आप भी बच सकते हैं गैस्ट्रिक से

खानपान की तबदीली का सबसे अधिक असर पेट पर पड़ता है जिससे शरीर में कई तरह के अम्ल बनने शुरू हो जाते हैं जिससे गैस्ट्रिक (बदहजमी) का शिकार होते अधिक समय नहीं लगता है। ऐसे में बाजार से उपलब्ध दवाइयां लेकर खुद डॉक्टर न बनें। बेहतर है समय पर डॉक्टरी परामर्श लेकर दवा शुरू कर दें।
दवा के साथ इस समस्या से निपटने के लिए अपने खान-पान की ओर भी पूरा ध्यान॒ दें। खान पान में जो बदलाव लाए हैं उन्हें फिर से हल्का करें और अपने आप को बदहजमी से दूर रखें।
ा ऐसे में अधिक वसायुक्त भोजन न करें। 
ा विटामिन सी से भरपूर फलों का सेवन बहुत कम करें जैसे संतरा, नींबू, टमाटर आदि।
ा काफी और चाय का सेवन भी न के बराबर करें। चाय पीने के अधिक आदी होने पर पहले पानी पिएं, फिर चाय ठंडी करके पिएं।
ा भोजन करते समय पानी का प्रयोग यथासंभव बहुत कम मात्रा में करें।
ा मुख्य रूप से दो बार भरपेट भोजन खाने की बजाय दिन में चार पांच बार थोड़ी मात्रा में खायें। 
ा रात्रि को भोजन सोने से दो-तीन घंटे पहले करें। रात्रि भोजन करने के तुरंत बाद न लेटें।
ा अधिक वजन वाले लोगों को व्यायाम करके और लगातार सैर करके अपना वजन नियंत्रण में रखना चाहिए।
ा नशीली वस्तुओं का इस्तेमाल न करें जैसे शराब, सिगरेट, तंबाकू, पान मसाला और बीड़ी आदि।
ा बदहजमी का सबसे बड़ा दुश्मन है-क्रोध और तनाव। इससे अपने आपको दूर रखने का पूरा प्रयास करें जिसके लिए आप योग, मेडिटेशन का सहारा लें, जिससे मन में शांति का प्रवेश हो सके। 
ा सोते समय मन को शांत रखें जिससे आप अच्छी नींद ले सकें।
ा कोई अन्य बीमारी होने पर डॉक्टर को अपनी गैस्ट्रिक समस्या के बारे में अवश्य बतायें क्योंकि कई बार कुछ दवाइयां अधिक अम्ल बनाने में सहायक होती हैं। (स्वास्थ्य दर्पण)
-मेघा