मुद्राशास्त्र में बनाएं मज़बूत कॅरिअर

नूमिसमैटिक्स या मुद्राशास्त्र सिक्कों का संग्रह या उनके अध्ययन को कहते हैं। जब हम सिक्का कहते हैं तो उसमें बाजार में चलने वाले
तमाम किस्म के मौद्रिक सिक्के, टोकंस, कागज की मुद्रा और मुद्राओं की एवज पर चलने वाली तमाम दूसरी चीजों को कहते हैं।
आमतौर पर नूमिसमैटिक्स को बहुधा सिक्कों के संग्रह का अध्ययन करने वाला छात्र कहा जाता है। लेकिन इस विषय के बृहत्तर
अध्ययन में पैसा (मनी) और भुगतान (पेमेंट) के तमाम प्रकार भी शामिल होते हैं। चूंकि यह वर्चुअल युग है इसलिए इन दिनों इस
अध्ययन में वर्चुअल मुद्राएं या क्रिप्टो करेंसीज भी शामिल होती हैं। कुल मिलाकर नूमिसमैटिक्स या मुद्राशास्त्री एक खास किस्म का
पेशेवर होता है।  यह एक ऐसा ऑफ  बीट कॅरिअर है जिसकी चमक तमाम तकनीकी विकास के बावजूद न घटी है और शायद आगे भी
नहीं घटेगी। क्योंकि किसी मुद्राशास्त्री का काम सिर्फ  गणितीय भर नहीं होता बल्कि उसमें तमाम ऐसे विषय भी घुले मिले होते हैं, जो
बाहर से नहीं दिखते। ‘नूमिसमैटिक्स’ यानी मुद्रा शास्त्री का काम सिक्कों व मुद्राओं पर अंकित भाषा व लिपि का अध्ययन करना भी
होता है ताकि इतिहास के किसी दौर का ठोस-ठोस अध्ययन और आंकलन संभव हो सके। जैसा कि हम सब जानते हैं कि अगर हमारे
पास इतिहास को जानने और समझने का कोई और स्रोत न हो तो हम किसी युग की मुद्रा के जरिये भी न सिर्फ  उस युग के इतिहास
का ठोस निष्कर्ष निकाल लेते हैं बल्कि उस दौर की तमाम जीवनशैली और दूसरी जानकारियां भी हासिल कर लेते हैं।  संग्रहालयों के
लिए मुद्राशास्त्री अलग-अलग दौर की मुद्राओं पर अंकित लिपि व भाषा का अध्ययन करता है और उन मुद्राओं में लिखी गई भाषा से
उस दौर के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास का अनुमान लगाता है। इसी तरह वह तमाम कलाकृतियों, पुरालेखों व प्राचीन
चित्रकला एवं पेंटिंग्स की भाषाओं को भी सरलता से पढ़ता है जिससे उस दौर के कला विकास को समझा जाता है। लेकिन भारत जैसे
देश में मुद्राशास्त्रियों के और भी कई काम हैं, जिनसे उन्हें अच्छी खासी कमायी होती है। भारत में लगभग हर किस्म की बड़ी पूजा में
सिक्कों का इस्तेमाल होता है और इन सिक्कों में ही कुछ खास सिक्के इस्तेमाल किए जाते हैं जिस करण बाजार में इन सिक्कों का
अच्छा खासा कारोबार होता है। लेकिन बाजार से खरीदे गये सिक्के क्या वाकई प्राचीन हैं और उन्हें जिस दौर का मानकर खरीदा जा रहा
है, उसी दौर के हैं इसकी जांच भी जरूरी होती है; क्योंकि पुराने दौर के सिक्कों के नाम पर नकली सिक्कों का कारोबार भी खूब
फलता-फूलता है।        

 -नरेंद्र कुमार