भारत में शरणार्थी बन कर रह रहे हैं पाक से आए हिन्दू

नई दिल्ली, 30 अगस्त : ‘‘उनका जन्म पाकिस्तान में हुआ व वह अपने जन्मस्थान अपनी मातृ-भूमि के वफादार नागरिक हैं। उन्होंने कभी अपने देश से गद्दारी नहीं की व न ही कभी अपने देश का बुरा चाहा। ऐसे वतनप्रस्त नागरिकों को आज़ादी और सम्मान देना तो दूर, उनसे जीने का अधिकार भी छीन लिया गया है।’’ उन्होंने कहा कि वे अपने बुजुर्गों की गलतियों को भुगत रहे हैं। मौजूदा समय में बड़ी संख्या में पाक हिन्दुओं को अपनी जान और इज्ज़त की हिफाज़त के लिए मज़बूरन अपने बने-बनाए घर छोड़ कर वर्ष 1992 से भारत में शरणार्थी बनकर रहना पड़ रहा है। ‘अजीत समाचार’ द्वारा गत दिवस दिल्ली के रोहिणी सैक्टर 11, विजवासन, मजनू का टिल्ला और आदर्श नगर के अस्थाई शिविरों का दौरा किया गया, जहां 3500 से अधिक पाक हिन्दू शरणार्थी रह रहे हैं।  दिल्ली के मजनू का टिल्ला क्षेत्र में गुरुद्वारा साहिब के पीछे खाली पड़े ऊबड़-खाबड़ मैदान में अस्थाई शिविर स्थापित करके तिरपाल की छत के नीचे प्लास्टिक शीट बिछा कर गर्मी, सर्दी, वर्षा और अंधेरे का मुकाबला करते हुए नरक जैसा जीवन व्यतीत कर रहे इन पाक हिन्दुओं के लिए न तो यहां कोई बिजली पानी का प्रबन्ध है और न ही कोई स्थाई रोज़गार। चाहे कि यह इस समय भारत में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं परन्तु यह भारत के नागरिक नहीं हैं। इनके लिए यह भी एक बड़ा दुख है कि अब यह पाकिस्तान के भी नागरिक नहीं हैं, क्योंकि पाकिस्तान को यह हमेशा के लिए अलविदा कह चुके हैं और अब वह इनके लिए एक बेगाने देश से अधिक और कुछ नहीं है। इन शरणार्थी बने पाक हिन्दुओं के पास भारतीय नागरिकता न होने के कारण यह सुरक्षा नियमों के कारण रोज़गार की तलाश में अपने शिविरों से ज्यादा दूर नहीं जा सकते हैं। लिहाज़ा इनको आस-पास के क्षेत्रों में रिक्शा चला कर या मज़दूरी करके ही अपना और अपने परिवार का पेट भरना पड़ रहा है। इतने बुरे हालात होने के बावजूद यह खुशी-खुशी पूछने पर यह ‘शुकरातलह हमदोलिलाह’ (ईश्वर का शुक्र है) कहकर अपना दुख और मज़बूरी के एहसास छिपाने का प्रयास तो करते हैं, परन्तु आंखों में आए आंसू इनकी हालत खुद बयां कर देते हैं। मजनू का टिल्ला शिविर के प्रमुख हनुमान प्रसाद पुत्र भगवान दास के अनुसार पाकिस्तान में उनके बने कारोबार समाप्त करके उनसे बंधुआ मज़दूरी करवाई जा रही थी और धर्म त्यागने के लिए सजाएं दी जाती थीं। आदर्श नगर के अस्थाई शिविर में रह रहे बादल, दियाल दास, सीता राम आदि पाक हिन्दू शरणार्थियों ने बताया कि पाकिस्तान के अस्तित्व में आने से लेकर अब तक एक भी ऐसा उदाहरण देखने को नहीं मिलता, जब किसी पाकिस्तानी हिन्दू ने अपने देश से गद्दारी की हो या अपना मदर-ए-मुल्क मानने से इन्कार किया हो, परन्तु इसकी अपेक्षा हमेशा वहां रहते हिन्दुओं को संदेह की दृष्टि से देखा जाता है। रोहिणी सैक्टर के अस्थाई शिविर में रह रहे कसौली व शांति देवी ने कहा कि दिल्ली के शिविरों में रहते सभी हिन्दू शरणार्थी विभिन्न समय-समय पर पर्यटन के बहाने या धार्मिक वीज़ा लेकर हिन्दुस्तान आए हैं, नहीं तो उनको अपनी जान और बहु-बेटियों की इज्ज़त बचाने के लिए यहां आने की मंजूरी कभी न मिलती। इन शिविरों में रहने वाले शरणार्थियों का स्पष्ट तौर पर कहना है कि यदि उनको भारत  सरकार की ओर से यहां की नागरिकता न मिली तो वे यहीं अपनी जान दे देंगे, परन्तु वापिस पाकिस्तान कभी नहीं जाएंगे।