शारीरिक बनावट की महिला अनीमिया की शिकार हो सकती है। अनीमिया अर्थात् खून की कमी का पता रक्त जांच से ही चल पाता है।
लक्षण
अनीमिया पीड़ित महिला को सुस्ती, सिर में दर्द, छाती में दर्द, त्वचा में पीलापन, शरीर का ठंडा रहना, मामूली कामकाज से थकान, शारीरिक शक्ति में कमी, हांफना, छोटी-छोटी सांस लेना, दिल की धड़कन का अनियमित होना आदि जैसे शारीरिक लक्षणों से गुजरना पड़ता है।
खतरा
खून की कमी होने पर हृदय को अधिक काम करना पड़ता है। हृदय यह कार्य पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन प्राप्त करने के लिए करता है। खून की कमी से हृदय की धड़कन बढ़ जाती है। हृदयाघात का खतरा रहता है। रक्त की कमी से ही शरीर के कई अंग अपनी पूर्ण क्षमता के साथ काम नहीं कर पाते। यह शरीर को अक्षम बना देता है।
रक्त वृद्धि
हीमोग्लोबिन को बढ़ाने में आयरन, विटामिन सी एवं बी—12 प्रमुख व सहायक घटक हैं। वह हरी सब्ज़ियों, पालक, मेथी, चौलाई आदि सभी भाजियों में मटर, मूंगफली, मसूर, सभी फलियों, बादाम, किशमिश, अंडा, मांस, मछली आदि में होता है। लाल व बैंगनी रंग के फल—फूल एवं सब्ज़ियों में आयरन की मात्रा होती है।
रक्त नवनिर्माण में सहायक द्वितीय मुख्य घटक विटामिन सी है। यह शरीर को आयरन के अवशोषण में सहायता करता है। विटामिन सी सभी रसदार फलों नींबू, मौसमी, संतरा, आम, स्ट्राबेरी, तरबूज, खरबूजा, अमरूद, आंवला कीवी आदि में पाया जाता है। हरी सब्ज़ी, टमाटर, गोभी, आलू आदि में भी मिलता हैविटामिन बी-12 एवं मल्टी विटामिन
अंकुरित अनाज, दलहन में पाया जाता है। यह भी रक्त निर्माण क्रिया में सहायक है।फोलेट— यह चावल, केला, संतरा, ब्रेड, अंडा, मांस एवं सूखी फलियों में पाया जाता है। बताए गए सभी खाद्य पदार्थ रक्त नवनिर्माण की प्रक्रिया में अत्यंत सहायक हैं। इसमें जो भी सरलता से मिले, उपयुक्त मात्रा में सेवन करना चाहिए।
दवा भी रक्त निर्माण में सहायक है, किन्तु शरीर खाद्य पदार्थों के पौष्टिक तत्वों को सरलता से स्वीकार लेता है, जबकि दवाओं को कभी-कभी शरीर अस्वीकार कर देता है और लाभ के बजाय हानि होती है। (स्वास्थ्य दर्पण)
—सीतेश कुमार द्विवेदी