रहस्यमयी पत्थरों की दुनिया

दुनियाभर के 300 से ज्यादा रॉक विज्ञानी दिन-रात शोध कर रहे हैं लेकिन अभी तक वे इस पहेली को सुलझा नहीं पाये जो पहेली 2009 में उनके सामने आयी थी। दरअसल साल 2009 में तिब्बत-चीन सीमा के नजदीक जब एक सुरंग की खुदाई की जा रही थी, तब करीब 700 से ज्यादा करीने से कटे हुए गोल आकार के छोटे-छोटे पत्थर मिले। पहले तो इन्हें सामान्य पत्थर ही समझा गया, लेकिन जब एक साथ इतनी बड़ी संख्या में बिल्कुल हूबहू एक जैसे पत्थर मिले, जो पुराने ग्रामो फोन रिकॉर्ड के माफिक थे, तो खुदाई करने वालों को लगा जरूर इनके पीछे कोई खास बात है। इन पत्थरों को रॉक वैज्ञानिकों को दिखाया गया। वे इन्हें देखते हुए खुद अचरज में पड़ गये और सोचने लगे क्या ये ऐसे पत्थर हैं, जिनका आवाज रिकॉर्ड करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है? हालांकि ये सवाल अटपटा था, लेकिन जिस तरह की संरचना में ये तमाम पत्थर पाये गये थे, उन्हें देखकर यह पूरी तरह से मजाक जैसी बात भी नहीं लग रही थी। हैरानी का एक पन्ना इनमें तब और जुड़ गया जब कार्बन डेंटिंग के जरिये इन पत्थरों की वास्तविक आयु का पता लग गया। वैज्ञानिकों को यह जानकर हैरानी हुई कि उनकी उम्र 10,000 से 13,000 साल के बीच में है।  लेकिन ये रॉक मिस्ट्री अकेले तिब्बत की खुदाई के दौरान ही सामने नहीं आयी बल्कि दुनिया के अलग-अलग जगहों में और भी रहस्यमयी पत्थर मिले हैं। रहस्यमयी पत्थरों की दुनिया में महाबलीपुरम की भी एक कहानी है। महाबलीपुरम जो कि दक्षिण भारत में स्थित एक देवस्थानम है। यहां एक ऐसा भारी भरकम पत्थर है जिसकी ऊंचाई 20 फीट और चौड़ाई 5 फीट है, यह जिस जगह पर रखा हुआ है, उसे देखकर लगता है ये कभी भी गिर पड़ेगा। लेकिन एक से बढ़कर एक आंधी तूफान आये, भयानक बारिश हुई फिर भी यह पत्थर अपनी जगह से टस से मस नहीं हुआ। इस पत्थर को देखकर भी दुनियाभर के वैज्ञानिक हैरान हैं कि यह आखिर किस वजह से इतने संतुलन में टिका हुआ है। इस पत्थर को सबसे पहले सन 1908 में देखा गया था। देखने वाला शख्स था गर्वनर ऑर्थर लवली। उन्होंने 7 हाथियों की मदद से इस पत्थर को अपनी जगह से खिसकाना चाहा था ताकि यह जाना जा सके कि आखिर यह टिका किस पर है? लेकिन अचरज भरी कहानियों की तरह पत्थर अपनी जगह से टस से मस नहीं हुआ।  बाद में एक से बढ़कर एक माइथोलॉजिकल कहानियां इस पत्थर के साथ जुड़ गई हैं।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर
-एन.के.अरोड़ा