समर्पण

बाबा आपटे बरोरा नगरपालिका के अध्यक्ष थे। वे नगर के प्रसिद्ध वकील भी थे। बात उन दिनों की है जब सफाई कर्मचारियों ने नगर में हड़ताल कर रखी थी। बरसात का मौसम होने के कारण गंदगी और बढ़ गयी थी। नगर में बीमारियां फैलने की आशंका थी। आपटे जी अपना दायित्व समझते थे, इसलिए ऐसी विषम स्थिति में उनसे रहा न गया। उन्होंने स्वयं शौचालयों की सफाई करना प्रारंभ कर दिया।
इसी दौरान उन्हें बस्ती के बाहर अंधेरे में एक गठरी जैसी दिखायी पड़ी। निकट जाकर देखा तो पता चला कि वह गठरी नहीं वरन् एक कुष्ठ रोगी था। उसके हाथों और पैरों की अंगुलियां गल चुकी थीं। और वह पूरी उपेक्षित सिमटा-सिकुड़ा पड़ा था। वह पीड़ा से कराह रहा था और लगता था कि मौत की प्रतीक्षा कर रहा है।
आपटे जी ने बेझिझक उस कुष्ठ रोगी को पीठ पर लादा और सुरक्षित स्थान पर ले आये। बाद में उन्होंने उसके लिए एक कुटिया बनायी। यद्यपि उन्होंने बड़ी लगन से उसकी सेवा सुश्रुषा की तथापि उसके प्राण न बच सके।
उसकी मृत्यु से आपटे जी को बड़ा दु:ख हुआ। बाद में उन्होंने अपना सारा जीवन कुष्ठ रोगियों की सेवा में समर्पित कर दिया।


-विनीता भवन, निकट-बैंक आफ इंडिया, 
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