दीवाली के आगे-पीछे होगी बड़े पर्दे के लिए महाभारत

हालांकि तकनीकी तौर पर देखें तो अमिताभ बच्चन और आमिर खान के अभिनय से सजी मल्टीस्टारर फिल्म ‘ठग्स ऑफ  हिंदुस्तान’ जिस दिन रिलीज हो रही है, उस दिन सिवाय एक जैकलिन फ र्नांडिस और रविकांत सिंह की ‘हमारी शादी’ के अलावा कोई और बॉलीवुड फिल्म रिलीज नहीं हो रही। चूंकि रविकांत सिंह एक अंजाना नाम हैं और जैकलिन भी कोई बड़ी स्टार नहीं हैं कि अमिताभ और आमिर को टक्कर दे सकें। इससे लगता है कि जैसे ठग्स ऑफ  हिंदुस्तान के लिए दर्शकों का मैदान खाली है। मगर ऐसा है नहीं। क्योंकि 8 नवम्बर 2018 को ठग्स ऑफ  हिंदुस्तान रिलीज़ हो रही है और उसके ठीक पहले यानी 7 नवंबर को सुशांत सिंह राजपूत और जैकलिन फर्नांडिस की ‘ड्राइव’ और जॉन अब्राहम तथा तमन्ना भाटिया की ‘चोर निकल कर भागा’ रिलीज हो रही हैं। ये दोनो फिल्में ठग्स ऑफ  हिंदुस्तान को टक्कर देने में खूब सक्षम हैं। लेकिन यही दो फिल्में नहीं, बल्कि इसी समय दो तीन दिन के आगे पीछे और भी कई बड़ी फिल्में हैं जो अगर चल निकलीं तो ठग्स ऑफ  हिंदुस्तान की नाक में दम कर देंगी। इनमें संजय दत्त की ‘मलंग’ है जो 4 नवंबर 2018 को रिलीज हो रही है, ठीक इसी दिन ऐश्वर्या राय बच्चन की ‘जैसमिन स्टोरी ऑफ  ए लेस्ड वूंब’ उसके दो दिन बाद राणा दग्गूबती की ‘हाथी मेरे साथी’ भी रिलीज हो रही है तो सिर्फ इसके दो दिन पहले संजय मिश्रा और मुकेश तिवारी के हास्य अभिनय से सजी ‘इक्कीस तारीख शुभ मुहुर्त’, मुग्धा गोडसे की ‘शर्मा जी की लग गई’, श्रद्धा कपूर की ‘साइना नेहवाल’ बायोपिक और नवाजुद्दीन सिद्दकी तथा विशाखा सिंह के अभिनय वाली ‘द माया टेप’ शामिल हैं। 
इस तरह देखा जाए तो ठग्स ऑफ  हिंदुस्तान को बस तकनीकी रूप से ही ओपनिंग डेट को स्क्रीन वॉर से मुक्ति मिली हुई है, वरना तो जिस हफ्ते यह रिलीज़ हो रही है, उस हफ्ते चारों तरफ  दर्शकों के लिए मारामारी ही है। सवाल है क्या इसी बात को देखकर कहा जा रहा है कि इस बार आमिर खान की फिल्म की कमाई के बनने वाले तमाम रिकॉर्ड शाहरुख और सलमान को बिल्कुल नहीं डरा रहे? दरअसल ट्रेड पंडितों ने अपने जोड़-घटाव से इन दोनों को आश्वस्त कर दिया है कि ठग्स ऑफ  हिंदुस्तान, ‘दंगल’ की तरह प्रतिस्पर्धा की तमाम कुश्तियां नहीं जीतेगी। वैसे यह अनुमान इस सरलीकृत निष्कर्ष पर टिका हुआ है कि जब किसी फिल्म को स्क्रीन वॉर से गुजरना पड़ता है, तो वह बहुत अच्छा बिजनेस नहीं कर पाती। लेकिन सच्चाई यह नहीं है। पहले तो हमें यह मान लेना चाहिए कि हिंदुस्तान में स्क्रीन वॉर होना बहुत स्वाभाविक है, क्योंकि हर साल अकेले हिंदी में ही 200 से ज्यादा फिल्में बनती हैं और अगर शुक्रवारों की गिनती करें तो ये एक साल में 52 से ज्यादा नहीं