युवा वर्ग में बढ़ रहा युवा वर्ग में बढ़ रहा तनाव

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं कि आने वाले सालों में यानी 2020 तक पूरी दुनिया में युवा पीढ़ी में मौत की बड़ी वजह तनाव हो सकता है। पिछले कुछ सालों से युवा पीढ़ी में लगातार बदलती जीवनशैली के कारण तनाव बढ़ रहा है। हमारे मूड में सामान्य तौर पर बदलाव आते रहते हैं। लेकिन अगर निराशा, खालीपन, दिलो-दिमाग के भीतर लगातार समां जाते हैं और हमारी जीवनशैली पर नकारात्मक प्रभाव डालने लगते हैं तो वह तनाव की बड़ी वजह बन जाता है। पहले 40 वर्ष की आयु के बाद लोग इसकी गिरफ्त में आते थे लेकिन अब 20 वर्ष की आयु के युवक, युवतियां यहां तक कि स्कूली बच्चे भी तनाव का शिकार हो रहे हैं। दरअसल तनाव दिमाग में रसायनों के असंतुलन से होता है और इसकी चिकित्सा के लिए कई पद्धतियों का इस्तेमाल किया जाता है। आमतौर पर लोगों में यह धारणा व्याप्त है कि तनाव आता और जाता रहता है। खुश रहने का प्रयास करना चाहिए; क्याेंकि तनाव और आत्महत्या का सीधा संबंध होता है। तनाव के लिए लाइफ स्टाइल भी एक बड़ा कारण होता है। आजकल की युवा पीढ़ी पर काम का बढ़ता दबाव उसके लिए जानलेवा साबित हो रहा है। आत्मविश्वास की कमी, बढ़ती महत्वाकांक्षाएं, भोजन में पोषक तत्वों की कमी; इन तमाम कारणों से युवा वर्ग के तनाव की गिरफ्त में आने की आशंकाएं कई गुना बढ़ जाती हैं। इन तमाम वजहों के अलावा काम में प्रतिस्पर्धा, जैवकीय, मनोवैज्ञानिक और पर्यावरणीय स्थितियां भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। मस्तिष्क में न्यूरोकैमिकल और जेनेटिक बदलाव भी तनाव को बढ़ावा देते हैं। इसके अलावा किसी प्रिय व्यक्ति की मृत्यु और किसी द्वारा रिजेक्शन भी तनाव की वजह बनते हैं। अपने आसपास के लोगों के प्रति उदासीनता इस स्थिति को और भयावह बना देती है। तनाव से एक छ: महीने का बच्चा भी नहीं बच पाता है उसे भी यदि अपनी मां से लंबे समय तक अलग रखा जाता है तो उसकी मन:स्थिति में बदलाव आ जाता है।  तनाव से ग्रस्त व्यक्ति को अपनी मानसिक स्थिति में आने वाले उतार-चढ़ाव के विषय में सचेत हो जाना चाहिए और इसका इलाज तुरंत कराना चाहिए। घरेलू समस्याओं, असफल विवाह, पैसे की कमी जैसी समस्याओं के विषय में अपने डॉक्टर से खुलकर बात करनी चाहिए। समस्या यदि ज्यादा गंभीर हो जाती है और शरीर में रसायनों के असंतुलन से स्थिति बिगड़ जाती है तो इसके लिए मनोचिकित्सक से मेडिकल सहायता ली जानी चाहिए। तनाव से बचाव और इलाज के लिए लाइफ स्टाइल में बदलाव करना चाहिए। अपने भोजन की पौष्टिकता पर पूरा ध्यान दें। पर्याप्त नींद लें। मस्तिष्क में सेरोटिन के संतुलन के लिए ज्यादा कड़ी एक्सरसाइज न करें, हल्का-फुल्का व्यायाम करें, अपने सामाजिक दायरों को बढ़ायें। लोगों के साथ बैठें, उनके संग बातचीत करें। इससे आत्मविश्वास पुख्ता होता है।    

         (फ्यूचर मीडिया नेटवर्क)