बजट में किसान तथा बेरोज़गारी हो प्राथमिकता

देश में किसानों की समस्याओं, उनके आत्महत्या के आंकड़े, बेरोज़गारी का अलाम और महंगाई का आकड़ा भयावह हो रहा है। आगामी बजट को लेकर देश का किसान, बेरोज़गार और आम आदमी बड़ी आस लगाए बैठा है। ऐसे में एक फरवरी को केन्द्र सरकार की वित्त मंत्री सीतारमण को अपने बजट में किसान, बेरोज़गार और महंगाई पर नियंत्रण को प्राथमिकता से शामिल करना होगा। आगामी बजट में वित्त मंत्री किस क्षेत्र के लिए क्या घोषणाएं करेगी और क्या आम आदमी को महंगाई से राहत मिलेगी या करों का भार बढ़ेगा। फिलहाल यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है। इस संबंधी सरकार में शामिल तथा विपक्षीयों द्वारा अपनी मांगें भी सरकार के सामने रखी हैं। उम्मीद है कि बजट में भारत को विकसित अर्थव्यवस्था बनाने के लिए ऐसे उपायों पर ध्यान दिया जाएगा जो समावेशी विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दर्शाते हैं। बजट में कृषि, एमएसएमई, घरेलू खपत और रोज़गार सृजन को प्राथमिकता दिए जाने की उम्मीद है। घरेलू खर्च को बढ़ावा देने वाले उपायों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह भी कहा जा रहा है कि इस बार के बजट को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भी किसान, बेरोज़गार और महंगाई को लेकर कुछ विशेष घोषणाओं के मौखिक निर्देश वित्त मंत्री को दिए गए है। 
किसानों के लगातार आंदोलन एवं सरकार के बीच वार्ताओं के दौर में आम बजट से किसानों को बड़ी उम्मीदें हैं। किसानों की नज़रें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के ऐलानों पर टिकी हैं। देश की कुल आबादी और श्रम बल का 70 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में रहता है। अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाने के लिए उनकी क्रय शक्ति बढ़ाना ज़रूरी है। बजट में खेती-किसानी को लेकर सरकार कई बदलाव कर सकती है। भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि क्षेत्र जलवायु बदलावों के चलते मुश्किल दौर में है। कृषि अर्थव्यवस्था का 15 प्रतिशत हिस्सा है और 1.4 अरब लोगों को भोजन मुहैया कराती है। लेकिन मौजूदा समय में कृषि विकास दर घट कर 1.4 प्रतिशत रह गई है। ऐसे में बजट कृषि क्षेत्र को बेहतर भविष्य की ओर ले जाने का अहम मौका है। कृषि क्षेत्र की सकारात्मक वृद्धि अर्थव्यवस्था के लिए ज़रूरी है क्योंकि अर्थव्यवस्था के कई सेक्टरों में मंदी का दौर है। ऐसे में कृषि क्षेत्र को बढ़ावा दिये जाने से न केवल किसानों की आय बढ़ाएगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार अवसर भी सृजित होंगे। कृषि उत्पादन बढ़ाने से निर्यात बढ़ेगा जिससे विदेशी मुद्रा भंडार भी मज़बूत होगा। बहरहाल भारत में कृषि निर्यात बढ़ाने की क्षमता है लेकिन किसानों के सामने कई समस्याएं हैं। जिनके कारण कृषि उत्पादकता वृद्धि में 25 प्रतिशत तक की कमी हुई है। उम्मीद है कि बजट में पीएम किसान सम्मान निधि योजना मनरेगा और पीएम आवास योजना में फंड का आवंटन बढ़ सकता है। इसी तरह किसानों को सब्सिड़ी के आधार पर यंत्रों, उर्वरक आदि मुहैया कराने के लिए विशेष फंड का प्रावधान किया जा सकता है। 
यही हाल आम जनमानस का है कोरोना काल में आर्थिक रूप से टूट चुके आम आदमी के जीवन में महंगाई बर्दाश्त से बाहर हो चुकी है। ऐसे में महंगाई का असर हर घर पर पड़ रहा है खासतौर पर उन गृहणियों पर जो पूरे साल घर का खर्च चलाने की जिम्मेदारी उठाती हैं। 1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट पेश करने वाली हैं। ऐसे में गृहणियों की उम्मीद है कि इस बार बजट में महंगाई पर काबू पाने के उपाय किए जाएं। मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल से ही हर साल दो करोड़ रोज़गार देने का वादा करती आई थी, लेकिन ये कभी पूरा नहीं हो पाया। नोटबंदी, जीएसटी की खामियों और कोविड से पैदा दिक्कतों की वजह से सरकार का ये वादा धरा का धरा रह गया। लेकिन सवाल ये है कि इस बार रोज़गार को लेकर सरकार बजट में क्या ऐलान कर सकती है और बेरोज़गारी को दूर करने में कितना कामयाब हो पाएंगी सरकार यह तो आने वाला बजट तय करेगा। देश में बेरोज़गारी और नौकरी को लेकर केंद्र सरकार हमेशा से विपक्ष के निशाने में रहती आई है। पिछले तकरीबन 10 सालो में जब नरेंद्र मोदी की सरकार केंद्र में आई है। विपक्ष और खासतौर से कांग्रेस मोदी सरकार को बेरोज़गारी और देश में नौकरी को लेकर घेरती आई है। लेकिन मोदी सरकार का पूरा फोकस आज के युवाओं को इस कदर सक्षम बनाने का रहा है कि वे नौकरी मांगने वाला नहीं बल्कि नौकरी देने वाला बने। इसी को देखते हुए सरकार ने पीएम मुद्रा लोन योजना की शुरूआत की थी। सरकार को अपनी इस योजना का पुन: आकलन करना चाहिए। ऐसे में वित्त मंत्री के लिए यह बजट एक अग्नि परीक्षा है जिसमें उन्हें किसान, बेरोज़गार और महंगाई से पीड़ित देश की 80 प्रतिशत आबादी के बारें में प्राथमिकता देनी होगी।

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