अत्यावश्यक है गेहूं की सम्भाल

गत दिनों जब पंजाब में कई स्थानों पर भारी बारिश हुई तो एक बार तो राज्य की मंडियों में लगे गेहूं के अम्बारों के प्रति पुन: चिंता पैदा हो गई। रबी की इस फसल की बिजाई से लेकर कटाई तक कई बार प्रकृति क्रोधित ही होती दिखाई देती है और इस समय के दौरान फसल के लिए कई तरह की समस्याएं भी सामने आती हैं। परन्तु इस बार गत वर्ष की अपेक्षा गेहूं का उत्पादन अधिक हुआ है। पहले ट्रक मालिकों के साथ सरकार का काफी समय तक कई कारणों से विवाद बना रहा। आज तक उनके मन शिकायतों से भरे पड़े हैं, इसलिए उन्होंने गेहूं उठाने का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया। इसलिए सरकार ने और प्रबंध करने के लिए कई कदम भी उठाए। जहां तक कि ट्रैक्टरों-ट्रालियों वालों को भी गेहूं उठाने की स्वीकृति दे दी। आज तक भी अनेक तरह की मुश्किलें सामने हैं, जिनके कारण बड़े सरकारी प्रयासों के बावजूद पूरी सफलता नहीं मिल सकी।  चाहे मंडियों में गेहूं की बिक्री संबंधी किसानों को कोई समस्या नहीं आई और फसल की अदायगी भी काफी सीमा तक ठीक ही हुई है परन्तु इसके बावजूद मंडियों में लगे गेहूं के अम्बार दिल को परेशान अवश्य करते हैं। हमारी सूचना के अनुसार गत दिनों मंडियों में 38 लाख टन के लगभग गेहूं पड़ा है जिसकी उठाई नहीं हो सकी। इस बार इन दिनों में पिछली बार की अपेक्षा अधिक गेहूं मंडियों में आया। गत दिनों हुई बारिश से गेहूं का नुक्सान हुआ और सरकार द्वारा खरीदी गई बोरियों में पड़ी गेहूं भी खराब हो गई परन्तु आज तक भी उठाई के संतोषजनक प्रबंध नहीं हो सके। मंडियों में अक्सर बारदाने की कमी बनी रही, जिस तरह कि पहले से ही अनुमान लगाया जा रहा था। इस बार भी गोदामों में गेहूं के लिए जगह की बड़ी कमी है, क्योंकि पहले ही चावल की पड़ी फसल को अधिकतर स्थानों पर गोदामों से उठाया नहीं जा सका। इसका कारण केन्द्रीय एजेंसी एफ.सी.आई. द्वारा कई बार इस संबंधी असमर्थता व्यक्त करना है। गत दिनों भारत के खाद्य सचिव और पंजाब के खाद्य सचिव ने मंडियों में दौरा करके गोदाम पहले ही बोरियों से भरे होने संबंधी कहा था कि इस बार गोदामों की कमी नहीं आने दी जाएगी परन्तु स्थिति यह है कि ट्रक और ट्राले कई-कई दिन गोदामों में गेहूं रखने के लिए इंतजार में खड़े रहते हैं, जिससे उनका बड़ा नुक्सान होता है। चावल को विशेष गाड़ियां चलाकर बाहर भेजने का प्रबंध पूरा सफल नहीं हो सका, जिसने इस समस्या को और भी बढ़ा दिया है, क्योंकि रबी की फसल आने से पहले गोदामों को खाली करना आवश्यक था। जहां तक गोदामों की हालत है इस संबंधी कभी भी संतोषजनक प्रबंध नहीं किए जा सके। गेहूं की भरी अधिकतर बोरियां लम्बे समय तक बाहर ही पड़ी रहती हैं, जिस कारण अनाज खराब होने के कारण करोड़ों रुपए का नुक्सान भी हो जाता है। आबादी के लगातार बढ़ने से हर तरह के अनाज की हमेशा बड़ी ज़रूरत रहती है। परन्तु इसके रख-रखाव के लिए साधन अभी आधे-अधूरे हैं, जिनको हर हाल में पूरा किया जाना बेहद आवश्यक है। यदि लगातार यह सिलसिला इसी तरह बना रहा तो इसका असर अंत में किसानों से लेकर समूचे प्रबंधों पर पड़ेगा, जो अंत में देश के लिए बेहद घातक साबित हो सकता है। सरकारी विभागों और एजेंसियों को फसलों के मंडीकरण तथा उनके रख-रखाव के लिए विशेष प्रयासों की ज़रूरत होगी। इस तरह ही देश की समृद्धि और विकास को पटरी पर लाने में सहायक हुआ जा सकेगा।

-बरजिन्दर सिंह हमदर्द