गाज़ा पट्टी-भारत का योगदान

विगत कुछ मास के दौरान मध्य पूर्व में हुए इज़रायल और हमास युद्ध में गाज़ा पट्टी में रक्त की नदियां बही थीं। इस युद्ध में लगभग 45 हज़ार लोग मारे जा चुके हैं जबकि लाखों की संख्या में लोग बेघर होकर शरणार्थी बन गए हैं। इज़रायली सेना द्वारा की गई बमबारी ने फिलिस्तीन के बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को भी अपनी चपेट में लिया था। इज़रायल की ओर से गाज़ा पट्टी एक तरह से बर्बाद ही कर दी गई है। यह युद्ध 7 अक्तूबर, 2023 को शुरू हुआ था। गाज़ा पट्टी में इज़रायल के विरुद्ध लगातार सक्रिय रहे आतंकी संगठन हमास ने वर्ष 2007 में गाज़ा पट्टी पर कब्ज़ा कर लिया था। इसमें युद्ध से पहले लगभग 23 लाख फिलिस्तीनी जीवन-यापन कर रहे थे।
हमास से पहले फिलिस्तीन में फतह संगठन की सरकार थी। हमास ने गाज़ा पट्टी पर कब्ज़े के बाद इज़रायल के विरुद्ध लगातार अपना संघर्ष जारी रखा। 7 अक्तूबर को इसके आतंकवादियों ने इज़रायल में दाखिल होकर लगभग 1200 इज़रायली नागरिकों को बुरी तरह से मार दिया था और लगभग 200 बच्चों एवं महिलाओं सहित इज़रायली नागरिकों को बंधक बना लिया था। इसके बाद इज़रायल ने गाज़ा पट्टी में रहते फिलिस्तीनियों को लगातार अपने कहर का निशाना बनाया। लगातार भारी बमबारी के बाद उसने यहां अपने टैंक और सेना भेज कर ज्यादातर  क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया था। 
अब अन्तर्राष्ट्रीय यत्नों के कारण दोनों पक्षों की ओर से 19 जनवरी को युद्ध विराम की घोषणा की गई है, जिसमें यह फैसला लिया गया कि दोनों देशों के कैदियों को तीन चरणों में रिहा कर दिया जाएगा, परन्तु इस युद्ध में जितना नुक्सान गाज़ा पट्टी का हुआ है, वह अनुमान से कहीं अधिक है। यहां के ज्यादातर क्षेत्रों में इमारतों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया था, परन्तु युद्ध के दौरान संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में विश्व के ज्यादातर देशों ने गिरफ्त में फंसे फिलिस्तीनियों के लिए हर तरह की सहायता भेजने का यत्न किया था। इस दौरान भारत ने भी लगभग 70 टन दवाइयां एवं खाद्य सामग्री के रूप में बड़ी सहायता भेजी थी। भारत सरकार के पिछले लम्बे समय से चाहे इज़रायल के साथ अच्छे संबंध बने रहे हैं, परन्तु उसने फिलिस्तीनियों की भी लगातार सहायता जारी रखी है। पिछले दशकों में भारत ने फिलिस्तीन को 40 मिलियन डॉलर (346 करोड़ रुपए) की आर्थिक सहायता प्रदान की है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा ही वर्ष 2017 से मोदी सरकार ने इस सहायता के लिए राशि में भारी वृद्धि की है। पहले हर वर्ष भारत की ओर से एक मिलियन डॉलर (8.65 करोड़ रुपए) की आर्थिक सहायता भेजी जाती थी, जिसे अब पिछले 8 वर्षों में बढ़ा कर 5 मिलियन डॉलर (43.25 करोड़ रुपए) वार्षिक कर दिया गया है। 
परन्तु अब जिस तरह की तबाही के दृश्य गाज़ा पट्टी में दिखाई दे रहे हैं, उसके लिए भारत को अपनी परम्परा के अनुसार अधिक से अधिक सहायता के लिए आगे आने की ज़रूरत होगी। इस समय सबसे बड़ी ज़रूरत अनुमानित 50,773,496 टन मलबे को हटाने और गाज़ा पट्टी में हज़ारों ही नए घरों के निर्माण की है। भारत की अपनी सीमाएं हैं। यहां की ज़रूरतें एवं कमियां भी अधिक हैं, परन्तु अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर भी इसे इस मामले पर अपना बड़ा योगदान डालने की ज़रूरत होगी। इसके साथ ही अब यह भी समय आ गया है कि संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय स्वतंत्र एवं अलग फिलिस्तीन देश की स्थापना में अपना पूरा योगदान डाले। की जाने वाली ऐसी व्यवस्था ही मध्य पूर्व में स्थायी शांति की सम्भावनाएं पैदा कर सकती है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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