पंजाबी संगीत में नया रुझान लाने वाले गायक हैं रब्बी शेरगिल


जालन्धर, 12 फरवरी (जसपाल सिंह): अपने अलग अंदाज़ से पंजाबी गीत-संगीत को देश-विदेश में नई पहचान दिलाने वाले प्रसिद्ध सूफी गायक रब्बी शेरगिल ने सामाजिक सरोकारों से जुड़े गीतों के बाद देश भर में गंभीर होते जा रहे कृषि संकट को अपने गीतों में पेश करके न केवल पंजाबी गीत-संगीत के क्षेत्र में नया रुझान डाला है, बल्कि देश के राजनीतिज्ञों और आम लोगों का ध्यान भी इस अहम् मुद्दे की ओर खींचा है। ‘बुल्ला की जाणा मैं कौण’ जैसे सुफी कलामों के साथ देश-विदेश में बसते संगीत प्रेमियों के दिलों पर राज करते आ रहे गायक रब्बी शेरगिल ने ‘अजीत’ भवन में एक विशेष भेंटवाता दौरान देश भर में हो रहीं किसान खुदकशियों को गंभीर मसला बताते हुए कहा कि यदि कृषि को न बचाया गया तो हमारा सब का वजूद संकट में पड़ सकता है।
उनका नया गीत ‘राज सिंह’ भी किसान खुदकशियों तथा लोगों के ध्यान की मांग करता है। इस गीत ‘गल्लां कौड़ियां, कुछ गल्लां फिक्कियां, बची न कोई गल्लां मिट्ठियां’ में उसने कृषि संकट को लोगों के समक्ष लाने का प्रयास किया है ताकि कृषि को किसी न किसी तरह से बचाया जा सके। 
गुरप्रीत सिंह शेरगिल से रब्बी शेरगिल और अपने गायिकी के सफर संबंधी बात करते हुए रब्बी शेरगिल कहते हैं कि उनका पारिवारिक माहौल भी साहित्यक रंग में रंगा हुआ था तथा उनको गायिकी की चटक भी कम आयु में ही लग गई थी और संगीत के साथ जुड़ने के कारण ही उसको रब्बी शेरगिल का नाम मिला, जो उसकी मां द्वारा पहले प्यार से रखा गया था। धीरे-धीरे संगीत की सीढ़ियां चढ़नी शुरू कीं और फिर ‘काफिर’ नाम का एक बैंट बनाया, जो काफी मशहूर हुआ और उसके साथ अनेकों शो किए और इन शोज़ को संगीत प्रेमियों द्वारा अथाह प्यार दिया गया।