गुफाओं में रहने वाले लोगों ने आखिर अपने औज़ार कैसे बनाये ?

‘दीदी, प्राचीन या आदिमानव तो जानवरों की तरह जंगलों में ही रहते होंगे और मुख्यत: शिकार पर ही जीवित रहते होंगे।’
‘हां, किताबों में तो ऐसा ही लिखा है और इसकी प्रबल संभावना भी है।’ ‘तो फिर इंसानों ने गुफाओं में रहना कब शुरू किया होगा?’
‘वैज्ञानिकों का कहना है कि पीकिंग मैन ने सबसे पहले गुफाओं में रहना शुरू किया। यह एक प्रकार का मानव था जो लगभग 3,00,000 साल पहले रहता था।’ 
‘इन गुफाओं में रहने वाले लोग अपने औज़ार या टूल्स कैसे बनाते थे?’
‘हर व्यक्ति अपना टूलमेकर स्वयं था। बड़े-बड़े पत्थरों को तोड़ने के लिए वह पत्थर को ही हथौड़े के रूप में प्रयोग करता था। फिर जो पत्थर के छोटे टुकड़े होते थे उनकी एक साइड को वह घिसता था, उसमें खुरदरी सी धार बन जाती थी, जिसे वह चॉपर के रूप में इस्तेमाल करता था। इन चॉपर्स को खोदने, खुरचने, काटने आदि के लिए लिए प्रयोग किया जाता था।’
‘इसके अलावा भी कोई शुरुआती टूल्स थे?’
‘हाथ की क्रूड कुल्हाड़ी भी थीं। उनमें एक तरफ भारी बट होता था उन्हें पकड़ने के लिए और दूसरा सिरा दोनों तरफ से गोल या नुकीली टिप के रूप में चिप कर दिया जाता था। हाथ की यह कुल्हाड़ी संभवत: सभी उद्देश्यों की पूर्ति करने वाली टूल थी कि इससे जड़े खोदी जाती थीं, नट्स तोड़े जाते थे या मृत पशुओं को काटने के भी काम आती थीं।’
‘इसके बाद औज़ारों का कैसे विकास हुआ?’
‘दरअसल, निएंडरथल मानव जो लगभग 150,000 से 30,000 वर्ष पहले रहता था वह वास्तव में गुफाओं में रहने वाला मानव था। उसके पास हाथ की कुल्हाड़ी के अतिरिक्त फ्लैक टूल्स भी थे, जिन्हें फ्लिंट के चौड़े पतले फ्लैक से बहुत होशियारी के साथ बनाया जाता था कि उनमें तेज़धार होती थी। कुछ फ्लैक टूल्स त्रिकोण आकार के भी होते थे। वह संभवत: शिकार किये गये जानवरों की खाल उतारने व उन्हें काटने के काम आते थे। कुछ फ्लैक टूल्स में एक तरफ ही धार होती थी।’
‘ब्लेड टूल्स कब आये?’
‘पुराने पाषाण युग में (लगभग 50,000 से 10,000 वर्ष पहले)। यह लम्बे, तेज़ फ्लैक थे, जिन्हें विशेषरूप से तैयार फ्लिंट के कोर से तैयार किया जाता था। एक काम करने के लिए एक ही प्रकार का औज़ार बनाया जाता था, मसलन हड्डी से सुईं बनायी जाती ताकि जानवरों की खाल को सी दिया जाये।’
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर