मानवीय तस्करी के साथ नशीले पदार्थों का भी केन्द्र बना सुल्तानपुर लोधी


मेजर सिंह
जालन्धर, 30 जून : प्रवासी पंजाबियों के लोगों की मेहनत के साथ कपूरथला ज़िले के सुल्तानपुर लोधी क्षेत्र में गांव-गांव निर्मित आलीशान कोठियां, रबड़ जैसी नई सड़कों तथा महंगी से महंगी धूल उड़ाती कारें एक बार तो किसी विकसित क्षेत्र का भ्रम पैदा करती हैं, परन्तु इस क्षेत्र के लोगों के अंदर नज़र डालें तो पता लगता है कि खुशहाली का दौर गुजारने वाले इस क्षेत्र के लोग नशों के कोहड़ ने अंदर तक कंगाल कर दिए हैं। लोगों के चिराग बुझ रहे हैं। लोगों का मन उदास है। खाड़कू लहर के उभार के समय कच्चे कोठों वाले गांवों तथा दरियाओं के निकटवर्ती जमीन पर उठे सरकंडे तथा काही बगावती नौजवानों के लिए बड़ी ठाहर थे। दिन फिरे तो बड़ी संख्या में विदेशों में जाकर बसे लोगों ने अपने गांवों की नुहार बदलने की तरफ ध्यान लगाया। इस क्षेत्र के गांव कुलार तथा फत्तूढींगा को देख लगता ही नहीं था कि आप पंजाब के किसी गांव में घूमते हो। यह गांव शाम को किसी विकसित टापू जैसा नज़ारा पेश करते हैं। खुशहाली के इस दौर को लगता है कि किसी की ऐसी नज़र लगी कि नशों की भरमार ने आ डेरा लगाया है। किसी समय शाम पड़ते आतंकवादी लहर दौरन लोग शाम के 6 बजते घरों में घुसने को प्राथमिकता देते थे तथा अब शाम ढलते लोग दीवारों के साथ टकराते नशों से बचने के लिए अंदर जा घुसते हैं। क्षेत्र के बड़े एक अजीम से डर, सहम तथा संसे के शिकार हैं, प्रत्येक स्थान उनके शब्दों में से बेबसी किरदी नज़र आ रही है। नई पीढ़ी को बचाने के लिए इस क्षेत्र में प्रवास ही लोगों को एक ही बदल नज़र आ रहा है। लोग ज़मीनों के घर-घाट बेचकर जान जोखिम में डाल कर बच्चों को विदेशों की तरफ भेज रहे हैं। इस समय सुल्तानपुर लोधी क्षेत्र में नशा तस्करों के साथ गैर-कानूनी मानवीय तस्कर भी खूब हाथ रंग रहे हैं। इस क्षेत्र में रहकर गांवों तथा कस्बों के लोगों के साथ बातचीत करने से यह तथ्य उजागर हुआ है कि नशों की भरमार में पुन: फिर उछाल आया है। हर गांव में नशे आम मिल रहे हैं। गणमान्य बताते हैं कि अब तो नशों की सप्लाई फोन पर जहां कहो होने लग पड़ी है। सुल्तानपुर लोधी क्षेत्र के नशा तस्करों के तार अन्तर्राष्ट्रीय गिरोहों के साथ भी जुड़े हुए हैं। इस क्षेत्र के नशा तस्कर दिल्ली तक मार करते हैं। पुलिस बड़े नशा तस्करों का पानी भरती है, परन्तु कभी-कभी कार्रवाई डालने के लिए नशा खाने वालों पर जूती ज़रूर मारती है। राजनीतिज्ञों के संरक्षण बारे क्षेत्र के लोग दांत जोड़ने वाली कहानी बताते हैं। अकाली राज्य के समय नई सरकार में भी मनमज़र्ी के थानेदार तथा क्षेत्र डी.एस.पी. लगाने का रिवाज अभी भी बदसतूर जारी है।
बेरोकटोक हो रही है नशे की सप्लाई
‘अजीत समाचार’ की टीम द्वारा सुल्तानपुर लोधी के नशों के कोहड़ से सबसे अधिक प्रभावित डेढ़ दर्जन के करीब गांवों में जाकर की जांच से यह बात सामने आई है कि इस क्षेत्र में नशे की सप्लाई बिना किसी डर तथा भय के सरेआम हो रही है। फत्तूढींगा के थाने तथा मोठांवाली की पुलिस चौकी वाले गांवों में लोगों ने बताया कि शाम को नशेड़ी सब्जियां खरीदने जैसे यहां नशे खरीदने आते हैं। फत्तूढींगा का पूर्व सरपंच स. बलविन्द्र सिंह शोर डालता कह रहा था कि नशे ने हमारे गांवों का बुरा हाल कर दिया है। शाम 5-6 बजे से रात 10 बजे तक नशेड़ी नशा लेने के लिए हमारे गांव की गलियों में घूमते हैं। लोगों ने बताया कि 500 के करीब नशे खरीदने वाले हर रोज़ फत्तूढींगा में आते हैं। इस गांव में नशे बेचने वालों के कई ग्रुप सरेआम देखे जाते हैं। दरिया ब्यास के साथ पड़ते गांव देसल, बागूवाल, मुंडी तथा इर्द-गिर्द के गांवों में अब देसी शराब निकालने का रिवाज भी कम हो गया है तथा नई पीढ़ी हैरोइन, चिट्टे तथा नशीली दवाईयों के सेवन की तरफ लग चुकी है। लोगों का कहना है कि हालत इतने बदतर हो गए हैं कि चार लोग मोटर पर बैठे कहें तो मिंटों में ही चिट्टे की सप्लाई मोटरसाइकिलों पर वहां कर जाते हैं। सुल्तानपुर लोधी से अगली तरफ गांव डडविंडी, लाटियां वाल, तोती, अहिमदपुर, मोठांवाली आदि गांवों में भी नशों की आम भरमार के किस्से सुनाई दिए। लाटियां वाल ऐसा गांव है जहां के ज्यादातर लोग नशे के व्यापार से जुड़े बताए जाते हैं। शाम को इस गांव से नशा लेने जाते लोग आम देखे जाते हैं। दस वर्ष से पहले इस गांव के घर कच्चे तथा ज्यादातर लोग दिहाड़ीदार थे, परन्तु अब नशे के व्यापार ने इस गांव के लोगों के भाग्य बदल दिए हैं। इस गांव में से गुजरते देखा कि नई-नई कोठियां निर्मित की जा रही हैं। दिल्ली में गांव का राज मिस्त्री बलविन्द्र सिंह 4 किलो हैरोइन सहित पकड़ा गया था, फिर उसका साला गुरनाम सिंह तथा पुत्र दिलबाग सिंह भी दिल्ली में ही दो किलो हैरोइन के साथ पकड़े गए। दिलबाग सिंह से 20 लाख रुपए नकद भी पकड़े गए थे। इसी तरह 10 वर्ष पहले तक दिहाड़ीदार रहे जीवन सिंह की भी लाटियां वाल गांव में तीन मंजिला आलीशान कोठी बनी हुई है। वह भी दिल्ली से अब जमानत पर आया है। इसी तरह अकाली शासन के समय मार्किट कमेटी के चेयरमैन रहे एक नेता की भी गांव में दाखिल होते ही बड़ी कोठी बन रही नज़र आती है। पुलिस रिकार्ड के अनुसार इस पूर्व चेयरमैन के सारे परिवार सहित महिलाओं पर नशे बेचने के केस चल रहे हैं। इस गांव में बताते हैं कि नशीली गोलियां पत्तों के हिसाब से नहीं, किलो के हिसाब से बेची जाती हैं। नशे ने इन गांवों के लोगों का इस कद्र उजाड़ा किया है, उसकी झलक इस बात से भी देखी जा सकती है। मोठांवाली गांव की कमालपुर पत्ती का सुखविन्द्र सिंह उर्फ सुक्खा तीन वर्ष पहले 6 एकड़ जमीन का मालिक था तथा कुछ और ज़मीन ठेके पर लेकर अच्छी खेती करता था। पिता की मौत के बाद उसको नशे की ऐसी आदत लगी कि अढ़ाई वर्ष में ही सारी जमीन बेचकर वह दिहाड़ी पर काम करने पर आ गया है। नशा करने वाले सुक्खे को गत दिवस थाने वालों ने पर्चा डाल कर जेल भेज दिया है व वहां चर्चा है कि नशा बेचने वाले के साथ सौदा होने पर छोड़ दिया गया है। क्षेत्र में यह बात आम है कि पुलिस द्वारा बहुत नशा करने वाले लोगों पर ही सख्ती की जाती है। नशे बेचने वालों में गलतान तस्करों को कभी-कभार ही हाथ डाला जाता है।
अब नशीली दवाई व टीकों का दौर : हैरोइन व स्मैक का नशा बेहद महंगा होने के कारण अब किसी कैमिकल द्वारा बनाया ‘चिट्टा’, नशीली दवाई वाली गोलियों व टीके लगाने का सिलसिला बहुत प्रचलित हो रहा है। पता लगा है कि नशीली गोलियां घोल कर टीके लगाना बेहद खतरनाक साबित हो रहा है। बहुत से नौजवान टीका लगाते ही मौत के मुंह में जा पड़ते हैं। इस क्षेत्र के दर्जन से अधिक नौजवान ऐसे हैं जिनकी मौत समय सिरिंज उनके शरीर में ही लगी हुई थी। फत्तूढींगा नज़दीक गांव जागूवाल के बब्बू व सतनाम सिंह की मौत टीका लगाने समय ही हुई थी। बागूवाल के सरपंच बग्गा सिंह ने बताया कि इन मौतों की कहीं भी सूचना नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि नशे की सप्लाई पहले से अधिक व आसान हो गई है। बड़े गांव फत्तूढींगा में 10 से अधिक नौजवान नशे की भेंट चढ़ गए। यह सभी 20 से 25 वर्ष की आयु के मध्य थे। फत्तूढींगा के बस अड्डे ऊपरी दुकान के मालिक ने बताया कि अभी 10 दिन पहले 22 वर्षीय गोपी नाम का लड़का टीका लगाते समय ही मौत के मुंह जा पड़ा। वहां पता लगा कि एक गोली 50-60 रुपए की मिलती है व कई नौजवान मिलकर इसका घोल बना कर टीका लगाते हैं। लोगों ने यह भी बताया कि गांवों में एक ऐसे कैमिकल की बोतलें आ रही हैं, जिससे मिनटों में शराब तैयार हो जाती है। पता लगा है कि इस शराब के पीने से शीघ्र फेफड़े गलने शुरू हो जाते हैं। इस बात की तस्दीक डंडविंडी गांव में भी कई लोगों ने की।
मोठांवाली गांव के परिवार उजड़े : नशे ने मोठांवाली गांव के कई घर ही उजाड़ दिये हैं। लोगाें ने बताया कि दो परिवारों के 3-3 सगे भाई पिछले एक वर्ष में ही नशों की भेंट चढ़ गए। पौली, प्रेम व मंगल तीन सगे भाई एक वर्ष के अंतर में ही मौत के मुंह में जा पड़े व वाल्मीकि भाईचारे के तीन सगे भाई संतू, प्यारा व दूली नशे के आदी होने के कारण ज़िंदगी से हाथ धो बैठे। अब आगे संतू के दो लड़के नशेड़ी बन चुके हैं। इस तरह मोठांवाली गांव की कमालपुर पत्ती में भी चार और मौतें होने का पता लगा है। फत्तूढींगा व मोठांवाली के गांवों में ही 20 नौजवान नशे की भेंट चढ़े हैं। लगाता नहीं कोई गांव इस नामुराद बीमारी से बचा हो। सुल्तानपुर लोधी क्षेत्र में मौतों की संख्या सैकड़ों में बताई जा रही है। यह तथ्य भी है कि नशे से मर रहे व्यक्तियों का पुलिस, स्वास्थ्य विभाग या कोई और रिकार्ड भी नहीं रखता व सामाजिक नमोशी कारण लोग किसी से बात भी नहीं करते।