कुंभ में संगम घाट पर क्यों मची भगदड़ ?
जिसकी आशंका में कई दिनों से धुकपुक हो रही थी, अंतत: वही हुआ। पहले से अंदाज़ा था कि इस बार मौनी अमावस्या यानी 29 जनवरी, 2025 को अमृत स्नान के तहत महाकुंभ में ऐसा जन सैलाब उमड़ने वाला है, जिसकी अब के पहले कभी कल्पना भी नहीं की गयी थी। ऐसा स्वाभाविक ही था। मौनी अमावस्या प्रयाग कुंभ का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान होता है। हर कुंभ में इस अवसर पर बहुत भीड़ होती है। ऐसे में इस बार तो भीड़ के सारे रिकॉर्ड टूटने ही थे। क्योंकि इस साल 144 वर्षों के बाद ‘त्रिवेणी योग’ नामक एक दुर्लभ खगोलीय संयोग बन रहा था। अनुमान था कि मौनी अमावस्या के 24 से 48 घंटे के भीतर कोई 8 से 10 करोड़ लोग इस बार स्नान करेंगे। इसलिए भले देश-विदेश में इस साल के कुंभ की चाक चौबंद व्यवस्था की तारीफ हो रही थी। लेकिन इस तारीफ में ढीले पढ़ने की ज़रूरत नहीं थी बल्कि भीड़ को नियंत्रित करने के मामले में मौनी अमावस्या सबसे बड़ी परिक्षा थी और कहना नहीं होगा कि एक दिन पहले वीआईपी लोगों को लेकर बरती गयी ढील के कारण इस बेजोड़ कुंभ पर कालिख पुत गयी।
मौनी अमावस्या यानी 29 जनवरी को तड़के उस समय भगदड़ मच गयी जब श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान करने के लिए आगे बढ़ रहे थे। मौजूद सुरक्षाकर्मी भारीभीड़ को नियंत्रित करने में असमर्थ रहे और इन पंक्तियों के लिखे जाने तक अलग-अलग स्रोतों के मुताबिक कई लोगों की मृत्यु हो गई थी। कई लोगों के घायल होने की सूचना है। यूं तो इस दुर्घटना का अंतिम रूप से क्या कारण रहा, इसका जांच के बाद ही पता चलेगा लेकिन कुंभ में मौजूद और गुस्से में भरे श्रद्धालुओं की माने तो इसकी सबसे बड़ी वजह एक दिन पहले का वीआईपी मूवमेंट रहा। कई किलोमीटर का चक्कर लगाकर संगम नोज तक रात में 1 से 2 बजे तक इतने लोग पहुंच गए जिनको संभाल पाना संभव ही नहीं था। प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए था, लेकिन वह तो पिछले 24 घंटों से वीआईपी लोगों के प्रबंध में जुटा था।
महाकुंभ मेले के लिए विशेष कार्य अधिकारी आकांक्षा राणा के मुताबिक जहां संगम में बैरियर्स टूटने के बाद यह हादसा हुआ तो प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक यह भगदड़ एक खंभा टूटने के बाद मची। लेकिन ज्यादातर लोगों का मानना था कि वीआईपी लोगों की सुविधा के लिए अलग-अलग जगहों से डायवर्ट किये गए लोगों के कारण संगम नोज में 28 जनवरी की देर रात और 29 जनवरी के तड़के बहुत ज्यादा भीड़ बढ़ गयी थी इसकी वजह से एक खंभा टूटकर गिर गया, जिसमें कुछ लोग जख्मी हुए और इसी के साथ भगदड़ मच गयी। हालांकि हादसे के तुरंत बाद प्रशासन ने स्थिति को मुस्तैदी से संभाला और एंबुलेंस भी मौके पर पहुंचीं, जिन्होंने घायलों को महाकुंभ में मौजूद केंद्रीय अस्पताल ले जाना शुरू कर दिया ताकि उनका समय रहते इलाज हो सके। लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा थी कि हादसे के बाद हताहतों तक 70 से ज्यादा एंबुलेंस पहुंचाने के लिए पुलिस को बहुत मशक्कत करनी पड़ी तब कहीं जाकर उन्हें लेकर अस्पताल जाया जा सका। भगदड़ के बाद प्रशासन के अनुरोध पर सभी 13 अखाडों ने मौनी अमावस्या का अमृत स्नान रद्द कर दिया। लेकिन जल्द ही स्थिति पर काबू पाने के बाद अखाड़ों की दोबारा बैठक हुई, जिसमें दिन में 10 बजे के बाद अमृत स्नान होना तय हुआ।