होते। मतलब यह कि कितना भी फूं क-फूंककर कदम रखा जाए, फिल्मों को स्क्रीन वॉर से तो जूझना ही पड़ता है। अब यह अलग बात है कि उनके बीच एक तो रिलीज होने के बाद की कमाई का मुकाबला क्या है और दूसरा यह कि रिलीज के पहले उन फिल्मों की अपनी साइकोलॉजिकल लड़ाई में किसका पलड़ा भारी है। कहने की जरूरत नहीं है कि हिंदुस्तान में हमेशा कुछ गिने चुने स्टार ही बॉलीवुड के खेवनहार माने जाते रहे हैं। इसलिए यह सोच लिया जाता है कि उनसे तो छोटे-मोटे अभिनेताओं का कोई मुकाबला ही नहीं है। लेकिन ऐसा भी नहीं होता। कई बार कई अनजानी फिल्में भी बहुत जानी-मानी फिल्मों को ऐसे टक्कर देती हैं कि वह सोच ही नहीं पातीं। और कई बार ऐसा होता है कि दो फिल्में रिलीज होती हैं और दोनों कामयाबी का अद्भुत रिकॉर्ड बना देती हैं जैसे कि 1975 में हुआ, जब ‘शोले’ और ‘जय संतोषी मां’ आस-पास की रिलीज हुईं और जैसा कि रिलीज होने के समय तक किसी को गुमान ही नहीं था कि जय संतोषी मां भी अमिताभ और धर्मेंद्र जैसे स्टारों से सजी शोले को टक्कर दे सकती है। लेकिन सही बात यही है कि दोनों फिल्मों ने एक दूसरे को खूब टक्कर दी और दोनो ने ही अपनी कामयाबी से खूब धूम मचायी। दोनो ने ही कमाई के नये रिकॉर्ड बनाये। ठीक इसी तरह 1990 में ‘दिल’ और ‘घायल’ फिल्मों के साथ हुआ। दोनों ही जून महीने में रिलीज़ हुई थीं और रिलीज होने के पहले ही दोनो में एक दूसरे को लेकर खूब तनाव हुआ था। लेकिन जिद्द पर अड़ी दोनों ही फिल्मों ने खूब कमाई की। हालांकि हमेशा ऐसा ही होता हो, यह कोई जरूरी नहीं है। 1992 में ‘चमत्कार’ और ‘जागृति’ दोनों ही फिल्में जुलाई के महीने में रिलीज़ हुईं एक में शाहरुख खान दूसरे में सलमान खान। लेकिन दोनों में से कोई भी नहीं चली। जबकि 12 नवम्बर ,1993 को फिर स्क्रीन वॉर के साथ रिलीज हुईं ‘बाजीगर’ और ‘बेदर्द’ दोनों ही कामयाब रहीं। एक शाहरुख खान की थी दूसरी अजय देवगन की थी। 1996 में ‘राजा हिंदुस्तानी’ और ‘घातक’ दोनों एक साथ रिलीज होकर सफ ल रहीं तो 1998 में ‘कुछ कुछ होता है’ के साथ जब ‘बड़े मियां, छोटे मियां’ रिलीज हुई तो अमिताभ और गोविंदा के बावजूद कुछ कुछ के शाहरुख खान के सामने इनकी एक न चली। यही साल 2000 में ‘मोहब्बतें’ और ‘मिशन कश्मीर’ के साथ हुआ। मिशन कश्मीर मल्टी स्टारर मोहब्बतें के सामने अपने मिशन में कामयाब नहीं रही, लेकिन जून 2001 में जब ‘गदर’ और ‘लगान’ में तारीखों के बीच मुठभेड़ हो गई तो उसका कोई नुकसान नहीं हुआ। दोनों फिल्में बॉक्स ऑफि स पर सुपरहिट साबित हुईं जैसे साल 2015 में ‘बाहुबली’ और ‘बजरंगी भाई जान’ हिट रहीं। कहने का मतलब स्क्रीन वॉर में हमेशा नतीजा वहीं नहीं निकलता जो ट्रेड पंडित बताते हैं। कई बार वो गलत भी साबित होते हैं।