हृदय-विदारक, अमानवीय कृत्य

इज़रायल एवं गाज़ा पट्टी पर काबिज़ हमास लड़ाकों के बीच शुरू हुये युद्ध को लगभग पांच मास  का समय हो गया है। इस संघर्ष में जहां बेहद क्रूरता देखी गई है, वहीं इस पट्टी में रहते फिलिस्तीनियों के होते क्षरण को भी देखा जाता रहा है। इज़रायल एवं मिस्र की सीमाओं से घिरी यह पट्टी 41 किलोमीटर लम्बी एवं 6-12 किलोमीटर चौड़ी है और इसमें लगभग 45 लाख लोग रहते हैं। दशकों से ये लोग बेहद मुश्किलों में घिरे हुए शरणार्थी बने रहे हैं। हमास संगठन जिसने अरब देशों के कुछ अन्य संगठनों के साथ मिल कर इज़रायल का अस्तित्व मिटाने की शपथ ले रखी है, ने लगभग पिछले 17 वर्ष से इस पट्टी पर कब्ज़ा किया हुआ है। उसे कुछ अरब देश प्रत्येक ढंग-तरीके से हथियारों की सहायता भेजते रहते हैं। हमास और इज़रायली सेना में अक्सर टकराव भी होते रहते हैं, जो रक्तिम झड़पों में बदलते रहे हैं। इसी क्रम में हमास लड़ाकों ने विगत 7 अक्तूबर को इज़रायल द्वारा लगाई गई कंटीली तारों को पार करके इज़रायल पर हमला किया था, जिसमें 1400 इज़रायली नागरिक एवं कुछ दर्जन विदेशी नागरिकों को मार दिया गया था। इसके साथ ही हमास के लड़ाकू 200 से अधिक इज़रायलियों को बंधक बना कर भी गाज़ा पट्टी में ले गये थे, जिनमें बच्चे, महिलाएं एवं बुजुर्ग शामिल थे।
इस हमले की प्रतिक्रिया-स्वरूप इज़रायली सेना ने पहले मिसाइलों द्वारा इस पट्टी पर लगातार बमबारी करके इस के पश्चिमी भाग को एक तरह से तबाह  ही कर दिया था। इसके बाद उसके सैनिक इस पट्टी में दाखिल हो गये थे तथा हमास गुरिल्लों के साथ वे लगातार भीषण युद्ध करते रहे हैं, परन्तु इसका बड़ा त्रासद पक्ष यह रहा है कि इस युद्ध में निर्दोष एवं बेकसूर फिलिस्तीनी लोग भारी संख्या में मारे जा रहे हैं। यदि वे दक्षिणी भाग से उत्तरी भाग की ओर भागते हैं तो इज़रायल की बमबारी एवं थल सेना उनका पीछा करने लगती हैं। अब तक इस युद्ध में लगभग तीस हज़ार हर उम्र के फिलिस्तीनी लोग मारे जा चुके हैं। मिस्र ने भी इन फिलिस्तीनियों के अपने देश में दाखिल होने पर प्रतिबन्ध लगा रखे हैं। इज़रायल ने गाज़ा की हर प्रत्येक तरह से नाकाबंदी करके वहां हर तरह की खाद्य वस्तुओं के दाखिले पर प्रतिबन्ध लगा दिया है, जिससे लाखों ही फिलिस्तीनी भुखमरी का सामना कर रहे हैं। अन्तर्राष्ट्रीय दबाव के कारण इन नाकेबंदियों के बावजूद संयुक्त राष्ट्र की हर तरह की सहायता देने वाली टीमें गाज़ा पट्टी में जाती रही हैं, परन्तु यह सहायता वहां पैदा हुई ज़रूरत से कहीं कम है, जिस कारण हर तरफ हाहाकार मच गई है। विश्व भर के लोग लगातार फिलिस्तीनियों की भुखमरी एवं उनको रक्ति-रंजित होते देख रहे हैं।
चाहे कतर एवं कुछ अन्य देशों की ओर से दोनों पक्षों के मध्य समझौता एवं युद्धबंदी के लिए यत्न किये जा रहे हैं परन्तु अब तक उनका कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया। इसी क्रम में 29 फरवरी को उत्तरी गाज़ा में जो भयावह घटना घटित हुई है, उसने एक बार फिर इस क्षेत्र में भुखमरी का शिकार हो रहे लोगों की ओर दुनिया भर का ध्यान आकर्षित किया है। संयुक्त राष्ट्र की कुछ टीमें खाद्य एवं अन्य सहायता लेकर वहां पहुंची थीं, जिन्हें विवश हुये लोगों की भीड़ ने घेर लिया। इस क्षेत्र पर इज़रायली सेना का कब्ज़ा है। इसके दृष्टिगत लोगों की बेचैन हुई इस भीड़ पर इज़रायली सैनिकों ने अंधाधुंध गोलियां चला दीं, जिससे वहां 100 से अधिक लोग मारे गये। इस घटना से इस युद्ध ने नया रूप धारण कर लिया है। विश्व के ज्यादातर देश इज़रायली सेना की ओर से की जा रही इस क्रूरता से बेहद नाराज़ हैं। फ्रांस एवं जर्मनी जैसे देशों ने घटित ऐसे घटनाक्रम संबंधी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर जांच करवाने की मांग की है।
इस घटनाक्रम एवं विशेष तौर पर घटित इस घटना को मानवीय नैतिकता से रहित एवं अन्तर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करार दिया गया है। भारत ने भी घटित ऐसे घटनाक्रम के विरुद्ध कड़ी आवाज़ उठाई है। पैदा हुये ऐसे हालात के संबंध में लगातार अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आवाज़ उठने के कारण इज़रायल भी दबाव में आया महसूस कर रहा है, परन्तु अभी तक उसने किसी हल की ओर बढ़ने पर सहमत होने संबंधी सुहृदयता नहीं दिखाई। अब समय आ गया है कि पहले ही इस युद्ध को रोकने के लिए यत्नशील ज्यादातर देश इज़रायल पर दबाव बना कर हो रहे इस मानवीय क्षरण को बंद करवाने एवं शीघ्र इस मामले को हल करवाने के लिए यत्नशील हों। शीघ्र-अतिशीघ्र दिखाई जाने वाली ऐसी अन्तर्राष्ट्रीय सक्रियता ही इस अमानवीय एवं भयावह युद्ध को रोकने में सहायक हो सकेगी।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द