हादसे के बाद प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने यूपी के सीएम योगी से फोन पर लगातार घटना की जानकारी ली, आनन-फानन में हेलिकॉप्टर महाकुंभ की व्यवस्था निगरानी पर लगा दिए गए। हादसे के बाद संगम तट पर एनएसजी कमांडो ने भी मोर्चा संभाल लिया। संगम नोज इलाके में आम लोगों की एंट्री बंद कर दी गई। भीड़ और न बड़े इसलिए प्रयागराज शहर में भी श्रद्धालुओं के आने पर रोक लगा दी गई है। इसके लिए शहर की सीमा से सटे ज़िलों में प्रशासन को मुस्तैद कर दिया गया लेकिन इस सबकी पहले से ही तैयारी करने की ज़रूरत थी। क्योंकि प्रशासन को पता था कि मौनी अमावस्या में स्नान के लिए करीब 5 करोड़ श्रद्धालु शहर में मौजूद हैं जबकि करोड़ों और आने वाले थे। जाहिर है प्रशासन को यह भी समझना चाहिए था कि संगम समेत कुंभ क्षेत्र में मौजूद 44 घाटों पर ही इन सबको डुबकी लगानी थी। इससे एक दिन पहले यानी मंगलवार को भी तीन से साढ़े तीन करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम क्षेत्र में डुबकी लगाई थी। पूरे शहर में सुरक्षा के लिए 60 हजार से ज्यादा जवान तैनात थे। फिर भी व्यवस्था संभल नहीं रही थी, इसलिए 29 जनवरी की सुरक्षा और चाक चौबंद होनी चाहिए थी।
दुर्घटना के बाद सीएम योगी ने लखनऊ में अपने आवास में जो इमरजेंसी बैठक बुलाई, उसकी ज़रूरत नहीं पड़ती अगर वीआईपी लोगों को एक दिन पहले कंट्रोल में रखा जाता। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने सुबह स्थिति नियंत्रण में आने के बाद सही निर्णय लिया कि विभिन्न अखाड़े अमृत स्नान के समय जुलूस छोटा रखेंगे, किसी प्रकार का कोई लाव लश्कर नहीं रखेंगे और शोभा यात्रा भी नहीं निकाली जाएगी। बाद में सीएम योगी ने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे लोग मां गंगा में वहीं स्नान करें, जिस घाट के वो नज़दीक हों, संगम नोज की ओर जाने का प्रयास न करें। यह दिशा-निर्देश भीड़ को देखते हुए पहले से होनी चाहिए थी। यह ज़रूरी थी या क्योंकि मौनी अमावस्या का स्नान हमेशा से बहुत भीड़ वाला होता है। हमें यह भी समझना चाहिए कि समूचे संगम में इस पुण्यतिथि को ‘अमृत’ बहता है। अगर आप कहीं भी गंगा या यमुना में स्नान करेंगे तो ‘अमृत’ आपको प्राप्त होगा। ये आवश्यक नहीं है कि संगम में ही डुबकी लगायी जाये। ऐसी बातें श्रद्धालुओं को पहले से बतायी गयी होतीं तो जो दुखद घटना घटी वह नहीं घटती। वास्तव में यह घटना इसलिए हुई क्योंकि सभी श्रद्धालु संगम घाट पर ही पहुंचना चाहते थे।
कुंभ मेला की ओएसडी अकांक्षा राणा ने भी यह बात मानी है कि संगम नोज पर बैरियर टूटने के बाद भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हुई। लेकिन दुर्घटना के घंटों बाद भी अफसर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं दिखे। इसी वजह से सुबह यही नहीं पता चल रहा था कि दुर्घटना हुई कब? कोई 2 बजे रात बता रहा था, कोई 2:30 कह रहा था, जबकि एक महिला के मुताबिक घटना रात करीब 1 बजे ही घट गयी थी। इसका मतलब हुआ कि घंटों भगदड़ वाली स्थिति रही। ये तो शुक्र था कि प्रयाग में अस्पताल एलर्ट मोड पर थे। नर्स और डॉक्टर एक्टिव थे, जिन्हें फर्स्ट एड की ज़रूरत थी, उनका भी प्राथमिक इलाज किया गया। अब प्रशासन ने अतिरिक्त रूप से सतर्क होकर श्रद्धालुओं से अपील की कि लोग जल्दी से जल्दी स्नान करें और दूसरों के लिए घाट खाली कर दें, जिससे भीड़ इकट्ठा न होने पाए और दूसरे श्रद्धालुओं को स्नान का मौका मिले।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर