कहानी-मंजिल
(क्रम जोड़ने के लिए पिछला रविवारीय अंक देखें)
उस दिन माधुरी किसी बहाने से चुपके से कुछ समय के लिए चितरंजन के पास चली गई व उससे चाभी ले आई। फिर डांस के बाद वह रुक गई। अंधेरा होते ही वह उस कमरे में गई और फोन की रोशनी में सामान को उलटने-पलटने लगी। उस समय तो उसकी खुशी का पारा नहीं रहा जब वह चाभी एक बक्से में लग गई पर उस बक्से में महज एक बंद लिफाफा ही मिला। सोना-चांदी तो उसमें क्या होता, माधुरी ने बाहर से ही टटोल कर देखा तो किसी हीरे-मोती तक का अहसास नहीं हुआ। वह निराश तो हुई, पर उसने लिफाफे को पर्स में अच्छी तरह छिपा दिया। फिर वह इस कबाड़ के सामान में और खोज-बीन करने लगी। वह इसमें इतनी तन्मय हो गई कि उसे पता ही नहीं चला और उसे होटल कर्मचारियों ने पकड़ लिया। उसकी पेशी हुई और उससे पूछा गया कि वह वहां क्या कर रही थी। माधुरी कोई संतोषजनक उत्तर दे न सकी और उसे नौकरी से निकाल दिया गया।
जब बाद में उसने और निरंजन ने लिफाफा खोला था तो उसमें महज एक नक्शा मिला। यह नक्शा काफी विस्तृत था पर चितरंजन और माधुरी बहुत दिमाग खपा कर भी इससे कोई समझ नहीं सके। वे दोनों बहुत निराश हो गए। तभी एक दिन चितरंजन के मन में एक विचार आया। उसके एक दूर के रिश्तेदार पुलिस अधिकारी थे। उनकी सिफारिश के कारण ही वह नौकरी से हटाए जाने के वक्त गिरफ्तारी से बच गया था। वह एक दिन उनके पास पहुंच गया और उनको वह नक्शा दिखाया। वह देर तक नक्शे को देखते रहे। फिर उन्होंने कहा कि इस नक्शे को मेरे पास छोड़ जाओ।
इसके लगभग तीन महीने बाद वह अधिकारी किसी तरह चितरंजन का पता पूछते हुए उसके घर पहुंच गए। बहुत गर्मजोशी से मिलते हुए उन्होंने उसे पहले बधाई दी, फिर बताया- वह नक्शा एक तस्कर गैंग द्वारा बनाया गया था कि उन्होंने बहुत सा सोना कहां छिपाया है। उस नक्शे के आधार पर करोड़ों रुपए मूल्य का तस्करी का सोना जब्त हुआ है। सरकार का नियम है कि जो ऐसी तलाश में बहुत मदद करता है उसे इसका कुछ हिस्सा मिलता है। अत: चितरंजन को शीघ्र ही 13 लाख रुपए का अपना हिस्सा मिलेगा। चितरंजन ने उन्हें बार-बार धन्यवाद दिया और उनके जाते ही दौड़ कर माधुरी को यह खुशखबरी दी। दो महीने बाद उन्हें यह इनाम मिल भी गया। इसके शीघ्र बाद माधुरी और चितरंजन का विवाह हुआ। वहां पुलिस अधिकारी को भी बुलाया गया। उन्होंने कहा- बहुत तरक्की करो। सरकार भी तुम से बहुत खुश है। मौका देखकर चितरंजन ने कह दिया- सर, समुद्री बीच पर जो पर्यटकों की जीवन-रक्षा का कार्य है वह मुझ दिला दीजिए। मैं तैराकी में बहुत एक्सपर्ट हूं, यह काम बहुत अच्छे से कर सकूंगा। अधिकारी ने चितरंजन के बचपन से ही उसकी तैयारी क्षमता के बारे में बहुत कुछ सुना था। उनकी मदद से चितरंजन को यह काम मिल गया। शीघ्र ही चितरंजन की बहादुरी प्रसिद्ध होने लगी। माधुरी उसके काम में इस तरह मदद करती कि कई पर्यटकों को खतरनाक स्थलों पर जाने से रोकती। एक दिन एक स्कूली लड़कों की एक टोली बहुत मौज-मस्ती के मूड में बीच पर आई। माधुरी ने उन्हें बहुत समझाया, पर एक मनचला लड़का किसी की बात मानता ही नहीं था। वह शीघ्र ही समुद्र में बहुत आगे तक चला गया और डूबने-उतरने लगा। उसके साथी किनारे से जोर-जोर से चिल्लाने लगे। शोर सुनकर चितरंजन दौड़ता हुआ पहुंचा और बिना किसी देरी के खतरनाक लहरों के बीच कूद गया। बहुत खतरों और कठिनाईयों के बीच वह लड़के को जीवित बचा कर ले आया। लड़के के मां-बाप ने अपने बच्चे को गले लगाया तो चितरंजन और माधुरी को भी गले से लगा लिया। उन्हें आशीर्वाद दिए। कुछ भी इनाम मांगने के लिए चितरंजन को कहा पर चितरंजन ने कहा- यह तो मेरा फर्ज था, मेरी ड्यूटी थी।
खैर, माता-पिता ने चितरंजन और माधुरी को उस दिन अपने पास ही रखा, उनके बारे में भली-भांति जाना। पिता ने कहा- मैं एक नया होटल खरीदने के लिए ही तो आया था। सब कुछ पक्का हो गया अब उस होटल की मैनेजरी चितरंजन और माधुरी को ही संभालनी होगी। (समाप्त)