कई रोगों को नियंत्रित करे नारियल

ऊर से सख्त दिखने वाला धूसर रंग का नारियल भले ही पहली नजर में जीभ से लार न टपकाए, मगर इसका भीतरी हिस्सा स्वादिष्ट होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी है। नारियल ही एकमात्र फल है, जिसमें प्राकृतिक रुप से पानी भरा होता है। गर्मियों में जगह-जगह बेचा जाने वाला नारियल पानी लोग बड़े चाव से पीते हैं, जो कई रोगों को नियंत्रित करने में काफी लाभदायक है। कच्चा नारियल डाभ के नाम से जाना जाता है।  नारियल कई उपयोगी तत्वों की खान है, इसके ताजे फ ल में वसा लिग्निन क्षार, शर्करा और अकार्बनिक पदार्थ पाए जाते हैं। नारियल को पीसने से उसमें दूध निकलता है, जिससे शर्करा, टाटेंरिक अम्ल, गोंद और जल होते हैं।   इसके अलावा विटामिन ए, बी, और काफी मात्रा में दूसरे पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। आयुर्वेद के प्रसिद्ध गंरथ सुश्रुत संहिता में नारियल पानी के गुणों का बखान मिलता है।
इस अनुसार नारियल का पानी शीतल, चिकना, ठंडी तासीर वाला और भूख जगाने वाला होता है। यही नहीं, यह हृदय को बल देने वाला,  है। नारियल का पानी बिलकुल शुद्ध और जीवाणु रहित होता है तथा गर्मी में इसके नियमित सेवन से बढ़े हुए पित्त को शांत करता है। मस्तिष्क को तरोताजा रखने के साथ-साथ शीतलता का संचार करता है, तो लू और गर्मी से पैदा होने वाले दूसरे विकारों की संभावना को भी कम करता है। इस फल के कुछ और लाभकारी इस्तेमाल इस तरह हैं:-
* चर्म रोगों में नारियल के तल में कपूर और सफेदा मिलाकर लगाना फायदेमंद होता है। 
* गर्मियों में कई लोगों को यह शिकायत होती है कि पेशाब करते समय उन्हें जलन और पीड़ा होती है। रोजाना दो-तीन डाभ का पानी पीना लाभदायक होता है।
*  अम्ल पित्त रोग के लिए यह अत्यंत उपयोगी औषधि की तरह काम करती है।
*  पतला दस्त होने पर शरीर में जल का काफी हिस्सा नष्ट हो जाता है, जिससे डीहाइड्रेशन की स्थिति बन जाती है। इससे बचने के लिए नारियल के पानी में भुना हुआ जीरा पीस कर पीने से फायदा होता है।
*  जलने पर डाभ का पानी रुई के फाहे से जले हुए स्थान पर लगाने से जलन की पीड़ा शांत हो जाती है तथा फ फ ोले नहीं पड़ते हैं।
*  कमजोर हृदय वाले व्यक्ति को नारियल के जल का सेवन करने से हृदय को विटामिन बी से शक्ति मिलती है।
साथ ही पाचन प्रणाली को भी उत्तेजना मिलती है।
* नारियल के पानी से मसूरिका के दानों को बार-बार धोने से जलन कम हो जाती है तथा इसके दाग भी बदन पर नहीं पड़ते हैं।
(सुमन सागर)