महंगाई क्या है ?

‘दीदी, रोज़ ही सुनने को मिलता है कि महंगाई बढ़ रही है, उस पर काबू नहीं पाया जा रहा। यह महंगाई वास्तव में है क्या?’
‘इन्फ्लेशन यानी महंगाई बुनियादी तौर पर दामों में वृद्धि को कहते हैं। परिवार, बिज़नेस और सरकारी समूह सभी खरीदार होते हैं। वह जो चीज़ें खरीदते हैं, उन्हें गुड्स एंड सर्विसेज कहते हैं। महंगाई के दौरान लोग गुड्स निर्माण की रफ्तार से अधिक तेज़ पैसा खर्च करते हैं। यह वह अवधि होती है, जब बहुत अधिक पैसा बहुत कम गुड्स का पीछा कर रहा होता है। महंगाई में रूपये से कम खरीदारी हो पाती है।’ 
‘क्या महंगाई को रोका नहीं जा सकता?’
‘अगर हमें महंगाई बढ़ने के सभी कारण मालूम हों तो भी हम महंगाई को पूरी तरह से नियंत्रित नहीं कर सकते हैं।’
‘वैसे महंगाई बढ़ने के मूल कारण क्या हैं?’
‘कभी-कभार सरकारी खर्च पर महंगाई की शुरुआत करने के आरोप लगते हैं। कभी कभी बिज़नेस व श्रम यूनियनों पर आरोप लगते हैं। परिवार द्वारा खर्च पर भी आरोप लगता है। अक्सर महंगाई युद्ध की वजह से होती है।’
‘महंगाई के दौरान वास्तव में होता क्या है?’
‘महंगाई के दौरान चीज़ों के दाम निरंतर बढ़ते रहते हैं। रूपये से जितनी चीज़ पहले आती थी, उससे कम आने लगती है।’
‘मैं समझा नहीं।’
‘एक मिसाल से समझाती हूं। फज़र् कीजिये कि एक सप्ताह पहले 40 रूपये में एक किलो आटा आ रहा था। अब आटा महंगा होकर 45 रूपये किलो हो जाता है। तो हमें 20 रूपये में आधा किलो भी आटा नहीं मिल पायेगा।’
‘इससे तो घरों के बजट बिगड़ जायेंगे।’ 
‘हां, इसका एक असर यह भी होता है कि लोग डरकर अधिक खरीदारी करने लगते हैं कि इससे पहले दामों में अधिक वृद्धि हो। तब व्यापारियों को लगता है कि उनके उत्पादों की मांग बढ़ रही है। तो वह नये उत्पादों, मशीनरी व फैक्ट्री में पैसा निवेश करते हैं। बहरहाल, महंगाई के दौरान सबसे अधिक कुप्रभाव बचत करने वालों, लोन लेने वालों, पेंशन भोगियों और जिनका लगा बंधा वेतन होता है, पर पड़ता है। महंगाई को नियंत्रित करने के लिए सरकार पहले उसके कारणों को समझने का प्रयास करती है। अगर गलत नियंत्रक प्रयोग किये गये तो समस्या का समाधान नहीं होता है।’ -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

#महंगाई क्या है ?