डिजिटल युग में युवाओं के विकास की चुनौतियां
अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस पर विशेष
अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस प्रत्येक वर्ष 12 अगस्त को मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य दैनिक जीवन में युवाओं के सामने पेश होने वाली तमाम तरह की परेशानियों और मुद्दों को सुनना-समझना और उजागर करना है। युवा दिवस की इस वर्ष की थीम डिजिटल माध्यमों से युवाओं के विकास रखी गई है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मोबाइल फोन और डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसी मॉडर्न टेक्नोलॉजी विकास लक्ष्यों को बढ़ावा देने में प्रमुख भूमिका निभाती हैं। दुनिया भर में 10 से 24 वर्ष की आयु वाले करीब 180 करोड़ युवा लोग हैं। विश्व में युवाओं की जनसंख्या को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 17 दिसम्बर, 1999 को यह फैसला लिया कि प्रत्येक वर्ष 12 अगस्त को विश्व युवा दिवस मनाया जायेगा। इसका उद्देश्य इस संदेश को बढ़ाना है कि एजेंडा 2030 और इसके 17 एसडीजी को प्राप्त करने के लिए सभी पीढ़ियों से कार्रवाई की आवश्यकता है और किसी को भी पीछे नहीं छोड़ना है।
यह डिजिटल विकास का ज़माना है। डिजिटल विकास ने हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी बदलकर रख दी है। कंप्यूटर, इंटरनेट और मोबाइल फोन ने हमारी दुनिया को बदल दिया है। तकनीक ने हमारे जीवन को बहुत आसान बना दिया है, लेकिन साथ ही नई चुनौतियां भी लाई है। खासकर युवा आबादी के लिए डिजिटल युग अपने-आप में अवसरों और चुनौतियों से भरा हुआ है। डिजिटल युग ने देश और दुनिया में युवाओं को रोज़गार के असंख्य अवसर दिए हैं। विशेषकर सूचना तकनीकि, आर्टिफिशियल, बीमा, फूड प्रोसेसिंग, कृषि पैदावार, शिक्षा स्वास्थ्य आदि के क्षेत्रों में रोज़गार के विपुल साधन उपलब्ध है और लाखों युवाओं को इस माध्यम से रोज़गार मिला है। जहां तक हमारे देश की बात है, आज लाखों युवा डिजिटल रोज़गार के क्षेत्र में आगे बढ़े हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले एक दशक में सरकार ने कौशल विकास व डिजिटल स्किल्स विकास में सबसे अधिक निवेश करके रोज़गार निर्माण को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। इसी के दृष्टिगत प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0 के माध्यम से देश के युवाओं को निर्धारित किए गए तकनीक क्षेत्रों में बड़ी संख्या में कौशल और प्रशिक्षण से सुसज्जित करके रोज़गार की डगर पर आगे बढ़ाना होगा। एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार स्किल इंडिया डिजिटल हब प्लेटफॉर्म पर इस वर्ष जून में करीब 88 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया है। 9.59 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने मोबाइल ऐप डाउनलोड किया और 7.63 लाख अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन कोर्स में पंजीकरण कराया है। विश्व प्रसिद्ध मैकिंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट की एक वैश्विक रोज़गार रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था में वर्ष 2025 तक ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के चलते करीब छह से साढ़े छह करोड़ रोज़गार अवसर पैदा हो सकते हैं।
युवा नेतृत्व को लेकर आज देशभर में व्यापक बहस छिड़ी है। युवा किसी भी देश और समाज में बदलाव के मुख्य वाहक होते हैं। युवा आबादी ही देश की तरक्की को रफ्तार प्रदान कर सकती है। भारत विश्व में सब से अधिक युवा आबादी वाला देश है। यहां 135 करोड़ की जनसंख्या में 65 प्रतिशत युवा हैं, लेकिन देश के सियासी नेतृत्व की बागडोर 60 साल से ऊपर के नेताओं के हाथों में है। युवाओं की क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल करने से ही समाज में बदलाव आएगा। युवा भी खुद की ताकत को पहचाने और उसी के अनुरूप अपना रास्ता चुनें। युवा अपनी काबिलियत और नई सोच के बूते पर रोज़गार सृजनकर्ता बन सकते हैं। युवा नई बुनियाद रखकर सामाजिक बदलाव के प्रणेता बन सकते हैं। विश्व के कई अन्य देशों की तुलना में भारत की जनसंख्या की औसत आयु 29 वर्ष है। भारत दुनिया के युवा जनसांख्यिकीय के पांचवें हिस्से का घर है।
युवा भारत देश की रीड़ है, देश के युवाओं में परिवर्तनकारी शक्ति है। किसी भी देश की तरक्की में युवाओं का योगदान होता है। देश के भविष्य के रूप को बदलने के लिए युवा पीढ़ी को अपने लक्ष्य की ओर निरन्तर सकारात्मक प्रयास करने होंगे। युवा वर्ग ही देश में सामाजिक समरसता व सद्भावना का माहौल कायम रख सकता है। युवाओं में ऊर्जा सबसे अधिक होती है, केवल उस ऊर्जा को सही जगह लगाने की आवश्यकता है। देश में बेरोज़गारी दर तेज़ी से बढ़ी है। इस साल उच्च मुद्रास्फीति पर काबू पाना और लाखों लोगों के लिए रोज़गार सृजित करना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। आज सबसे बड़ी चुनौती युवाओं को रोज़गार देने व आत्मनिर्भर बनाने की है। आज का युवा अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है। शिक्षा, रोज़गार और बेहतर भविष्य के लिए आज का युवा जागरूक है और लड़ रहा है। युवा वर्ग महंगी फीस, कोचिंग और फॉर्म पर फॉर्म भरता है। भर्ती के दौरान पेपर लीक होना आम बात हो गई है। मां-बाप अपनी ज़मीन-जायदाद गिरवी रखकर या कज़र् लेकर अपने बच्चों को पढ़ाते हैं, लेकिन अंत में उन्हें मिलती है बेरोज़गारी। ऐसे में युवा अवसाद की तरफ जाता है, जो एक बहुत बड़ी चुनौती है।
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