चाइना डोर से हो रही घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार कौन ?       

विश्व के सबसे बड़े बाज़ार के रूप में अपनी पहचान रखने वाले भारत में चीन जैसे पड़ोसी देश के अनगिनत उत्पाद पटे पड़े हैं। शायद ही कोई क्षेत्र ऐसा हो जिससे संबंधित सामग्री चीन निर्मित न कर रहा हो और भारत सहित पूरी दुनिया को उनकी आपूर्ति न कर रहा हो। छोटी से छोटी मामूली चीज़ों से लेकर बड़ी से बड़ी और भारी से भारी वस्तुएं चीन द्वारा निर्मित कर भारत भेजी जा रही हैं। मिसाल के तौर पर जहां चीन निर्मित मोबाइल फोन, लैपटॉप व कम्प्यूटर तथा अन्य इलेक्ट्रानिक सामान से भारतीय बाज़ार भरे पड़े हैं वहीं दीपावली, नववर्ष जैसे अनेक अवसरों पर चाइना की रंग बिरंगी सजावटी लाइट्स दीपावली, नववर्ष जैसे अनेक अवसरों पर पूरे देश में अपनी रंगबिरंगी छटायें बिखेरती हैं। सजावटी सामान, मशीनरी, कांच, पत्थर, प्लास्टिक, खिलौना, कपड़ा, बर्तन, क्रॉकरी,फर्नीचर, हार्डवेयर, आतिशबाज़ी, मेडिकल व सर्जिकल सामग्री जैसी तमाम क्षेत्रों से सम्बंधित सामग्रियों का निर्माण व इनकी आपूर्ति चीन द्वारा भारत सहित पूरे विश्व में की जाती है। इन्हीं चीन निर्मित सामग्रियों में कुछ सामग्री ऐसी भी हैं जिनका इस्तेमाल करना लोगों की जान से खिलवाड़ करने जैसा है। ऐसी ही मनोरंजन से जुड़ी एक सामग्री है ‘चाइना डोर’। 
चाइना डोर का इस्तेमाल पतंगबाज़ी के लिए किया जाता है और भारत पूरे विश्व में पतंगबाज़ी के लिये प्रसिद्ध है। लोहड़ी, बसंत पंचमी व अन्य त्यौहारों पर तथा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर और इसके अलावा छुट्टियों के दिनों में बच्चे अपने फुर्सत के लम्हे पतंगबाज़ी कर बिताना चाहते हैं। चीन जहां भारत को तरह-तरह की रंग बिरंगी छोटी बड़ी पतंगें निर्यात करता है, वहीं पतंग उड़ने में इस्तेमाल की जाने वाली डोर भी चीन से ही आती है। दरअसल पतंगबाज़ी में प्रयुक्त मांझा जो भारत में भी बनता है, उसमें भी कुशाग्रता अथवा धार पैदा करने के लिये उसमें पिसे हुये कांच का पाउडर मिलाया जाता है। भारत में चाइना डोर के आने से पहले भी पतंग उड़ाने वाले मांझे में उलझकर पहले भी लोग घायल हो जाते थे, परन्तु आखिरकार वह भारतीय मांझा टूट जाया करता था और ज़ख्म अधिक गम्भीर नहीं होते थे, लेकिन जबसे भारतीय बाज़ार में चाइना डोर ने अपनी दस्तक दी है, तब से पतंगबाज़ी मनोरंजन से अधिक जानलेवा सिद्ध हो रही है। हालत यह हो गई है कि शायद ही कोई दिन ऐसा होता हो जिस दिन देश के किसी न किसी कोने से चाइना डोर के कारण होने वाले हादसों की खबरें न आती हों। दरअसल चाइना डोर में ऐसी सामग्री इस्तेमाल की जाती है जो बहुत मुश्किल से टूटती है। यदि कोई व्यक्ति, पशु या पक्षी इसकी चपेट में आ जाता है तो न टूट पाने के कराण वे गम्भार घायल हो जाते हैं और कभी-कभी तो इस कारण जान भी चली जाती है।
 पिछले दिनों हद तो यह हो गई कि 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन ही अकेले गुजरात में ही 6 लोग पतंगबाड़ी में इस्तेमाल की गई चाइना डोर के कारण मारे गऐ। 
इसका तीखापन व मज़बूती ऐसी है कि आज के दौर में दुपहिया व चारपहिया वाहनों में इस्तेमाल होने वाले फाइबर या प्लास्टिक के बने बम्पर, लेग गॉर्ड अथवा अन्य एसेसरी को भी यह काट देती है। ज़ाहिर है, ऐसे में प्राणियों का बचने का सवाल ही नहीं है। उदाहरणार्थ गत दिनों लुधियाना में एक मोर के गले में यही प्लास्टिक की चाइना डोर फंस गयी जिस कारण उसकी मौत हो गयी। समाचार यह भी है कि यह इसमें इस्तेमाल मांझा सुचालक होता है जिसके कारण इसमें करंट प्रवाहित हो जाता है। चाइना डोर से करंट लगने से भी कई मौतें हो चुकी हैं। गले, कलाई और हाथों की नस कटना और अत्यधिक रक्त प्रवाह के चलते मौत होने की तो अनेक घटनाएं घटित हो चुकी हैं। 
पिछले दिनों अमृतसर व जालंधर में एक ही दिन में घटित हुई दो अलग-अलग घटनाओं में 19 वर्षीय व 45 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गयी। इन दोनों की मौत चाइना डोर से गले में सांस की नस कट जाने के कारण हुई। इस मामले में दोनों ही जगह पुलिस द्वारा कुछ अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया। सवाल यह है कि मामला किस पर चलना चाहिय? इस तरह के हादसों का ज़िम्मेदार कौन हो सकता है? ऐसी खतरनाक सामग्री बेचने वाला, इसे खरीद कर इस्तेमाल करने वाला या फिर इसका निर्माण व आपूर्ति करने वाला? कोई भी हो परन्तु कम से कम इस से उलझकर अपनी जान गंवाने वाला बेगुनाह तो हरगिज़ नहीं हो सकता। चाइना डोर से कटकर जान गंवाने की खबरें दशकों से हमारे देश के समाचार पत्रों में आती रहती हैं। अब तो यह जानलेवा डोर दुकानों के अलावा ऑन लाइन भी उपलब्ध है।  सरकार को चाहिए कि आम लोगों की जान से खिलवाड़ करने वाली ऐसी जानलेवा सामग्री को तत्काल प्रतिबंधित करे। 

#चाइना डोर से हो रही घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार कौन ?