ग्लेशियोलॉजी में बनाएं कॅरिअर

पिछले कुछ दशकों से ग्लोबल वार्मिंग के कारण हमारे ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, इनका तीव्र गति से पिघलना मनुष्य के लिए ही नहीं बल्कि पूरे पर्यावरण के लिए भी खतरे के संकेत हैं। इनके पिघलने से पूरा पारिस्थितिकीय तंत्र ही गड़बड़ा सकता है। ग्लेशियरों का पिघलना एक बड़ी चुनौती है, इन्हें पिघलने से रोकने और पर्यावरण में संतुलन बनाये रखने के लिए पिछले कुछ दशकों से लगातार वैज्ञानिक शोध कार्य में लगे हैं। ग्लेशियरों का अध्ययन करने वाले ऐसे प्रोफेशनल्स को ग्लेशियोलॉजिस्ट कहा जाता है। यह एक ऐसा कॅरिअर है, जिसमें बर्फ  जैसे विषय का अध्ययन किया जाता है। इस कॅरिअर से जुड़कर आप प्रकृति का संरक्षण करने के साथ-साथ कमायी भी कर सकते हैं।
कार्य- एक ग्लेशियोलॉजिस्ट का मुख्य काम ग्लेशियरों और बर्फ के बीच होने वाली गतिविधियों का अध्ययन करना है। बर्फ की चट्टानों के सिकुड़ने की वजह जानने के अलावा उन कारणों का भी अध्ययन करना होता है कि वह  ग्लेशियरों के तीव्र गति से पिघलने का वातावरण पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? एक ग्लेशियोलॉजिस्ट इन तमाम विषयों में अध्ययन करके आंकड़े जुटाते हैं और ग्लेशियरों के अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों के साथ मिलकर बर्फ  की इन परतों के सिकुड़ने से समुद्र के जल स्तर में होने वाली वृद्धि का जायजा लेते हैं। महत्ता- पिछले कुछ दशकों में तीव्र गति से पिघलने वाले ग्लेशियर के अध्ययन की महत्ता काफी बढ़ गई है। मौसम में परिवर्तन के कारण बर्फ  के अध्ययन से जुड़ा यह कॅरिअर काफी महत्वपूर्ण हो गया है। भविष्य में इसमें गहन अनुसंधान और अन्वेषण की जरूरत है। अवसर- बढ़ते पर्यावरणीय प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियोलॉजिस्ट की मांग लगातार बढ़ रही है। हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इस कॅरिअर में आगे जाने की अपार संभावनाएं हैं। एडमिशन- सांइस विषय के साथ 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करना जरूरी है। स्नातक स्तर पर इसके बाद इससे संबंधित कई कोर्स उपलब्ध हैं। फिजिकल/बायोलॉजिकल/कैमिकल, अर्थ और एन्वार्यमेंटल साइंस से संबंधित पाठ्यक्रम इसके तहत पढ़ाया जाता है। मास्टर डिग्री में कोर्स करने के लिए साइंस विषय या इंजीनियरिंग में बेचलर डिग्री होनी चाहिए। ग्लेशियोलॉजिस्ट बनने के लिए ग्लेशियोलॉजी में विशेषज्ञता हासिल करनी होती है। इसमें सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ व्यवहारिक प्रशिक्षण भी दिया जाता है। फिजिकल और एन्वार्यमेंट साइंस, जियोलॉजी, अर्थसाइंस से बीएससी या एमएससी करके भी कॅरिअर में आगे जाया जा सकता है। ग्लेशियोलॉजी से संबंधित पीएचडी करने से आपकी योग्यता और बढ़ सकती है।
व्यक्तिगत गुण- ग्लेशियोलॉजिस्ट एक कठिन कॅरिअर है और इसका कार्यक्षेत्र काफी व्यापक होता है। ग्लेशियरों का अध्ययन करने के लिए शारीरिक रूप से स्वस्थ एवं सशक्त होना जरूरी है। इसके अलावा कुछ नया करने और प्रकृति को बचाने की मन में चाहत भी होनी चाहिए। एक ग्लेशियोलॉजिस्ट को अध्ययन के लिए पर्वतों, बर्फ  से ढकी चोटियों, दुर्गम स्थलों में समुद्रतल से 4000 फीट तक की ऊंचाई पर जाकर बर्फीले स्थानों को जांचने, उनके मानचित्र तैयार करने, सर्वेक्षण के उपरांत सैंपल बनाने के लिए कई दिन तक वहीं रहकर अध्ययन करना होता है। यह एक ऐसा काम है, जिसमें आपकी बहादुरी और चुनौतीपूर्ण भूमिका को न तो कोई देखने वाला होता है न ही सराहने वाला होता है। लेकिन अदम्य साहस, कठिन परिश्रम, चुनौतियों से जूझने का माद्दा होना चाहिए और प्रकृति से निरंतर जुड़े रहने की तीव्र इच्छा आपको कॅरिअर में काफी आगे तक ले जा सकती है। 
-जी.एस.नंदिनी