15 मई विश्व परिवार दिवस पर विशेष बड़ा खूबसूरत होता है परिवार में रिश्तों का स़फर

जीवन प्यार का बहुत ही खूबसूरत स़फर है और यही स़फर भिन्न-भिन्न रिश्तों में से होकर गुज़रता रहता है। चाहें हम कुछ तथ्यों के आधार पर जीवन के रिश्तों को परिभाषित कर सकते हैं, लेकिन यहां समय के हिसाब से हर परिभाषा बदल जाती है। जब समय सही चल रहा हो तो सभी को हम अच्छे लगते हैं, लेकिन इसके विपरीत यदि समय बुरा चल रहा हो तो उस समय सिर्फ हम उन लोगों को ही अच्छे लगते हैं जो वास्तव में हमारे होते हैं। लेकिन इस तरह का माहौल हम कुछ समय के लिए ही बना कर रख सकते हैं। एक न एक दिन हमें सच्चाई का सामना करना ही पड़ता है। इसीलिए पैसे कमाने से अच्छा रिश्तों को कमाने पर ज़ोर देना चाहिए। सब्र और विश्वास जैसे पहलुओं के आधार पर ही अच्छे रिश्ते बनाये जा सकते हैं, लेकिन अक्सर हमारा ध्यान बेबसी और कुछ पलों की खुशी के रिश्ते निभाने पर निर्भर करती है और जब हमें अपनी गलती का एहसास होता है तब तक हमारी भूमिका पर बेवफाई का द़ाग लग जाता है और हम स्वयं की नज़र में गिर जाते हैं। 
रिश्ते कभी भी कांच की तरह नहीं होने चाहिएं जोकि आसानी से टूट जाएं। क्योंकि सच्चे रिश्ते बढ़ती उम्र तक निभाने पड़ते हैं और यह टूटते भी नहीं हैं एवं न ही समय के अनुसार हमारी दिलचस्पी इनमें कम होती है। वर्तमान समय में खोखले रिश्ते और टूट रहे रिश्तों के लिए ज़िम्मेदार हमारा रिश्तों के प्रति दृष्टिकोण और जल्दबाज़ी ही है, क्योंकि प्यार सब्र मांगता है और सब्र आजकल बहुत ही कम देखने को मिलता है। यदि दोनों साथियों के पास सब्र और व़फादारी हो तो समाज पैसे और ज़मीन-जायदाद से जुड़ी सोच को नहीं बदलता। समाज के लिए खुशियों से अधिक पैसा मायने रखता है। इसीलिए शायद आजकल रिश्तों को बचाने के प्रयास में दिल के स्थान पर दिमाग से काम लिया जाता है। प्रत्येक यहां रिश्ते बनाने, बचाने और निभाने के लिए प्लैनिंग करता हुआ नज़र आता है। लेकिन प्लैनिंग तो कारोबारी सैक्टर का हिस्सा है। रिश्तों में तो बातचीत और सलाह की जाती है। यदि मैं इस स्थान पर सलाह की बात न करता तो अधिकतर हिस्से में प्लैनिंग को ही सलाह समझ कर इस विचार को गलत समझा जाना था। लेकिन मेरा यहां सलाह का ज़िक्र करने का एक उद्देश्य यह है कि यहां पर प्रत्येक एहसास और पहलू भिन्न-भिन्न एहसासों से जुड़ा होता है जिसका एक हिस्सा अच्छी दिशा की ओर और दूसरा हिस्सा बुरी दिशा की तरफ जाता होता है। आम दृष्टिकोण में ये दोनों  एक जैसे ही नज़र आते हैं, लेकिन जब हम इसे बारीकी से महसूस करते हैं तो हमें अच्छे और बुरे में अन्तर नज़र आने लगता है।
यदि हम हमेशा स्वयं को सही मानते हैं और सच्चाई जानते हुए भी बदलने हेतु तैयार नहीं होते तो बदलाव संबंधी बात करने का कोई लाभ नहीं। लेकिन यदि हम समय के अनुसार हर पहलू की तुलना अपनी समझदारी और सिद्धांतों के आधार पर करना शुरू कर देंगे तो एक न एक दिन जीवन के स़फर को सही दिशा में ला सकते हैं। इसके लिए सबसे अधिक ज़रूरी यह है कि हमें तय करना पड़ेगा कि हमारी मानसिक स्थिति की वृत्ति की वर्तमान स्थिति कैसी है कि यह स्वतंत्र है, क्या यह सही-गलत की पहचान करने के काबिल है। जब हमें इन प्रश्नों को जवाब मिल जाएंगे तो उस समय हम अपनी मानसिकता को मज़बूत करने के समर्थ हो जाएंगे और यह एक सच्चाई है कि मज़बूत मानसिकता कभी भी कमज़ोर परिणाम पैदा नहीं करती। चाहे वह परिणाम हमारे सपनों से जुड़ों हों या रिश्तों से।
आओ, जीवन को जीने के लिए खुशियां और सुकून वाले रिश्तों का चयन करें जिसकी मंज़िल व़फदारी और विश्वास बने। यदि हम अपनी सोच से बेबसी और मतलबी विचार खत्म करने का प्रयास करेंगे तो सब्र और विश्वास स्वयं अपना स्थान बना लेंगे। जहां सब्र और विश्वास आ गया वहां सुकून, खुशियां, प्यार और मजबूत रिश्ते स्वयं ही जन्म लेना शुरू कर देते हैं। अब हमें स्वयं ही यह तय करना पड़ेगा कि हम किस्मत और शिकवों से पछतावा करते हुए जीवन जीने की प्लैनिंग करते हैं या फिर अपने जीवन को खुशियों से जीने की सलाह करना पसंद करते हैं।
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